शोभा ओझा पर गोविंद मालू का करारा प्रहार

शोभा ओझा पर गोविंद मालू का करारा प्रहार

सम्मान खोने का, पुरस्कार मिलना ही काँग्रेस में महिलाओं की नियति  ::- मालू
खबर नेशन / Khabar Nation
       म.प्र. राज्य खनिज विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष श्री गोविन्द मालू ने कहा कि "सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने पर भाजपा और संघ की सोच को कोसने वाली काँग्रेस की मीडिया प्रभारी को ना तो इतिहास का ज्ञान है, ना ही विषय की जानकारी (?), अपनी कुर्सी बचाने के लिए ऊलजलूल कागज काले करने का अपरिपक्व प्रयास है, उन्हें विरोध करने के लिए प्रशिक्षण की जरूरत है। श्री मालू ने अपने बयान में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की मीडिया सेल की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा का नाम नहीं लिया है । राजनैतिक हलकों में इसे लेकर चटखारे दार अंदाज में चर्चा की जा रही है । 
श्री मालू ने कहा कि मोहतरमा को जानना चाहिए कि,
 (1)"सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने या नही देने का फैसला सेना का होता है.
(2) महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन ना देने  के लिए काँग्रेस नेतृत्व वाली UPA  सरकार के समय सेना ने 2010 में निर्णय लिया था, उस पर उच्च न्यायालय में याचिका पर सेना के फैसले के ख़िलाफ़ हुए निर्णय पर आपकी UPA सरकार ने ही सुप्रीम कोर्ट में अपील क्यों की ?  तब महिलाओं के प्रति सोच के लिए आपके ज्ञान चक्षु क्यों नहीं खुले ?

(3) जो तर्क आज सुप्रीम कोर्ट में दिए गए वही तर्क आपकी मनमोहन सरकार के समय उच्च न्यायालय में भी दिए गए थे क्यों ? शाहबानों के फैसले के बाद कौनसी महिलाओं के पक्ष में तब आपकी केंद्र सरकार ने निर्णय बदला
(4) हर मामले में आरएसएस को बदनाम करने का काँग्रेस का पुराना इतिहास रहा है।जरा आप राष्ट्र सेविका समिति जो संघ का महिलाओं के लिए गैर राजनीतिक संगठन है उसमें जाकर जानिए, तो आपके पूर्वाग्रह दूर होंगें। सर संघ चालक जी नें किस सन्दर्भ में क्या कहा उसका आगे पीछे का कथन पढ़े बगैर, अपने अल्प ज्ञान से भरम में रहना और फैलाने से न तो कोई धारणा नही बनती, है ना जनमानस पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 
 (5) आदरणीय डॉ. मोहनराव जी भागवत के विचार के लिए नरेंद्र ठाकुर द्वारा संपादित *महिला विषयक भारतीय दृष्टिकोण* पुस्तक में जिज्ञासा समाधान शीर्षक पृष्ठ क्रमांक143से क169 और समापन  175से192 पृष्ठ पर उनके विचार जान सकते है। किसी भी चिंतक, विद्वान को बगैर पढ़े टिका टिप्पणी करना अंधेरे में डंडा चलाने जैसा है। संघ के खिलाफ अपने दिमाग की राख को फैलाने से, गुलामी और विदेशी सोच ही प्रकट होती है।
(6) संघ के समरसता, शुचिता, सादगी, अनुशासन के भाव की भाषा से भी काँग्रेस अनभिज्ञ है, तो इसे बुद्धि हीनता ही कहा जायेगा।संघ के सभी समविचारी संगठनों में महिलाओं को सम्मानित भागीदारी और नेतृत्व दिया जाता है।आपकी पार्टी जैसा परिवारवाद, वंशवाद नहीं है।
(7) महिलाओं के सम्मान की चिंता काँग्रेस को कितनी है, यह काँग्रेस में काम करने वाली महिलाओं के मन से पूछें। उन्हें पद प्राप्त करने,  उम्मीदवार बनने के लिए बहुत कुछ  त्याग करना पड़ता है,  इसलिए नारी अस्मिता,  सम्मान, स्वाभिमान, सशक्तिकरण पर काँग्रेस  के घड़ियाली आँसू विधवा विलाप है। तन्दूर और मगरमच्छ काण्ड लोगों को याद है।सरला मिश्रा के साथ कैसी सरलता बरती गई यह भी काला पृष्ठ है, जो लोगो के मानस पटल पर शर्मनाक रूप से अंकित है।सम्मान खोने का पुरस्कार मिलना काँग्रेस में महिलाओं की नियति है।

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