हाथी से कांग्रेस ही नही बीजेपी की चाल भी बिगड़ेगी ग्वालियर चंबल में
ग्वालियर चंबल की 16 सीट्स पर बसपा के प्रभाब का आंकलन
मध्यप्रदेश की 24 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होना है । खबर नेशन / Khabar Nation के पाठकों के लिए चंबल ग्वालियर की 16 विधानसभा सीटों की राजनीतिक तासीर बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर अजय खेमरिया
बसपा मप्र में होने वाले सभी उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगी यह खबर बेहद अहम है।न केवल बीजेपी बल्कि कांग्रेस के लिए भी नए सिरे से चुनावी रणनीति बनाने की जरूरत पड़ेगी। जिन 24 सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से 16 सीटे ग्वालियर चंबल की है और इनमें से मेहगांव,जौरा,सुमावली,मुरैना,दि
असल में कुछ सीटो पर जातीय गोलबंदी इस कदर हावी है कि उस जाति को हराने के लिए बीजेपी के परम्परागत वोटर भी बसपा के साथ जाने से परहेज नही करते है।खासकर भिंड और मुरैना जिलों में यह गोलबंदी न केवल सवर्ण बल्कि दबंग ओबीसी जातियों के मामले में भी प्रमाणित हो चुकी है।
मसलन मुरैना,सुमावली,में गुर्जरों के विरुद्ध बसपा के कोर वोटर जाटव ब्राह्मण,कुशवाह,उम्मीदवार के साथ चले जाते है।जौरा की सीट पर ठाकुर जाती के विरुद्ध किरार,कुशवाहा के साथ जाटव और दूसरी जातियां लामबंद होती रही है इसलिए यहां बीजेपी नुकसान उठाती रही है।जौरा से मनीराम धाकड़, सोनेराम कुशवाहा बसपा से एमएलए बन चुके है।
सुमावली से एदल सिंह खुद दो बार बसपा से जीत चुके है।
वेसे बसपा का कोर वोटर जाटव हाथी निशान न होने पर कांग्रेस को ही वोट करता है यह भी एक प्रमाणिक ट्रेंड है।डबरा,अशोकनगर,ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व,भांडेर,करैरा,मेहगांव,गो
कुल मिलकर बसपा के चुनावी मैदान में आने से अंचल के चुनावी समीकरण अधिकतर जगह त्रिकोणीय हो गए है।बीजेपी कांग्रेस के टिकट से वंचित नेताओं के लिए बसपा ने अपने द्वार खोल कर मतदाताओं के सामने तीसरी पसन्द भी उपलब्ध करा दी है।