सोनिया को इटली की बर्बादी और भारत की कामयाबी दोनों रास नहीं आ रहे : शर्मा

रेल किराए की घटिया चाल चलकर मजदूरों को मौत में ले जाना चाहती है सोनिया

भोपाल। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को न तो कोरोना महामारी को रोकने में भारत की कामयाबी रास आ रही है और न ही उन्हें इस मामले में इटली की बर्बादी सहन हो रही है। इसीलिए वे ट्रेन किराए के मुद्दे पर जानबूझकर देश में यहां-वहां फंसे मजदूरों को भ्रमित करके, भड़का कर इन मजदूरों के साथ देश के कोने-कोने में कोरोना वायरस को फैलाना चाहती हैं ताकि भारत की सरकार असफल साबित हो जाए और देश का नाम उन देशों की सूची में शामिल हो जाए, जो कोरोना महामारी से पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने श्रमिकों के रेल किराए के संबंध में सोनिया गांधी द्वारा दिये गए वक्तव्य पर रोष प्रकट करते हुए कही।
बर्दाश्त नहीं हो रही भारत और मोदी जी की सफलता
श्री शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी को रोकने में देश के विजनरी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने जो सफलता हासिल की है, उसका लोहा दुनिया के विकसित देश भी मान रहे हैं। लेकिन भारत और मोदी जी की यह सफलता कांग्रेस और उसकी नेता सोनिया जी को बर्दाश्त नहीं हो रही है। इसलिए अब उनकी कोशिश है कि भारत में किसी भी तरह कोरोना महामारी को बेकाबू किया जाए, गांव-गांव तक संक्रमण फैलाया जाए। मजदूरों के रेल किराए पर कांग्रेस जो राननीति कर रही है, वह उनकी इसी योजना का हिस्सा है। श्री शर्मा ने कहा कि सरकार ने देश में लॉकडाउन का निर्णय देश के लोगों को इस महामारी से बचाने के लिए लिया है और इसकी सफलता के लिए यह जरूरी है कि जो जहां है, वह वहीं रहे। श्री शर्मा ने कहा कि सोनिया जी और उनकी कांग्रेस पार्टी पहले दिन से इस व्यवस्था को तोड़ने पर आमादा है।  अब उन्हें इसके लिए बहाना मिल गया है और वे रेल किराए की बात पर मजदूरों को भड़काकर इस व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर पूरे देश को कोरोना की बलि चढ़ाना चाहती हैं।
रेलों का 85 फीसदी खर्च उठाने वाली सरकार किराया क्यों वसूलेगी?
श्री शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला प्रवासी मजदूरों की आवश्यकताओं और उनकी भावनाओं को ध्यान में रखकर ही लिया है। इसके लिये ट्रेनों के संचालन का 85 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठा रही है, जिसमें ट्रेनों के संचालन, मेडिकल सुविधाओं, वापसी आदि का खर्च शामिल है। बाकी 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारों को उठाना है और राज्य सरकार तथा रेलवे ही मिलकर यह तय करेंगे कि ट्रेन कहां तक जाएगी और कौन-कौन मजदूर उसमें जाएंगे। श्री शर्मा ने कहा कि जहां तक मामूली टिकट का सवाल है, तो इसका प्रावधान केंद्र सरकार या रेलवे ने मजदूरों से पैसा वसूलने या कमाई के लिए नहीं किया है, बल्कि यह प्रावधान सिर्फ इसलिए रखा गया है कि ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर भीड़ न हो, यात्रियों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके तथा यात्रा के दौरान हर जगह पर सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। दुर्भाग्य से रेल किराया देने की घोषणा करने वाली सोनिया गांधी इस बात को लेकर भी देश में अंधेरे में रखना चाहती है कि राजस्थान और महाराष्ट्र में उनकी सरकारों ने रेल किराया देने की घोषणा नहीं की है, जबकि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने इसके आदेश जारी करके स्पष्ट प्रावधान कर दिए है। लेकिन श्रमिकों को भड़काकर कांग्रेस यह चाहती है कि हर जगह भीड़ और अव्यवस्था हो, घर जा रहे प्रवासी मजदूर एक दूसरे को संक्रमित करें और अपने साथ देश के हर गांव में, हर घर में कोरोना वायरस लेकर जाएं।
तब्लीगियों का अधूरा काम पूरा करना चाहती है कांग्रेस
श्री शर्मा ने कहा कि इतिहास गवाह है, कांग्रेस ने कभी भी देश की जमीनी सच्चाई को देखकर कोई फैसला नहीं किया। कांग्रेस के लिए हमेशा अपना राजनीतिक स्वार्थ महत्वपूर्ण रहा है, चाहे इसके लिए देश को कितनी भी बड़ी कीमत चुकानी पड़े। श्री शर्मा ने कहा कि कांग्रेस को सिर्फ राजनीति की फिक्र है। उसे न गांवों की फिक्र है, न गरीबों की और न ही देश की। प्रवासी श्रमिकों को भड़काकर, देश में अव्यवस्था फैलाकर कांग्रेस सिर्फ अपनी स्वार्थसिद्धि चाहती है। श्री शर्मा ने कहा कि देश के ज्यादातर शहरों में कोरोना वायरस फैलाकर तब्लीगी जमातियों ने जो काम किया है, कांग्रेस अब प्रवासी श्रमिकों के जरिए देश के गांव-गांव तक कोरोना फैलाकर जमातियों के अधूरे काम को ही पूरा करना चाहती है।
लेकिन हम सोनिया गांधी एंड कंपनी को स्पष्ट कर देना चाहते है कि हमें एक एक भारतवासी की जान प्यारी है। हम सोनिया जी की घटिया राजनीति के लिए अपने देशवासियों के जीवन को संकट में नहीं डाल सकते। आज देश में नरेन्द्र मोदी जी की निर्णायक सरकार है, जो अपने विवेक से देश हित में फैसला लेने में सक्षम है।

Share:


Related Articles


Leave a Comment