प्रमुख सचिव के रिश्तेदार ने किए महिलाओं के पर्स चेक

विभाग की मंत्री अर्चना चिटनिस बचा रही आरोपी अधिकारी को
 

खबरनेशन / Khabarnation
 

मध्यप्रदेश के एक प्रमुख सचिव के रिश्तेदार ने अपनी विभाग की महिला कर्मचारियों के पर्स चेक करने के साथ साथ उनसे अशलील संवाद तक कर डाला। विभाग की मंत्री अर्चना चिटनिस इस पूरे मामले में शिकायत होने के बावजूद अधिकारी को बचाती हुई नज़र आ रही है।
 

भिंड जिले के महिला बाल विकास के डी.पी.ओ. ने महिलाओं की पहली मीटिंग में बद्तमीजी की सारी हदें पार कर दी। सेक्टर सुपरवाइजरों की पहली मीटिंग में प्रारम्भ होते ही सभी के मोबाइल जमा कराए गए ताकि उनका वीडियो न बन सके। इसके बाद एक एक करके सभी महिलाओं के पर्स चेक किये। महिलाओं के पर्स में रखी रसीदों को लेकर पूछा गया कि ये सामान लेने कब गई, क्यों गई, ग्वालियर या अन्य स्थान की रसीद का मतलब है आप वहां गई। पर्स में रखे क्रीम पाउडर की एक्सपायरी डेट भी डी.पी.ओ. ने देखी। उनके इस रवैये से महिलाओं में रोष व्याप्त हैं। अपने एक साथी को मीटिंग में बिठाकर सारी मीटिंग का संचालन भी उसी से कराया गया। किसी प्रायवेट व्यक्ति को महिलाओं की मीटिंग में बिठाने और उससे मीटिंग करवाना कहाँ तक उचित है?
 

नए डी.पी.ओ. विष्णोई ने मीटिंग में अपना रुतबा दिखाते हुए कहा कि किसी नेता का फोन किसी ने करवाया तो उसकी नौकरी खा जाऊंगा। वे यहीं नही रुके इसके बाद बोले कि प्रमुख सचिव कंसोटिया मेरे रिश्तेदार हैं। मेरा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता। मैं अपने साथ कोई सामान नही रखता, सिर्फ लिफाफे का इंतजार करता हूँ।
 

डी.पी.ओ. के इस व्यवहार से महिला कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त हैं। महिला कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हम लोगो के बैग चेक क्यों किए गए । लाली लिपिस्टिक , क्रीम पाउडर देखने का इन्हें क्या अधिकार हैं। इस घटना का दुखद पहलु यह हैं कि महिला मंत्री होने के बाद भी पीडि़त महिला सुपरवाइजरो की सुनवाई नहीं हो रही बल्कि मंत्री आरोपी अधिकारी को बचाने के लिए प्रयास करती दिख रही हैं। हद तो यह हैं कि वह उसे बचाने के लिए झूठ तक बोलने में नही हिचक रही है। पिछले दिनो पत्रकारों के सवाल पर मंत्री चिटनिस ने कहा था कि इस घटना की जांच ग्वालियर जेडी को सौप दी गई हैं। मंगलवार तक रिपोर्ट मांगी गई हैं और आज मंगलवार को जब इस संबंध में उनसे जानकारी ली गई तो उनका कहना था कि अभी तक जांच रिपोर्ट आई नही हैं। अगर जांच रिपोर्ट कल तक नही आई तो रिमाइंडर भेज कर जांच रिपोर्ट नही भेजने का कारण पूछा जायेगा। जबकि हकीकत यह हैं कि  ग्वालियर जेडी एच के शर्मा को जांच करने संबंधी कोई आदेश ही नही मिला हैं। उनका कहना हैं कि उन्हे जांच के लिए न तो लिखित आदेश मिला हैं और न ही मौखिक इसलिए जांच का सवाल ही नही उठता हैं।

अब सवाल यह उठता है कि जब जांच हो ही नही रही हैं तो रिपोर्ट आयेगी कैसे। लेकिन यह बात माननी पड़ेगी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मंत्री सार्वजनिक रूप से भी झूठ बड़े विश्वास से बोलने लगे हैं। यहां हम यह भी बता दे कि बी एल विष्णोई नामक यह अधिकारी कमाउ पूत की तरह हैं उन्हे भ्रष्टाचार व महिला कर्मचारियो के यौन उत्पीडऩ के चलते हाल मे ही दतिया से हटाया गया था। उनके खिलाफ जांच भी जारी हैं। लेकिन सेटिंग के चलते वह पास के जिले भिंड में पदस्थापना लेने में सफल रहे।

Share:


Related Articles


Leave a Comment