वाह शिवराज वाह जबरदस्त गुड गवर्नेंस है ये

भाजपा के दलाल लगभग दो लाख तबादलों के लिए बैचेन

साल का एक महीना मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज छोटे-छोटे तबादलों की सिफारिश पर खर्च कर देते हैं

मध्यप्रदेश के सरकारी कामकाज की कलई खोलती रिपोर्ट

शिक्षक, सिपाही,ए एन एम के ट्रांसफर के हजारों सिफारिशी आवेदनों पर शिवराज लगा रहे मुहर

जिला संगठन के पदाधिकारियों से लेकर विधायक, मंत्री, सांसद और केंद्रीय मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री को विकास की बजाय ट्रांसफर की चिंता

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के अफसरों, विधानसभा और आम जनता की मीटिंग में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुड गवर्नेंस की दुहाई देते रहते हैं । हकीकत में शिक्षक, सिपाही और स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत ए एन एम जैसे अन्य विभागों के भी छोटे-छोटे कर्मचारियों के तबादलों के सिफारिश पत्रों पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर मध्यप्रदेश के सरकारी कामकाज की कलई खोल रही है ।

साल का एक महीना मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज छोटे-छोटे तबादलों की सिफारिश पर खर्च कर देते हैं

अगर मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी अनुशंसाओं को आधार मानकर आकलन किया जाए तो मुख्यमंत्री साल का एक महीने का समय छोटे-छोटे तबादलों की सिफारिश पर खर्च कर देते हैं । इस साल शिक्षकों, सिपाहियों, और स्वास्थ्य विभाग के ए एन एम सहित  समकक्ष  अन्य विभागों के कर्मचारियों के लगभग दो से ढाई हजार आवेदनों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनुशंसा की हैं । ये अनुशंसाएं भारत के केन्द्रीय मंत्रियों , सांसदों और मध्यप्रदेश के मंत्रियों विधायकों की सिफारिशों पर की गईं हैं। इस मामले में जिला संगठन के छोटे से पदाधिकारियों से लेकर आला स्तर के राष्ट्रीय नेता भी शामिल हैं । अधिकांश मामलों में उल्लेखित जनप्रतिनिधियों और संगठन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर व्यक्तिगत गुहार लगाई है । जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन सिफारिशों पर अपनी अनुशंसा की है । राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में माना जाता है कि मुख्यमंत्री की अनुशंसा तबादला की गारंटी होती है ।

दो से ढाई हजार सिफारिश करने वाले आवेदकों को मुख्यमंत्री ने लगभग पन्द्रह मिनट का भी समय दिया होगा तो जोड़ घटाव के बाद सी एम के कार्यशील समय का लगभग एक महीने का समय इन्हें सुनने पर खर्च करना पड़ा होगा ।

सवाल यह भी है कि जिस तंत्र को जिन में केन्द्रीय मंत्री,सांसद, प्रदेश के मंत्री और विधायकों को विकास की अवधारणा पर कार्य करना चाहिए था।वे इतने छोटे छोटे काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बता रहे हैं । आखिर गड़बड़ी कहां है ?

सवाल है कि क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इतनी फुरसत में हैं कि वे छोटे छोटे कर्मचारियों की तबादला सिफारिशों पर एक्शन लेते रहें ?

सवाल है कि तबादलों को लेकर सरकार ने जब एक निर्धारित प्रक्रिया तय कर रखी है तो फिर प्रदेश के कर्मचारियों को केन्द्रीय मंत्री, सांसद, मंत्री, विधायकों की सिफारिश करवाने पर क्यों मजबूर होना पड़ा ?
जब मुख्यमंत्री के माध्यम से दो ढाई हजार सिफारिशें अनुशंसित की गई हैं तो मंत्रियों के माध्यम से एक दूसरे मंत्री को एवं विधायक और पदाधिकारियों ने कितनी सिफारिशें सीधी सीधी सौंपी होगी ?

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में लगभग साढ़े चार लाख के करीब शासकीय अमला है। तबादला नीति के अनुसार लगभग दस प्रतिशत तबादलें किए जा सकते हैं । विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ही मध्यप्रदेश के मंत्रालय में लगभग दो लाख से ऊपर तबादला संबधी आवेदन प्रक्रियाधीन हैं ।

सवाल यह भी है कि तबादलों पर से प्रतिबंध एक माह पहले हटाया गया था । इसके बावजूद इक्का दुक्का विभागों की तबादला सूची ही जारी हो पाई थी । जिसके चलते समय बढ़ाया गया लेकिन बढ़ाए गए समय के खत्म होने में भी अब दो दिन बचें हैं अधिकांश विभागों में अभी भी सूची तैयार की जा रही है। जमकर कांट-छांट हो रही है।

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