500 करोड़ के शिवराज रद्दी में

राजनीतिक लाभ लेने के नजरिए से कराए गए शिवराज सरकार के कामों पर ग्रहण

खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कमलनाथ सरकार ने रद्दी के भाव पटक रखा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों ने पिछले डेढ़ साल के दौरान बेहिसाब तरीकों से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश का ब्रांड बनाने की गरज से फिल्म निर्माण , प्रिंटिंग मटेरियल , विज्ञापनों , और बिना वैधानिक स्वीकृति के लगभग तीन हजार करोड़ रुपए के आदेश जारी कर दिए । जिनमें से लगभग पांच सौ करोड़ के भुगतान आज भी लंबित है । मजेदार पहलू यह है कि लगभग इतनी ही राशि के बराबर की सामग्री मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों में रद्दी के तौर पर पड़ी हुई है । सारे घोटाले में जनसंपर्क विभाग के चंद अधिकारियों की भूमिका काफी संदिग्ध रही । शिवराज सिंह चौहान के एक खासुलखास अधिकारी ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों को सीधे निर्देशित करते हुए कई सारे काम सीधे भी करवा लिए ।

सूत्रों के अनुसार शिक्षा विभाग में पिछली सरकार के समय प्रकाशित स्कूली छात्रों के लिए प्रकाशित लगभग दस करोड़ रुपए की किताबें रद्दी में पड़ी हैं । इसकी वजह किताबों पर पिछली सरकार में मंत्री रही अर्चना चिटनिस का फोटो प्रकाशित होना रहा है । महिला बाल विकास विभाग में ही लगभग दस करोड़ की रद्दी पड़ी हुई है जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुशोभित हो रहे हैं । जनसंपर्क विभाग में लगभग सत्तर करोड़ रुपए के विज्ञापन शासन की बिना स्वीकृति आदेश के जारी कर दिए गए । लगभग दस करोड़ रुपए की फिल्मों के भुगतान भी जनसंपर्क विभाग में अटके पड़े हैं । 

इसी प्रकार स्थानीय निकायों में भी अंधाधुंध तरीके से काम करवाए गए । अब सरकार बदलने के बाद उन भुगतानों को वित्तीय संकट के चलते रोक रखा है ।
जनसंपर्क विभाग के माध्यम से हुए घोटाले को दबाने के लिए कल मध्यप्रदेश विधानसभा में जनसंपर्क विभाग के बजट कटौती प्रस्ताव पर चर्चा ही नहीं कराई गई । इसकी वजह सरकार और विपक्ष के बीच आपसी सहमति बन गई । सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि वर्तमान सरकार के एक प्रमुख राजनेता के इशारे पर जनसंपर्क विभाग में  एक बड़ी राशि का भुगतान कर दिया है । सूत्रों के अनुसार यह भुगतान सरकारी काम की आड़ लेकर कांग्रेस के चुनाव अभियान में प्रमुख भूमिका निभाने वाली एक एजेंसी के सहयोगियों की फर्मो को किया गया है । अगर कांग्रेस भाजपा सरकार के कार्यकाल पर मुखर होती तो भारतीय जनता पार्टी भी इस मामले में सरकार की कलई खोल सकती थी ।

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