प्रदेश में कोविड-19 के प्रसार के लिए कमलनाथ सरकार का नाकारापन जिम्मेदार: रजनीश अग्रवाल

भोपाल। प्रदेश में कोरोना वायरस के प्रसार के लिए कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का नकारापन और लापरवाही ही जिम्मेदार है। केंद्र सरकार ने कोविड-19 के देश में आने से पहले ही सभी राज्य सरकारों को सचेत करना और इससे निपटने की तैयारी के लिए दिशा-निर्देश देना शुरू कर दिया था। लेकिन कमलनाथ सरकार ने न तो केंद्र सरकार का परामर्श माना और न ही अपनी तरफ से इस महामारी से मुकाबले के लिए कोई तैयारी की। अब जब कमलनाथ सरकार की लापरवाही का खामियाजा पूरा प्रदेश भुगत रहा है, तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी कांग्रेस पार्टी इसका ठीकरा श्री शिवराजसिंह चौहान की सरकार पर फोड़ रहे हें, जो शर्मनाक है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री रजनीश अग्रवाल ने कांग्रेस द्वारा शिवराज सरकार के खिलाफ किए जा रहे दुष्प्रचार की आलोचना करते हुए कही।

राहुल की चेतावनी का ढिंढोरा पीटने वाले बताएं केंद्र की बात क्यों नहीं मानी?

श्री अग्रवाल ने कहा कि कमलनाथ ने एक प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी द्वारा 12 फरवरी को दी गई कथित चेतावनी का जिक्र किया है। लेकिन इससे काफी पहले 08 जनवरी को ही प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार कोरोना वायरस को लेकर सक्रिय हो गई थी और 17 जनवरी को ही केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्यों को निर्देश जारी कर दिये थे। जबकि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इसके करीब 13 दिन बाद यानी 30 जनवरी को कोरोना वायरस को पब्लिक हेल्थ एमर्जेंसी घोषित किया था। श्री अग्रवाल ने कहा कि कमलनाथ को राहुल गांधी का महिमा मंडन करना है, तो करें, लेकिन प्रदेश की जनता को यह तो बताएं कि 17 जनवरी से 23 मार्च तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते उन्होंने कोरोना महामारी से निपटने के लिए क्या तैयारी की? केंद्र सरकार की चेतावनी और परामर्श पर क्या एक्शन लिया ?

‘राजनीतिक कोरोना’ ज्यादा अहम था कमलनाथ सरकार के लिए

श्री अग्रवाल ने कहा कि 17 जनवरी के बाद से केंद्र सरकार हर दूसरे-तीसरे दिन कोरोना महामारी को लेकर सभी राज्य सरकारों से संवाद करती रही। इस दौरान कोरोना वायरस की निगरानी और तैयारियों के संबंध में दिशा निर्देश दिये गए,  किए गए इंतजामों और उपलब्ध संसाधनों की समीक्षा की गई और देश में की जा रही व्यवस्थाओं की जानकारी दी गई। लेकिन दुर्भाग्य से केंद्र की इन बातों से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। 04 फरवरी को जब प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा कोरोना महामारी के संबंध में वीडियो कांफ्रेंस की जा रही थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ सलमान खान और जैकलीन के साथ आइफा अवार्ड की तैयारियों में डूबे थे। यही नहीं, बल्कि कमलनाथ जी ने विदेशों से आने वाले जमातियों के संबंध में भी केंद्र की गाइडलाइंस का सीधा-सीधा उल्लंघन किया। यहां तक कि उन्होंने मीडिया में बयान भी दिया कि उन्हें कोरोना से नहीं ‘पॉलिटिकल कोरोना’ से लड़ना है। कमलनाथ सरकार के इसी रवैये और सोच के चलते कोरोना महामारी को इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में पैर पसारने का मौका मिल गया।

कमलनाथ सरकार ने खतरे में डाला डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मियों का जीवन

श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में डॉक्टर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं, इसके लिए भी तत्कालीन कमलनाथ सरकार ही दोषी है। श्री अग्रवाल ने कहा कि 27 जनवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने वीडियो कांफ्रेंस में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से अनुरोध किया था कि वे व्‍यक्तिगत रूप से तैयारियों की समीक्षा करें। इसके साथ ही डॉ. हर्षवर्धन ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए उपकरण, मास्‍क आदि की खरीदी की बात भी कही थी। लेकिन कमलनाथ सरकार ने इस पर अमल नहीं किया। इसके बाद जैसे ही प्रदेश में कोरोना के मामले सामने आए, बिना सुरक्षा किट के काम कर रहे स्वास्थ्य अधिकारी, डॉक्टर और कर्मचारी वायरस की चपेट में आते गए। श्री अग्रवाल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपनी जानबूझकर की गई गलतियों का ठीकरा दूसरों पर नहीं फोड़ना चाहिए और कोरोना वायरस से निपटने में बरती गई आपराधिक लापरवाही के लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगना चाहिए।

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