तो R.S.S के गणवेश धारी और वर्दी वाले गुण्डे में फर्क क्या ?

यूं ही Nov 12, 2018

 

मध्यप्रदेश कांग्रेस के घोषणापत्र " वचन पत्र " में शासकीय परिसरों में संघ की शाखा पर प्रतिबंध कितना उचित ?

खबर नेशन / Khabar Nation


मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के घोषणापत्र " वचन पत्र " की एक लाइन ने पूरे देश की सियासत को गर्मा दिया है । कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में सरकार बनने पर शासकीय परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा लगाए जाने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है । भाजपा और उसके कई आला नेता इसे संघ पर प्रतिबंध लगाने के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं । कांग्रेस भाजपा के आक्रामक अंदाज को देखकर डिफेंसिव मोड में आने का प्रयास कर रही है ।

आखिर कांग्रेस को क्या सूझी जो ऐसी घोषणा कर बर्र के छत्ते में हाथ डाल बैठी । मध्यप्रदेश में विगत पन्द्रह साल से भारतीय जनता पार्टी का राज है । हालांकि किसी भी शासकीय परिसर में संघ की शाखा लगाए जाने की बात सामने नहीं आई है । इसके बावजूद अगर देखा जाए तो मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के बनते ही अनेक सरकारी अफसर और कर्मचारियों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थानीय स्वयं सेवकों और संघ के आला पदाधिकारियों से रिश्ते गांठना शुरू कर दिए । कई अफसर और कर्मचारियों ने तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गणवेश को पहनकर अपने फोटो सुन्दर फ्रेम में मढवाकर अपने ड्राइंग रूम में लगा लिए । कई अफसर और कर्मचारियों ने संघ की शाखा में जाना तो शुरू किया ही इसी के साथ स्थानीय भाजपा नेताओं के घर गणवेश पहनकर हाजिरी बजाना शुरू कर दिया । इसी दौरान और बड़े पदाधिकारियों को अपने घर आमंत्रित करना और उसके बाद उनके आगमन को राजनैतिक प्रशासनिक हलकों में प्रचारित करना भी शुरू कर दिया । ऐसे अफसरों और कर्मचारियों ने अपने सहयोगियों पर रौब गांठने के साथ साथ बड़े अधिकारियों को राजनैतिक तौर पर ब्लैकमेल कर मनचाहा निर्णय करवाने में महारत हासिल कर ली ।
ऐसे ही हालात जनप्रतिनिधियों के रहे जिन्होंने संघ पदाधिकारियों को साधकर अपनी राजनीतिक सत्ता का भरपूर दोहन किया । इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आला पदाधिकारी भी पीछे नहीं रहे । मध्यप्रदेश के ही नहीं राष्ट्रीय स्तर के संघ पदाधिकारी भी सत्ता का दोहन करने से पीछे नहीं रहे । ये हालत ठीक उस तरह के रहे जैसे कोई पुलिस का सिपाही वर्दी पहनकर अवैध वसूली में जुट गया हो । सवाल है कि आखिर क्या फर्क रहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गणवेश धारी और वर्दी वाले गुण्डे में ?
कुछ समय पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने मध्यप्रदेश में लगातार पांच दिन बिताए। इस दरम्यान उन्होंने नैतिकता के अनेक उपदेश दिए। हिन्दुओं से संगठित होने का आह्वान किया। परंतु यह अनोखा संयोग था कि जिस दिन वे इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों की निंदा कर रहे थे और कह रहे थे कि यह संगठन निर्दोष लोगों को मारता है और यह दुःख की बात है कि इस संगठन की गतिविधियों पर अभी तक नियंत्रण नहीं पाया जा सका है, ठीक उसी दिन मध्यप्रदेश एनटी टेरेरिस्ट स्क्वाड (एटीएस) ने आईएसआई (पाकिस्तान की खुफिया एजेन्सी) को गुप्त सूचनाएं देने में संलग्न एक समूह को उजागर किया। यह समूह अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के बीच में संवाद की सुविधा दिए हुए था। यह संवाद कानून के अंतर्गत स्थापित चैनलों के द्वारा नहीं किया जाता था। इस तरह के काम में संलग्न एजेंट पाकिस्तान के पे-रोल (पैसा प्राप्त करते थे) पर थे। वे हमारे देश की गुप्त सैनिक गतिविधियों के बारे में सूचनाएं देते थे। इस राष्ट्रविरोधी समूह की दो विशेषताएं थीं, पहली यह कि इसमें सिर्फ हिन्दू लिप्त पाए गए और दूसरी यह कि इस समूह में कुछ ऐसे लोग भी शामिल थे जिनका संबंध संघ से जुड़े संगठनों से था।

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