शिवराज चलेंगे पटवा की राह या दिग्विजय .....?

 

किसान कर्ज माफी पर कुआँ और खाई सी मुसीबत

अरविंद शर्मा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसान कर्ज माफी के मुद्दे पर असमंजस में घिर गए है। देखना दिलचस्प रहेगा कि शिवराज अपने राजनैतिक गुरु पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुन्दर लाल पटवा की राह अपनाते हैं या फिर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नक्शेकदम पर चलेंगें ?
शिवराज के हालिया कदमों पर नजर डालें तो वे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नक्शेकदम पर ऊटपटांग बयान देते नजर आ रहे है। हालांकि शिवराज दोनों हाथों से खजाना लुटाने के मामले देश के काफी राजनेताओं को पीछे छोड़ चुके हैं। 
प्रदेश के ताजा हालात किसी से छुपे हुए नहीं है तो क्या शिवराज ने किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर दिल का बयान दिया है या मजबूरी का । यह देखना भी दिलचस्प रहेगा । क्योंकि केंद्र सरकार की बिना सहमति के शिवराज कर्ज माफी का फैसला ले नहीं सकते । भावांतर के मुद्दे पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली विपरीत रूख अपना चुके है । हालांकि शिवराज ने किसानों को पिछले साल बेची फसल पर बोनस देकर साधने का प्रयास किया था।

अब जब मध्यपदेश में किसानों की कर्ज माफी को ले कर  सत्तााधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस एक दूसरे के आमने सामने खडे हो गये हैें।

दोनों दलों के बीच यह तकरार उस समय से और ज्यादा तेज हो गयी जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने छह जून को अपनी मंदसौर यात्रा के दौरान यह कह दिया कि इस साल के अंत में होने वाले विधान सभा चुनावों के बाद उन के दल की सरकार किसानों के कर्ज 10 दिन में ही माफ कर देगी।

दूसरी ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिहं ने कल कहा कि कर्ज माफी मात्र छलावा जिस से कुछ नहीं होता है।

चौहान ने पार्टी की एक अहम बैठक में कहा कि भाजपा के ही मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने भी कर्ज माफी की थी पर कुछ नहीं हुआ।

उन का कहना यह भी था कि उन की सरकार ने किसानों के भले के लिये बहुत सारे कदम उठा लिये है जिन से उन को बहुत लाभ हुआ है और ऐसे में उन के कर्ज माफ करने की जरूरत नहीं है।
चौहान के इस कथन से कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की याद आना एक तरह से जरूरी हो गया है।

दिग्विजय ने भी अपने दूसरे कार्यकाल के खत्म होने के पहले यह कहा था कि चुनाव मैनेजमेंट के दम पर ही जीते जाते हैं पर हुआ ये कि वे चुनाव हार गये।

इसी तरह से चौहान की यह जिद की वे कर्ज माफी नहीं करेंगे हो सकता है उन को उल्टी ही पड जाये।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और मध्यप्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर बारिक नजर रखते हैं ।

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