शिवराज जनता की शिकायतों से तंग या मध्य प्रदेश सरकार की माली हालत खस्ता ?

 

सी एम हेल्प लाइन 181 पर सरकारी खर्च बंद, जनता चुका रही फोन काल का पैसा

 

आखिर शिवराज की महती योजना पर किसकी लगी बुरी नजर

 

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation

 

कलेक्टर साहब अब ऐसा नहीं चलेगा...... कौन है इंजीनियर इस क्षेत्र में अभी तक पानी क्यों नहीं पहुंचा..... इस पटवारी को संस्पेंड करो काम की रिश्वत मांग रहा है..... यह सड़क क्यों नहीं बन पाई.....? ये सवाल अक्सर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सी एम हेल्पलाइन 181 पर दर्ज होने वाली बैठक शिकायतों की मानिटरिंग करने के बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग में अफसरों को हड़काकर पूछ बैठते हैं। फिल्म नायक के अनिल कपूर की तर्ज पर कुछ अधिकारियों, बाबूओं और फील्ड के कर्मचारियों के उपर कठोर कार्रवाई के निर्देश देकर इमेज बिल्डिंग भी कर लेते हैं। अब सी एम की इस महती योजना पर बुरी नज़र लग गई है। पूरे देश में सी एम हेल्पलाइन इसी नंबर पर संचालित की जा रही है । जिस पर पीड़ित व्यक्ति फ्री में अपनी शिकायत दर्ज कराता है। 2013 से दूरसंचार विभाग द्वारा सभी राज्यों को सी एम हेल्पलाइन के लिए एक ही नंबर 181 आवंटित किया गया है। जिस पर आने वाला भार राज्य सरकारें वहन करती हैं। 

मध्यप्रदेश में इस नंबर पर फोन लगाने के लिए अब पीड़ित को ही काल की दर चुकाना पड़ रही है।खबर नेशन के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार केन्द्रीय संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग ने मध्यप्रदेश राज्य की है सी एम हेल्पलाइन 181 को मीटर्ड सर्विस के तौर पर चलाए जाने का आदेश जारी किया है। मीटर्ड सर्विस का नाम तात्पर्य अब फोन लगाने वाले व्यक्ति से काल की दर वसूली जाएगी। यह आदेश 31 जनवरी 2022 को जारी किया गया है। इस तरह का आदेश संपूर्ण देश में सिर्फ मध्यप्रदेश के लिए ही जारी हुआ है।

गौरतलब है कि यह सेवा मध्यप्रदेश लोक सेवा प्रबंधन विभाग द्वारा संचालित की जा रही है। जिसके प्रमुख सचिव मनीष रेस्तोगी हैं। मनीष रेस्तोगी मुख्यमंत्री सचिवालय में भी प्रमुख सचिव की हैसियत से कई महत्वपूर्ण कार्य निपटाते हैं। 

जब इस बारे में लोक सेवा प्रबंधन के संचालक संदीप अस्थना से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि   सी एम हेल्पलाइन पर लगभग पांच छह करोड़ रुपए का ख़र्च आ रहा था। इन दिनों सभी मोबाइल उपभोक्ता अनलिमिटेड डेटा का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में सरकार द्वारा इस योजना पर खर्च करने का औचित्य नहीं रह जाता है।‌ इसलिए केन्द्र सरकार के संचार विभाग से इस सेवा को नान मीटर्ड सर्विस से मीटर्ड सर्विस में कन्वर्ट करवाया है। 

वल्लभ भवन सूत्रों के अनुसार इस सेवा को मीटर्ड सर्विस में कन्वर्ट करवाने के पीछे एक कारण और बताया जा रहा है। प्रदेश के अफसरों को सी एम हेल्पलाइन के साधारण कर्मचारियों को शिकायतों के निराकरण की जानकारी देना पड़ती है, जो उन्हें अपनी हैसियत के अनुसार नागवार गुजरता है।एक दूसरा पहलू और है जिस उद्देश्य से इस सेवा की शुरुआत की गई थी, वह अपने लक्ष्य प्राप्ति में असफल साबित हुई है। आम पीड़ित व्यक्ति की शिकायत का निराकरण न होने पर वह बार बार सी एम हेल्पलाइन के 181 नंबर पर अपनी शिकायत निवारण की प्रगति जानने लगातार संपर्क करता रहता है। शिकायत दर्ज होने के बाद सी एम हेल्पलाइन से शिकायत विभागों को ट्रांसफर तो कर दी जाती है लेकिन निचले स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों की है मिलीभगत से इन शिकायतों को दूर करने में गंभीरता नहीं दिखाई जाती।

 

लिखें और कमाएं

मध्यप्रदेश के पत्रकारों को खुला आमंत्रण । आपके बेबाक और निष्पक्ष समाचार जितने पढ़ें जाएंगे उतना ही आपको भुगतान किया जाएगा । 1,500 से 10,000 रुपए तक हर माह कमा सकते हैं । अगर आप इस आत्मनिर्भर योजना के साथ जुड़ना चाहते हैं तो संपर्क करें :
गौरव चतुर्वेदी
खबर नेशन
 9009155999

Share:


Related Articles


Leave a Comment