तो शिवराज यहां से भी लड़ेंगे चुनाव

 

खबरनेशन / khabarnation

अब की बार दो सौ पार के नारे के साथ भाजपा मिशन 2018 का किला फतह करने की तैयारी कर रही हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनाव 2013 की तरह इस बार भी दो सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार शिवराज ने तैयारी भी शुरू कर दी हैं। और संगठन के एक आला नेता को इसकी जवाबदारी भी सौंप दी हैं।

पर यह तभी संभव हो पाएगा जब सारी राजनैतिक परिस्थितियां शिवराज के अनुकूल होगी। ऐसा इसलिए अगर गुजरात में भारी बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो अगले विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के सारे पत्ते केन्द्रीय नेतृत्व के हाथ में सिमट जाएंगे। अगर गुजरात के विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव से मजबूत स्थिति में नजर आई तो भाजपा में मोदी और अमित शाह के विरोधी लामबन्द हो सकते हैं। ऐसे में अपनी सर्वस्वीकार्यता बताने शिवराज सिंह चौहान दो विधानसभा सीटों पर दाव आजमा सकते हैं। 

राजनैतिक सूत्रों के अनुसार शिवराज ने अपने लिए भाजपा का गण माने जाने वाली भोपाल जिले की गोविन्द पुरा विधानसभा सीट पर अपनी नजरें गढ़ा ली हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी के आला नेता और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बार गोविन्द पुरा विधानसभा क्षेत्र से चुने  गए विधायक पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को पूर्ण रूप से घर बिठा देने के मुड में हैं। हालांकि गौर ने उन्हें मंत्री पद से हटाये जाने के बाद शिवराज की खुले तौर पर मुखालिफत शुरू कर दी हैं और वे दम ठोककर कहते आये हैं कि इस बार फिर वे चुनाव लड़ेंगे। हालांकि गौर अपने दावे के साथ-साथ अपनी बहु भोपाल की पूर्व महापौर कृष्णा गौर को भी चुनाव लड़ाये जाने के इच्छुक बताये जा रहे हैं। गोविन्दपुरा सीट पर बाबूलाल गौर या उनकी बहु के दावे को देखते हुए शिवराज अन्तिम समय में गोविन्दपुरा से चुनाव लड़ सकते हैं।विगत चुनाव में पूर्व वित्त मंत्री राघवजी के खिलाफ कार्यवाही से भाजपा के विरोध में विदिशा में माहौल बन गया था । जिससे निपटने शिवराज मैदान में उतर आये थे ।

आखिर गोविन्दपुरा ही क्यों.?

अपने सम्पूर्ण राजनैतिक जीवन में बाबूलाल गौर गोविन्दपुरा से लगातार दस बार निर्वाचित होते आये हैं। इस सीट पर उन्होंने विपरीत लहर में भी अपना परचम लहराया हैं । इसलिए माना जा सकता हैं कि गौर के दम के साथ-साथ भाजपा का मजबूत जनाधार यहां पार्टी के पक्ष में काम करेगा । भाजपा इस बात का खतरा भी नहीं उठाना चाहती हैं कि अगर गौर की बजाय किसी अन्य को प्रत्याशी बना दिया तो कहीं हार का सामना ना करना पड़े। इसलिए भाजपा और शिवराज सारे पत्ते अपने हाथ में रखने के मुड में हैं।

 

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