मोदी और शाह को संजय जोशी से भय क्यों ?

भाजपा स्थापना दिवस और संजय जोशी के जन्मदिन के मौके पर भाजपा की महिला कार्यकर्ता ने साधा निशाना

खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के नीमच जिले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी रही भाजपा की कार्यकर्ता प्रीति बिड़ला ने भाजपा के आला नेताओं को आईना दिखाने का साहस दिखाया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर वरिष्ठ पत्रकार की वाल से गुस्ताख़ी माफ़ में इस बार....
जो खैरात में मिलती कामयाबी तो हर शख्स कामयाब होता, फिर कदर न होती किसी हुनर की,और न ही कोई शख्स लाजबाब होता...

इन लाइनों के साथ पिछले 13 साल से अपने मन के द्वंद को आज खत्म कर रही हूँ । बहुत सोचा, शायद पिछले 13 साल से हर पहलू पर सोचा, फिर लगा कि अपने विचारों को मन मे क्यो रखना। संविधान ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो दी ही है, और सच बोलने और लिखने में क्या सोचना। फिर भी मेने 13 साल सोचने में निकाल दिए...
 
6 अप्रैल भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस यानी भाजपा का जन्मदिन, और इसी दिन भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संजय जोशी जी का भी जन्मदिन है। संजय जोशी जी ,एक ऐसा नाम जो भाजपा, संघ नही पूरे देश मे जाना पहचाना नाम है। कोई उन्हें भाजपा के कारण, कोई उन्हें संघ के कारण, कोई उन्हें पॉवरफुल राजनीतिक चेहरे के कारण तो कोई उन्हें उनकी सेक्स स्केंडल सीडी के कारण जानता है। राजनीति में खास कर भाजपा में कैसे किसी व्यक्ति की चारित्रिक हत्या कर उसकी राजनीतिक हत्या की जाती है। अगर यह देखना है तो संजय विनायक जोशी जी का जीवन देख लो। कैसे संजय जोशी जी को षड्यंत्र रचकर हाशिये पर डाल दिया गया, क्यो..? क्योकि कुल से ब्राह्मण, शिक्षा में मेकेनिकल इंजीनियर, प्रोफेसर रहे संजय जोशी की सोच, लक्ष्य कभी घटिया ,षड्यंत्र वाली राजनीति के पक्ष में कभी नही हो सकती थी । उनके न होने से आज भाजपा का जो सैद्धान्तिक पतन हुआ, वो कभी नही हो सकता था।

आज भाजपा में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री की वैल्यू क्या है। ये किसी से नही छुपा, एक न्यूज पेपर ने एक तस्वीर दी थी एक बार, जिसमे भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल जी जिस कातर नजरों से राष्ट्रीय अध्यक्ष  की तरफ देख रहे थे। जैसे कि अगर एक कृपा भरी नजर में वो धन्य हो जायेगे। उस फोटो को देख कर याद आया कि एक राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संजय जोशी हुआ करते थे। जिन्होंने संघ के कहने पर तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी जी से जिन्ना की मजार पर जाने के बदले इस्तीफा ले लिया था। ये आत्मविश्वास संजय जोशी में ही हो सकता था। क्योकि अपनी काबिलियत के दम पर वो उस जगह पहुचे थे।
 आज जिस गुजरात मॉडल की बात करते इस देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रीय अध्यक्ष  थकते नही है, जरा अपने दिमाग पर जोर डालकर याद तो कीजिए कि गुजरात मे भाजपा सरकार की नींव का पत्थर कौन है..?आज भी गुजरात का कार्यकर्ता संजय भाई जोशी के समर्पण को मेहनत को नही भुला पाया पर भाजपा व संघ भूल गया।

कुछ दिनों पूर्व ही भोपाल पत्रिका के लास्ट पेज पर एक न्यूज थी कि इशरत जहां केस में गुजरात सरकार ने डीजी बंजारा और एन के अमीन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया था। यह जानकारी सीबीआई ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश जेके पंड्या की अदालत में दी तो लगा कि वाकई सरकार का कितना दुरुपयोग किया राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह  ने। गुजरात के पुलिस अधिकारी डीजी बंजारा ही थे । जिन्होने 2005 के भाजपा के मुंबई राष्ट्रीय अधिवेशन में संजय जोशी की फर्जी सेक्स सीडी बंटवाई थी। उन डीजी बंजारा को बचाना तो बनता ही है ना। क्योकि अगर संजय जोशी को उस दिन रास्ते से नही हटाया होता तो आज इस देश की सर्वोच्च सीट पर अधिकार संजय जोशी का होता।

एक बात समझ नही आई कि जब फॉरेन्सिक जांच में वो सीडी फर्जी पाई गई। तो फिर संजय जोशी की वापसी संगठन महामंत्री पद पर क्यो नही हुई..? एक बार के लिए मान भी लिया जाए कि वो सीडी असली थी, पर इसमें अपराध क्या..? क्या सीडी वाली महिला ने संजय जोशी के खिलाफ कोई शिकायत की थी। या इस देश में स्त्री पुरूष के बीच में आपसी सहमति से बने सम्बंध अपराध है ? फिर क्यो संजय जोशी को राजनीतिक वनवास दिया गया..? ये प्रश्न आज मेरा भाजपा व संघ से भी है क्योकि जिस संजय जोशी ने अपना पूरा जीवन संघ व भाजपा को समर्पित कर दिया। उस इंसान के साथ इतना घिनोना षड्यंत्र हुआ, और संघ की मूक सहमति समझ से परे है..?

 एक और संजय जोशी को बिना अपराध के सजा दी गयी । और दूसरी ओर अमित शाह जिनके खिलाफ हत्या, फिरौती, फर्जी मुठभेड़, गवाहों को डराने, न्यायिक प्रक्रिया को धता बताने और महिलाओं की खुफियागिरी करने जैसे तमाम आरोप लगे। जिस सेक्स सीडी को संजय जोशी की बताया गया, वो सोहराबुद्दीन की व उसकी पत्नी की थी । शायद, इसलिए सोहराबुद्दीन का फर्जी एनकाउंटर भी कराया गया । उस केस के अहम गवाह ने कोर्ट में अमित शाह पर बयान पलटने के लिए दबाव डालने का बयान भी दिया। पर कितनी आश्चर्य की बात है ना कि  2014 में जैसे ही नरेंद्र मोदी जी इस देश के प्रधानमंत्री बनते हैं, सारे केस से अमित शाह बरी हो जाते हैं, ।उनकी  ससम्मान ताजपोशी कर दी जाती है। यही से शुरू होता है भाजपा व संघ का सैद्धान्तिक पतन।

56 इंची सीने पर गर्व करने वाले इस देश के प्रधानमंत्री  व राष्ट्रीय अध्यक्ष , आखिर आपको इतना भय संजय जोशी से क्यो..? ये समझ नही आया, उनको जब सिर्फ राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति में नितीन गडकरी जी ने लिया तो 56 इंची सीने ने इसी पार्टी को, जिस पार्टी ने आपको दिल्ली से सीधे गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया। तीन बार आपकी ताजपोशी की। उसी पार्टी के लिए उत्तरप्रदेश में विधानसभा में चुनाव प्रचार करने को मना कर दिया ।और शर्त रखी कि संजय जोशी को बाहर किया जाए, और वाकई संजय जोशी ने पार्टी हित को देखते हुए तुरन्त इस्तीफा दे दिया। शायद इसलिए हम जैसे लाखो कार्यकर्ताओं के आदर्श है वो, चाहते तो दिल्ली में बैठे बैठे गुजरात सरकार जो बिल्कुल बॉर्डर पर बनी ,बनने नही देते ।पर संघ विचारों को अपने जीवन मे जीने वाले संजय विनायक जोशी सत्ता व स्वार्थ की इस भूख से कही आगे है।.जिन तक पहुच पाना किसी 56 इंची या षड्यंत्र में माहिर अध्यक्ष के बस की बात नही है।

पिछले 55 महीनों में भाजपा के नीव के पत्थर कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी हो या मुरलीमनोहर जोशी हो या राजनाथ सिंह हो या सुषमा स्वराज हो या नितिन गडकरी हो या रामलाल जी हो या वंसुधरा राजे हो या शिवराज सिंह चौहान हो या रमन सिंह हो, सभी को सिर्फ मोदी और शाह की कृपादृष्टि का इंतजार रहता है कि ये देवता रुष्ट ना हो जाये । बस, फिर रातिजगा देना पड़े या धूप ध्यान करना पड़े या फिर प्रसाद चढ़ाना पड़े।अगर संघ की बात करे तो मोहनराव जी भागवत हो या भेया जी जोशी हो, सुरेश सोनी जी हो या दत्तात्रेय जी हो..संघ के मुद्दे पर कब इनकी सुनी गई। बचपन से शायद 10 साल की उम्र से दिमाग में बिठा दिया गया था कि रामजन्मभूमि, पर मंदिर बनाना।धारा 370 हटाना संघ का उद्देश्य है, आज भी बहुत से लोगो को ये नही पता होगा कि आखिर धारा 370 है क्या? पर हम जैसे को बचपन से पता है... बहुत नारे लगाये.... कश्मीर हिंदुस्तान का नही किसी के बाप का... जहां हुए बलिदान मुखर्जी. वह कश्मीर हमारा है। एक और नारा लगाते थे हम...1992 में बाबरी ढांचे के ढहने के बाद.. कि ये तो पहली झांकी है. अभी मथुरा काशी बाकी है। अब कोई पूछे इनसे की क्या हुआ..? कब हम मथुरा काशी को मुक्त करेंगे, क्योकि अभी तो राम मंदिर ही नही बना। धारा 370 कब हटेगी ? शायद हमारी अगली पीढ़ी भी यही नारे लगाती रह जायेगी और मोदी और अमित शाह जैसे गुजरात में संघ, हिंदुत्व को खत्म कर चुके है वैसे एक दिन इस देश में संघ का अस्तित्व नही रहेगा। सरदार पटेल की भव्य मूर्ति बनाई, स्वच्छता अभियान में गांधी जी को आदर्श बनाया, अच्छा किया ,आखिर कांग्रेस के नेता थे जिसे आपने कांग्रेस से छीनने की कोशिश की क्योकि आपके पास डॉ हेडगेवारजी ,परम् पूज्य गुरुजी, बालासाहेब देवरस जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, सावरकर जैसे ही आदर्श के नाम पर है । आपकी नजर में तो इन्होने कभी कुछ किया ही नही तो फिर इन्हें सम्मान क्यो देना..?

वैसे भी भाजपा में अब निर्णय मोदी और शाह ही करते हैं.. और इनकी सोच के हिसाब से ही सब कुछ होता है। कुछ लोगो को ये गलतफहमी हो सकती है कि संघ की चलती है तो वो मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम पर नजर डाल लें और अपनी गलतफहमी दूर कर ले। भाजपा की यहाँ ये दुर्गति इस बात का स्पष्ट संकेत है कि ये वो पंडित दीनदयाल उपाध्याय की एकात्म मानववाद के सिद्धांतों वाली भाजपा नही है । यहां तो अब गुंडाराज है, जितना आप भाजपा को संघ को हिंदुत्व को गाली दोगे, अमित शाह जैसे देवता खुश होकर आपको टिकिट देगे। जितना आप महिलाओं का अपमान करेंगे।जितना उनका शोषण करेंगे आपकी टिकिट की योग्यता में बोनस अंक जुड़ जाएंगे।अमित शाह के सिपाहियों की नजर पड़ते ही आपका भाग्य बदल जायेगा।

एक समय भाजपा की विचारधारा का मूल संघ था ।पर आज संघ की विवशता देखो कि गोविंदाचार्य जी, संजय जोशी जी जैसे प्रचारक जिन्होंने संघ के एक निर्देश पर कभी स्वयं के अस्तित्व की परवाह नही करी, आज भाजपा में कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोगो ने ऐसे समर्पित प्रचारकों के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया।

संघ की भूमिका वाकई बहुत दयनीय है। आपराधिक व्यक्तित्व के नेतृत्व को शिरोधार्य करने को मजबूर है संघ। क्योकि शायद आज भी भरम बना हुआ है कि अगर इस बार सत्ता में आये तो शायद राममंदिर व धारा 370 पर कुछ तो होगा ही । इस भरम में संजय विनायक जोशी जैसे कितने ही योग्य स्वयंसेवकों की बलि ले ली।पर फिर भी संजय जोशी जैसे व्यक्तित्व बिरले होते हैं ।जो इतनी उपेक्षा के बावजूद आज भी संघ के स्वयंसेवक बने हुए हैं।और इन 13 सालों में मैने हजारों लाखो कार्यकर्ताओं को हर जगह से निराश होकर उनके यहां उम्मीद के दीपक जलाते देखा।फिर भले ही मोदी और शाह की जोड़ी ने उनसे बंगला खाली करवाने जैसे छोटी हरकत की। फिर भी 6 अप्रैल को भाजपा के जन्मदिन पर भाजपा कार्यालय की बजाय कार्यकताओं का हजारों की सँख्या में संजय विनायक जोशी के यहां जुटना इस बात का संकेत है कि साफ नियत से करे हुए कर्म कभी खाली नही जाते।

भाजपा व संघ के सिद्धांतों को जीने वाले व्यक्तित्व संजय विनायक जोशी को जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनाएं..... माँ बगलामुखी आपको हम जैसे लाखो कार्यकर्ताओं की उम्मीद का दीपक बनाये रखे सदा।

Share:


Related Articles


Leave a Comment