आखिर कहाँ चूकी मध्यप्रदेश भाजपा


भीड़ को कौन सा मुद्दा खा गया

खबर नेशन / khabar Nation

संगठन के प्रति समर्पण , विचारों के प्रति कट्टरता , लामबंद अनुशासित , प्रबंधन के माहिर मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता महाकुंभ में ऐसा क्या हुआ कि पार्टी के अंदर दहशत फैल गई । विश्व की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी का दंभ भरने वाले संगठन में नेताओं के चेहरों पर भले मुस्कान हो लेकिन साथियों से नजरें छुपाने के नजारे भी नजर आ रहे हैं। भाजपा के अंदरखाने में कारण तलाशें जा रहे हैं कि समर्पित कार्यकर्ता कहाँ गया । क्या वजह रही ? 
जितने मुँह उतनी बातें । मुख्य विपक्षी दल काँग्रेस के द्वारा कार्यकर्ता महाकुंभ के असफल साबित होने के उपहास भरे अंदाज का भाजपा जोरदार जबाब नहीं दे पाई है । जो जबाब भी आ रहे हैं या तो वे खिसियाहट भरें हैं या फिर मरे मन से बोले बयान ।
जमीनी कार्यकर्ता खुद पूछ रहा है कितनी भीड़ होगी आपके हिसाब से ।
 वल्लभ भवन के गलियारों में कर्मचारी अधिकारी इसे सपाक्स और अजाक्स से उपजे आंदोलन , आरक्षण को लेकर फैले हुए वैमनस्य को बता रहे । इन संगठनों से जुड़े अधिकारी कर्मचारी खुला दावा कर रहे है कि सरकार की रीति नीति से भाजपा का कार्यकर्ता ही जमकर नाराज है ।
कुछ कार्यकर्ता इसे खुलकर भाजपा संगठन और सरकार में बैठे लोगों से मिली उपेक्षा का प्रतिकार कहने से नहीं हिचक रहे हैं । 
कुछ लोगों की नजर में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की गिरती लोकप्रियता से कार्यकर्ता में उपजी हताशा को व्यक्त कर रहें है । मोदी सरकार की नोटबंदी , जी एस टी, पेट्रोलियम पदार्थों की बढते दामों , देश से भागते बैंक के डिफाल्टरों , और राफेल विमानों की खरीदी में भ्रष्टाचार से जनता में गिरती भाजपा की साख से बढी नाराजगी बता रहे हैं तो मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार की गिरती लोकप्रियता , जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा पूर्ण व्यवहार से कार्यकर्ता को नाराज बता रहे हैं। शिवराज सरकार द्वारा राजनैतिक कार्यक्रमों में अफसरशाही को दी जाने वाली जबाबदारी को भी कार्यकर्ता कारण बता रहे है। कार्यकर्ता का तो यहाँ तक दावा है कि इसी वजह से कार्यकर्ता कम सरकारी योजनाओं के हितग्राही कार्यकर्ता महाकुंभ में ज्यादा नजर आए ।
भाजपा संगठन इस आयोजन को सफल बनाने में जी जान से जुटा था। वैकल्पिक तौर पर निजी साधनों के साथ साथ ट्रेन के भी अरेंजमेंट किए गए लेकिन ट्रेन खाली तो रही ही। बस आपरेटरों द्वारा अंतिम समय में हाथ खींचना भी रहा । बताया जा रहा है सरकार द्वारा कराए गए पूर्व के आयोजनों में लगाई गई बसों का किराया आज तक नहीं चुकाया गया है ।

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