शिवराज से भाईयों ने बनाई दूरी

कुर्सी तो गईं ....?

खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अब उनके किसान भाईयों ने दूरी बनाना शुरू कर दी है। कल भोपाल के जम्बूरी मैदान पर आयोजित किसान सम्मेलन शिवराज सिंह चौहान की आज तक की राजनीतिक यात्रा में बुरी तरह फ्लाप साबित रहा।

आखिर क्या वजह रही? किसानों के मसीहा और उनके खैरखव्हाह से किसानों ने दूरी बनाई।

पिछले तेरह सालों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खेती को लाभ का धंधा बनाने दिलों जान से जुटे हुए हैं। भरपूर बिजली, सिंचाई का रकबा, जीरो ब्याज पर लोन , ओला पाला और प्राकृतिक आपदाओं में किसानों की भरपूर मदद , भावातंर योजना के बाद भी कल किसान सम्मेलन में किसानों ने दूरी बना ली।

मिशन 2018 के लिए इसे तगड़ा झटका माना जा सकता है।

शिवराज ने इस सम्मेलन की जबाबदारी जिन लोगों को सौंपी गई थी अगर वे ही इस सम्मेलन में आ जाते तो लक्ष्य से अधिक भीड़ जुट सकती थी। सरकार और संगठन ने दो लाख किसानो के भाग लेने का दावा किया था । सम्मेलन को सफल बनाने की जबाबदारी प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को सौंप दी गई थी। सरकार ने इस बार संगठन पर भी भरोसा नहीं किया। चुनावी साल में शिवराज को यह कदम काफी घातक साबित हो सकता हैं

शिवराज को भी यह झटका सबक भरा माना जा सकता है कि जिस ब्यूरोक्रेसी के दम पर वे चौथी बार भाजपा की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं उसी ने आखिरी साल में शिवराज का साथ छोड़ दिया ।

अब बात किसानों की मध्यप्रदेश के सरकारी रिकार्ड के अनुसार लगभग अठासी लाख किसान हैं । जिनमें से लगभग दस लाख किसानों को 1670 करोड़ रुपये का तोहफा सरकार ने दिया है। इसी के साथ ही लगभग पौने अठारह लाख किसानों के लोन का ब्याज सरकार ने माफ कर दिया है। सम्मेलन में किसानों की संख्या एक प्रतिशत भी न पहुँच पाए तो इसे क्या माना जाए।

पिछले दो साल से किसान सरकार से भयंकर नाराज हैं। नाराजगी की वजह सरकारी घोषणाओं और योजनाओं का जमानी स्तर तक क्रियान्वयन न हो पाना रहा हैं। इसी प्रकार ग्रामीण इलाकों में बिजली की उपलब्धता और तकनीकी समस्याओं का लंबे समय तक निराकरण न होना हैं।

राजस्व मामलों को लेकर भी स्थिति काफी खराब बताई जा रही है। पिछले लगभग तीन माह से लगातार मुख्यसचिव की मानिटरिंग के बाबजूद राजस्व प्रकरण के निराकरण में उल्लेखनीय सुधार न हो पाना है ।

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