ट्रेक्टर ट्रॉली की अदला बदली कांड में जांच को कमजोर करने के लिए बनाया दबाव

देवास के कन्नौद खातेगांव का है,,,,

पत्रकार/मीडिया को रोका कवरेज करने से ताकि मामला उजागर ना हो सके 
कल्किराज डाबी / खबर नेशन /Khabar Nation

 कन्नौद: खातेगांव वन परिक्षेत्र में ट्रेक्टर ट्रॉली से हो रही सागवान लकड़ी की तस्करी के मामले में वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों में लकड़ी तस्कर से सांठगांठ कर ट्रेक्टर ट्रॉली को बदल कर भंगार ट्रेक्टर ट्रॉली की जप्ती दिखाई थी, जिस मामले की पोल खोलने के बाद शिकायत विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को की गई थी, उसके बाद संभाग स्तर से जांच दल गठित कर जांच 30 अक्टूबर शुक्रवार से चल रही है। लेकिन जांच के दौरान सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खातेगांव रेंज अधिकारी व वन कर्मियों के द्वारा सुनियोजित तरीके से वन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राघवेंद्र तिवारी सहयोगी सदस्य शर्मा, मिश्रा, जो वर्तमान में वन मंडल कार्यालय देवास में यूडीसी के पद पर कार्यरत है। तथा वन परिक्षेत्र  खातेगांव के समस्त अधिनस्थ वन विभाग का स्टाफ वन मंडल देवास के चुनिंदा स्टाफ को एकत्रित कर  दिनांक 31 अक्टूबर 2020 शनिवार को कन्नौद वन परीक्षेत्र कन्नौद में सैकड़ों की संख्या में जांच को प्रभावित करने के लिए जमावड़ा किया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वन कर्मचारी संघ देवास के अध्यक्ष राघवेंद्र तिवारी ने जांच दल के संयुक्त अधिकारी सदस्य कैलाश वर्मा को जांच करते रोक कर  बाधा उत्पन्न कर उनके कार्यालय से बाहर वन परिक्षेत्र कन्नौद में बुलाया गया जहां पर सैकड़ों की तादाद में वन कर्मी तमाशा बिन माहौल बना कर कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी मनमानी करने आए थे जिस कारण 2 घंटे जांच रुकी रही वन कर्मचारी संघ देवास के अध्यक्ष राघवेंद्र तिवारी के द्वारा कैलाश वर्मा जांच अधिकारी को चेतावनी पूर्ण तरीके से कहा की मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) उज्जैन होता कौन है जांच करवाने वाले, सीसीएफ ही हमेशा जांच दल बनाकर क्यों भेजता है। क्या जिला वन मंडल अधिकारी देवास को जांच कराने का पावर नहीं है क्या तालाब निर्माण कार्य में डिप्टी रेंजर दरियाव सिंह परते एवं वनरक्षक कुलदीप शाक्य को मुख्य वन संरक्षक अजय यादव के द्वारा क्यों निलंबन किया गया रेंजर और एसडीओ के विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं की गई जबकि प्रमाण में उनके भी हस्ताक्षर हैं इन सवालों के प्रति उत्तर में जांच दल के अधिकारी सदस्य कैलाश वर्मा ने कहा कि उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर आपको मुख्य वन संरक्षक उज्जैन से प्राप्त करना चाहिए।
गौरतलब रहे कि यह मामला खातेगांव के लिली में अवैध सागवान परिवहन करते हुए ट्रैक्टर- ट्राली को कहानी बनाकर गोलमाल करना, उसके बाद लकड़ी तस्कर के द्वारा रोहित ट्रेडर्स (नारायण अग्रवाल) खातेगांव से दिनांक 15 अक्टूबर को ₹.90000 में भंगार ट्रैक्टर ट्राली खरीदना ओर वन विभाग के द्वारा उसी भंगार ट्रेक्टर ट्रॉली को लावारिस हालत में जप्त करना एवं उसको काली पन्नी से ढक कर रखना ताकि  इस सांठगांठ व काले कारनामे की भनक किसी को ना लगे। इस भंगार ट्रैक्टर ट्रॉली जब्ती के नाम पर विभाग के द्वारा झूठी वाहवाही लूटने के मामले को मीडिया के द्वारा भंडाफोड़ करने के बाद शासन प्रशासन की छवि धूमिल होते हुए देख एक्शन में आए उज्जैन मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) श्री अजय यादव  के निर्देशन में जांच दल का गठन कर भेजा गया। जांच अधिकारी दल के द्वारा  दिनांक 30 अक्टूबर से जांच कर रहे उज्जैन से आए वन मंडल के संलग्न अधिकारी जी एस सिरसोदिया व कैलाश वर्मा अनुविभागीय अधिकारी उप वन मंडल कन्नौद के द्वारा जांच चल रही थी।  इस दौरान मीडिया कर्मी के पहुंचने पर वन विभाग के कर्मचारियों के द्वारा घर के मामले के बारे में बात करने का बताकर हाथ जोड़ कर दूर रहने के लिए निवेदन करते रहे।आपको बता दे खातेगांव सहित सम्पूर्ण देवास जिले के वन परिक्षेत्र में हो रहै जंगल की विनाश लीला व निर्माण कार्य मे की गई भ्रष्टाचार को लेकर वनमण्डलाधिकारी देवास को अवगत कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नही करना, व जाँच के नाम पर मामले में लीपापोती करना देवास वनमण्डलाधिकारी पर भी सवालिया निशान खड़े करता है। उज्जैन कार्यकाल में वन मंडल अधिकारी देवास का नाम किसी से छुपा नहीं है । वही डेढ़ वर्ष पहले खातेगांव वन परिक्षेत्र में तलाब निर्माण में हुई जमकर हुई भृष्टाचारी को लेकर देवास वनमंडलाधिकारी ने इस पर संज्ञान क्यो नही लिया, तालाब में हुए भृष्टाचार के मामले को लेकर उज्जैन सीसीएफ अजय यादव ने त्वरित कार्रवाई कर भृष्ट वनकर्मियों को निलंबित किया, तो सवाल यह उठता है कि देवास डीएफओ जिले में बैठकर क्या कर रहे है, ये सरकार से मोटी तनख्वाह किस बात की ले रहे है, ओर अपने अधीनस्थ हो रहे निर्माण कार्यो में हो रहे भ्रष्टाचार को बेशर्मी से देख कर भी चुप्पी साध कर क्यों बैठे है, इन सबका क्या मतलब है, लेकिन फिर भी कुछ वनकर्मियों का कहना है कि सीसीएफ होता कौन है हमारी जांच करवाने वाले,  क्या देवास वनमंडलाधिकारी को जांच के पावर नही है। इससे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि भृष्ट वनकर्मियों का बच पाना मुश्किल है जनता के पैसे से जंगल बचाने के लिए वेतन मिलता है । आज तक कभी  जंगल काटने से रोकने के लिए इकट्ठे नहीं हुए । लकड़ी तस्करों को रोकने के लिए इकट्ठे नहीं होते लेकिन अपराधियों को संरक्षण देने वालों को बचाने के लिए जरूर इकट्ठे होते हैं यह सभी अपराधी हैं । इतनी संख्या में अपनी ड्यूटी छोड़ कर कैसे इकट्ठा हुए इन वन कर्मियों व अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े हो रहे है।

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