दिन में योग, रात में बीफ पार्टी

 

 

डॉ लता ने योग के गिरते स्तर पर जताई चिंता, सभी पदों से दिया इस्तीफा

 

योग को संक्रमण से बचाने ठोस कदम उठाने का प्रधानमंत्री से आग्रह

 

खबर नेशन/ Khabar Nation 

 

भोपाल। योग के नाम पर हो रही दुकानदारी और बढ़ते पूंजीवाद पर गहरी चिंता जताते हुए प्रदेश की जानीमानी योगाचार्य और योग प्रशिक्षक डॉ आरएच लता ने योग संस्थाओं के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने योग को लेकर फैले बाजारवाद और उसकी गम्भीरता पर नीति बनाने का आग्रह करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है। डॉ लता ने वाइस प्रेसिडेंट, इंडियन योगा एसोसिएशन एमपी चेप्टर सहित अन्य सभी योग संस्थाओं के  दायित्वों से त्यागपत्र दे दिया है। डॉ लता ने अपने त्याग पत्र में उल्लेख किया है कि मैं पिछले 27 वर्षों से योग के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका में रही हूं। योग चिकित्सा और योगिक जीवन के प्रति जागरूक लाना मेरा उद्देश्य रहा है। न्यूरो डिसआर्डर पर योग डायबिटीज पर मेरी सिद्धता रही है। अब तक रिकॉर्डेड एक लाख से भी ज्यादा मेरे हितग्राही रहे हैं।मैंने कई रीसर्च पेपर और रीसर्च प्रोजेक्ट्स में काम किया और उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। 1995 में योग के प्रति रुझान होने पर अपनी विश्व विद्यालय की सरकारी परमानेंट नौकरी छोड़कर इस क्षेत्र को अपना ध्येय बनाया। कालांतर में योगा प्रेक्टिस के साथ साथ अन्य पदों पर रही पर योग का काम कभी भी बंद नहीं किया। लेकिन अब इन सब से विराम लेने का समय आ गया है।

 

योग के मूल स्वरूप को बचाने  व संरक्षित करने की जरूरत:

 

डॉ आरएच लता ने योग से जुड़ी संस्थाओं के सभी पदों से इस्तीफा  देने के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर इसे संरक्षित करने के साथ इसे बाजारवाद के चंगुल से बचाने का आग्रह किया है। अपने पत्र में डॉ लता ने लिखा है कि भारत की सत्य सनातन विधा योग के मूल स्वरूप को बचाने और संरक्षित करने की जरूरत है। 'योग' को लोग प्रयोग तो करते थे पर स्वीकार नहीं करते थे। आपने विश्व स्तर पर इसके मान को स्थापित किया है। डॉ लता ने लिखा है कि योग भारत में थोड़ा और कुछ प्रसिद्ध योग गुरुओं के माध्यम से लोगों के संज्ञान में रहा। परंतु जब आपने बहुत अच्छी तरह इसे विश्व और आयुष विभाग के माध्यम से स्थापित किया तो लोगों ने इसकी महत्ता को समझा और स्वीकार किया लेकिन इसके बाद इसके बढ़ते बाजारीकरण को देखते हुए देश भर में प्रत्येक विश्वविद्यालय, योग संस्थान, आयुष विभाग, स्किल इंडिया इत्यादि तमाम संस्थानों द्वारा कोर्स कराए जाने की बाढ़ सी आ गई। योग की महत्ता को स्थापित करने के लिए आपने बहुत अच्छी योजनाएं और व्यवस्थाएं दी है पर इस ओर ध्यान दिया जाए  कि योग किस दिशा में जा रहा है। 

 

धर्मांतरण में हो रहा योग का उपयोग :

 

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में डॉ लता ने उल्लेख किया है कि सबसे गंभीर और ध्यान देने की बात है कि योग का प्रयोग अब धर्मांतरण में भी हो रहा है। जहां उसके मूल स्वरूप को लोगों के बीच भ्रमित करके बताया जाता है। अब न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी योग का नया स्वरूप क्रिश्चियन योगा आकार ले रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि हमारे देश में ही कुछ ख्याति प्राप्त संस्थानों ने अपने आप को उसी परिपाटी में ढाला हुआ है, बस उनके नाम स्वदेशी है। डॉ लता ने लिखा है कि मैं एक जागरूक भारतीय होने के नाते अनुरोध है कि योग को संक्रमित होने से बचाने के लिए कुछ ठोस निर्णय और नियमावली विश्व स्तर पर बनाइए, यह अति आवश्यक है। क्रिश्चियन योगा वाले अपने नए योगा स्वरूप को एक चुनौती के साथ लाने वाले हैं।

 

योग के नाम पर चल रही लोगों की दुकानदारी :

 

प्रधानमंत्री को संबोधित अपने पत्र में डॉ लता ने लिखा है कि मैं पिछले 27 वर्षों से योग क्षेत्र में सक्रिय रही हूं। इस क्षेत्र में बहुत उल्लेखनीय कार्य करने को भी मिला। पर पिछले सिर्फ दो सालों के अनुभव ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है और योग को सिर्फ अपने तक ही सीमित करने का मैंने निर्णय लिया है। हालांकि इससे किसी को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं पर मैं किसी गलत की साक्षी नहीं बनना चाहती। मुझसे यह देखा नहीं जा रहा है कि कुछ तथा कथित बड़े लोगों के बड़े शहरों में योगा स्टूडियो है जो दिन में योग पर ज्ञान देते हैं और रात में बीफ पार्टी करते हैं। मैं समय-समय पर इन मुद्दों पर आवाज उठाती रही हूं पर सभी जिम्मेदार लोगों और संस्थानों को सिर्फ अपनी अर्थिक चिंता है, उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं कि योग किस दिशा में जा रहा है।

 

 

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