शिवराज के आदेश का मज़ाक


एक को मलाई वाली पोस्ट और सी एम के गृह जिले में दूसरे दागी की पोस्टिंग

खबर नेशन / Khabar Nation
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर ब्यूरोक्रेसी हावी होने के आरोप तो लगते ही आए हैं । यह मामला थोड़ा अलग है .ब्यूरोक्रेसी के एक मातहत अधिकारी ने शिवराज के आदेश की धज्जी उड़ा डाली । मध्यप्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले शिवराज सिंह चौहान के ताकतहीन होने का उदाहरण है यह आदेश ।
गौरतलब है कि सत्ता परिवर्तन के साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने उनके गृह जिले सीहोर के भौमिकविद एवं प्रभारी खनिज अधिकारी एच पी सिंह को हटाने के निर्देश दिए थे । सूत्रों के अनुसार सिंह के खिलाफ गंभीर शिकायतें थी । इन शिकायतों में राजनीतिक पक्षपात से जुड़े घटनाक्रम भी थे । जिसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान काफी नाराज़ थे । 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के निर्देश प्राप्त होने के बाद एस पी सिंह को सीहोर से हटाकर भोपाल जिला कलेक्टर कार्यालय खनिज शाखा पदस्थ कर दिया । इस तबादलें में इसी के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक महत्वपूर्ण घोषणा को भी हवा में उड़ा दिया । पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री शिवराज ने भौमिकविद भूगर्भ शास्त्रियों को फील्ड में पदस्थ ना करने के आदेश दिए थे । एस पी सिंह की जगह भोपाल में पदस्थ रहे सहायक खनिज अधिकारी राजेंद्र परमार को सीहोर पदस्थापना दे दी । परमार पूर्व में विदिशा जिले में पदस्थ थे , जहां पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का निवास और फार्म-हाउस सहित डेयरी है । गौरतलब है कि विदिशा में भी मुख्यमंत्री और उनके निकटतम परिजनों के नजदीकी परिचितों ने परमार के खिलाफ काफी गंभीर शिकायतें की थी । जिनकी जांच अभी भी लंबित है , को लेकर विदिशा से हटाया गया था ।
जब इस मामले को लेकर खनिज विभाग से आदेश जारी करने वाले अधिकारी अवर सचिव राजेश कौल से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से निर्देश के बाद खनिज संचालनालय के संचालक विनीत आस्टिन ने जो प्रस्ताव भेजा था उसे हमनें विभागीय अधिकारियों की स्वीकृति पर 1 जून को जारी कर दिया । बड़ी मजेदार बात यह है कि आस्टिन के भेजे प्रस्ताव पर मंत्रालय के अधिकारियों ने जांच पड़ताल या मुख्यमंत्री की गरिमा के अनुरूप पालन करने का कोई प्रयास नहीं किया । 
सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की नाराजगी के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खनिज संचालक विनीत कुमार आस्टिन को संचालक पद से हटाते हुए मंत्रालय में खनिज विभाग में विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी के तौर पर पद किया था । दो माह तक आस्टिन ने ना तो अपना प्रभार छोड़ा और ना मंत्रालय में अपनी ज्वाइनिंग दी । शिवराज सरकार के आने के बाद पूर्व मंत्री संजय पाठक की अनुशंसा के सहारे मुख्यमंत्री से आदेश निरस्त करवा लिया । बाद में इन्हीं मुख्यमंत्री के निर्देश की आस्टिन ने धज्जियां बिखेर दी । सूत्रों का कहना है मुख्यमंत्री के निर्देश पर जारी किए गए  इस तबादला आदेश के बदले मोटी रकम यह कहते हुए ली है कि उन्हें अपना आदेश निरस्त कराने के लिए चार करोड़ रुपए खर्च करना पड़े हैं । आस्टिन ने यह पैसा किसको दिया है जांच का विषय है ? अगर आस्टिन के आदेश निरस्त करने की प्रक्रिया में शामिल लोगों को देखें तो उनकी सिफारिश करने वाले पूर्व मंत्री और विधायक संजय पाठक , मंत्रालय में पदस्थ खनिज विभाग के अधिकारी या मुख्यमंत्री सचिवालय से जुड़ा कोई व्यक्ति , आखिर कौन है वो ? या फिर यह भी हो सकता है कि इन्हें बदनाम कर आस्टिन खुद की जेब भर रहे हों ।

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