गेहलोत का लाटसाब बनना शिवराज की विदाई का संकेत तो नहीं ?


खाली राज्यसभा पर केन्द्र में ले जाने की तैयारी

खबर नेशन / Khabar Nation

केन्द्रीय सामाजिक एवं कल्याण मंत्री थावर चंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया है । इसी के साथ ही राजनीतिक हलकों में इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि इसे मध्यप्रदेश की राजनीति में भावी परिवर्तन से जोड़कर देखा जा रहा है । प्रबल संभावना के तौर पर इसे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विदाई के संकेत के रूप में देखा जा रहा है । विदाई के संकेत इसलिए कि गेहलोत राज्यसभा से सदस्य थे। जो अब खाली हो गई है।  राज्यसभा की इस सीट पर संभावित तौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान , भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नाम प्रमुख तौर पर लिए जा रहे हैं । शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजयवर्गीय की दावेदारी की वजह केंद्रीय मंत्रिमंडल का संभावित विस्तार और मध्यप्रदेश में घटित हालिया राजनीतिक घटनाक्रम है। गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से असंतुष्ट नेता एक जाजम पर एकत्रित हो गए । इस घटनाक्रम को संभावित तौर पर मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के तौर पर देखा जा रहा था। शिवराज मध्यप्रदेश के लोकप्रिय जननेता के तौर पर स्वीकार्यता है। शिवराज के सम्मान को बरकरार रखना भाजपा के आला नेताओं की मजबूरी है। 
कैलाश विजयवर्गीय हाल ही में पश्चिम बंगाल का चुनाव संपन्न कराकर आए हैं । लगभग चार साल की मेहनत में कैलाश विजयवर्गीय का प्रभारी के तौर पर प्रदर्शन जबरदस्त रहा है और भाजपा भले सत्ता में ना आई हो लेकिन उसके पक्ष में जबरदस्त परिणाम आए हैं । ऐसी स्थिति में राज्यसभा कैलाश विजयवर्गीय के लिए इनाम के तौर पर मिल सकती है ।


गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में विस्तार की चर्चाएं इन दिनों जोरों पर हैं. चर्चा हैं कि इस कैबिनेट विस्‍तार में एक से अधिक मंत्रालय का काम संभाल रहे मंत्रियों के काम का 'बोझ' कम किया जाएगा. मंत्रिमंडल में नए चेहरों को स्‍थान दिया जाएगा जबकि अच्‍छा प्रदर्शन नहीं दे रहे कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में 81 सदस्य हो सकते हैं, लेकिन इस वक्त मंत्रिमंडल में सिर्फ 53 सदस्य हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि 28 सदस्य जोड़े जा सकते हैं.अपने दूसरे कार्यकाल में PM नरेंद्र मोदी पहली बार मंत्रिमंडल विस्तार करने जा रहे हैं, तो वह अगले वर्ष पांच राज्यों में होने जा रहे चुनाव तथा वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ज़रूर ध्यान में रखेंगे.

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