शिवराज यह फोटो भी याद रखिए ?


एक को सजा और एक को मलाई खिलाने की कहानी

कांग्रेस विधायक भी इस बात का जवाब दें
खबर नेशन / Khabar Nation
सत्ता के आगे घुटने टेके जाते हैं और हर सत्ताधीश यही चाहता है । यकीनन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बात को बेहतर तरीके से महसूस करते होंगे और ताजिंदगी भूलेंगे भी नहीं । एक तस्वीर 2006 में सामने आई थी । जब तत्कालीन सीहोर कलेक्टर एस के मिश्रा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष घुटनों के बल बैठे थे । बाद में वे मध्यप्रदेश के सबसे ताकतवर अफसर बनकर उभरे । और इस तस्वीर के बाद मध्यप्रदेश की अफसरशाही शिवराज सिंह चौहान के कदमों से उठकर सर पर हावी हो गई ।
कल इंदौर के एस डी एम राकेश शर्मा और नगर पुलिस अधीक्षक डीके तिवारी का देर रात तबादला कर दिया गया । दोनों अधिकारियों का गुनाह इतना था कि धरने पर बैठे विपक्षी विधायकों जीतू पटवारी और संजय शुक्ला को मनाने एस डी एम राकेश शर्मा और सी एस पी डीके तिवारी घुटनों के बल बैठकर चर्चा कर रहे थे । यह धरना पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता  द्वारा राशन वितरण कार्यक्रम में लोगों की भीड़ इकट्ठी करने के मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर दिया गया था । राशन वितरण कार्यक्रम देश के केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था । उक्त दोनों अधिकारी अपने कर्त्तव्य का पालन कर रहे थे । सजा बतौर दोनों का तबादला कर दिया गया ।
दूसरी फोटो मध्यप्रदेश में तेरह साल तक सबसे ताकतवर रहे आय ए एस अफसर एस के मिश्रा की है ।  जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पहले कार्यकाल में सीहोर जिले के कलेक्टर थे और शासकीय दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराने मुख्यमंत्री के समक्ष एक कार्यक्रम में घुटने के बल बैठे हुए थे । बुदनी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना था जो शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा में आने का रास्ता खोलने वाला था । चुनाव आयोग में शिकायत हुई और एस के मिश्रा को हटा दिया गया ।
यहां दो सवाल है एक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कि अगर एस के मिश्रा कर्त्तव्यों का पालन कर रहे थे , तो इन दो अधिकारियों का क्या दोष ? जो इन्हें हटाया गया ।
दूसरा सवाल विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं से जो इन अधिकारियों को हटाने के विरोध में उठ खड़े हुए हैं कि अगर ये दोनों अधिकारी को गलत तरीके से हटाया गया है तो 2006 में एस के मिश्रा भी कर्त्तव्यपरायणता दिखा रहे थे फिर उन्हें हटाएं जाने की मांग चुनाव आयोग से क्यों की गई थी । विपक्षी विधायकों से एक सवाल और कि जब उक्त अधिकारी सौजन्यता वश घुटनों के बल बैठकर चर्चा कर रहे थे तो उन्होंने प्रशासन का सम्मान करते हुए उठकर बात करने का प्रयास क्यों नहीं किया ।

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