शिवराज अभी गए नहीं , तब ये हाल , गर चले गए तो क्या होगा ?
खबर नेशन / Khabar Nation
29 नवंबर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राजनैतिक पुर्नजन्म के समान है । इस दिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर शिवराज काबिज हुए थे । हर साल इस दिन को साल में पड़ने वाले अन्य त्यौहारों से बड़े रुप में मनाएं जाने का रिवाज होता है । सरकार और भारतीय जनता पार्टी इस अवसर पर बड़े बड़े विज्ञापन, और प्रचार प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़ती है । अखबार और चैनल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इंटरव्यू के लिए महीने भर पहले से तैयारी शुरू कर देती है । मीडिया जगत की बड़ी हस्तियां स्पेशल आइटम तैयार कर शिवराज को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती ।
पर इस बार अजब खामोशी । भाजपा संगठन चुनाव की खुमारी उतारने में लगी है । सरकारी अफसर ऊंट के करवट के इंतजार में सन्नाने से तक रहें हैं । महीने भर पहले से इंटरव्यू और स्पेशल आइटम से शिवराज को रिझाने वाले दिग्गज पत्रकार चार लाइन लिखने की जहमत भी उठाना नहीं चाह रहे हैं । सोश्यल मीडिया पर शिवराज के साथ परिवार सहित सेल्फी डालने वाले पत्रकार नयी सेल्फी के इंतजार में हैं ( पुरानी सेल्फी डालने से खतरा उत्पन्न होने की संभावना है )।
बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू है । सरकार की मजबूरी है कि जश्न नहीं मना सकती । अखबार और चैनल विज्ञापन नहीं तो खबर नहीं का मार्ग अपनाएं हैं ।
हमारे कानों में एक मशहूर शायर की ये पंक्तियां लगातार गुंज रही है
इश्तहारों से निकलकर जब सड़क पर आओगे
याद रखना भीड़ के पैरों से कुचले जाओगे
और दिमाग में रह रहकर इक बात आ रही है कि जब मध्यप्रदेश से शिवराज की विदाई नहीं हुई है, तब ये हाल है तो कहीं अगर विदाई हो गई तो क्या होगा ।
चुनाव परिणाम आने में देर है । अभी सिर्फ आकलन किया जा रहा है कि कौन जीतेगा ? किसकी सरकार बनेगी ? हां इक बात जरूर दावे के साथ कह सकता हूं मुख्यमंत्री रहे कोई भी सिलसिला फिर यूं हीं जारी रहेगा ।