शिवराज, कमलनाथ और दिग्विजय पर भारी खनिज विभाग के डायरेक्टर विनीत आस्टिन

 


दो माह तक प्रमुख सचिव को दबाव  डलवाकर करते रहे बिना अधिकार के काम

खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान , तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय पर खनिज विभाग के डायरेक्टर विनीत आस्टिन का रसूख भारी पड़ गया । दिग्विजय की नाराजगी, कमलनाथ के निर्देश का पालन जब तत्कालीन खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल और विभागीय प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई नहीं करवा पाए तो फिर वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की क्या बिसात थी कि वो पुराना आदेश स्थगित नहीं करते ।
सत्ता की छीना झपटी के  दौरान खनिज विभाग के डायरेक्टर विनीत कुमार आस्टिन की ताकत के आगे आला अधिकारीयों के भी नतमस्तक होने का है । आस्टिन को मंत्रालय में विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी (ओ एस डी) बनाएं जाने का था । लगभग दो माह उन्होंने अपने कार्यालय से मात्र डेढ़ किलोमीटर दूर मंत्रालय में ज्वाइनिंग तो नहीं दी लेकिन दो माह के अंदर अपना तबादला निरस्त करवा लिया । इस दौरान वे शासकीय कार्य को अंजाम देते रहे लेकिन वरिष्ठ अधिकारी अनदेखा करते हुए अपने आदेश का पालन नहीं करवा पाए । 
गौरतलब है कि कांग्रेस शासनकाल में 28 फरवरी को खनिज साधन विभाग ने आदेश क्रमांक डी 249/ DSMRD/ 2020 के माध्यम से संचालक भौमिकी एवं खनिकर्म विनीत कुमार आस्टिन को विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी मध्यप्रदेश शासन खनिज विभाग के पद पर पदस्थ किया था । आस्टिन के पद पर हंस को प्रभार दिया गया था ।  आदेश के बाद दो माह तक ना तो आस्टिन ने मंत्रालय में आमद दी और ना ही अपना प्रभार हंस को सौंपा । शासकीय आदेश का परिपालन करवाने के लिए हंस खनिज विभाग के उच्च अधिकारियों से सौजन्यता वश मिले भी लेकिन अधिकारियों ने रुचि नहीं ली । 
सूत्रों के अनुसार आस्टिन के आदेश को रुकवाने के लिए विभाग के प्रमुख अधिकारी ने तत्तकालीन मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती से हस्तक्षेप करने का आग्रह भी किया था लेकिन मोहंती ने उक्त आग्रह को स्वीकार नहीं किया । आखिर क्या वजह रही कि जब प्रभार तत्काल सौंपे जाने का आदेश था, तो इसे पालन क्यों नहीं किया गया । जबकि उक्त प्रभार मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश पर जारी किया गया था । 
इस बीच मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया । मुख्यमंत्री शिवराज के शपथ लेने के बाद पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक संजय पाठक की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर 24 अप्रैल को विनीत कुमार आस्टिन का फरवरी माह के आदेश को निरस्त कर दिया गया ।
सरकार आदेश जारी भी कर सकती हैं और निरस्त भी लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई की ऐसी क्या मजबूरी थी कि उन्होंने अपने ही आदेश का पालन नहीं करवाया । इन दो महीने के दौरान पद से हटने के बाद आस्टिन ने जो शासकीय कार्य निपटाए थे क्या उन्हें वैधानिक माना जा सकता है ।
सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि तत्कालीन खनिज मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को विधानसभा सत्र का हवाला देते हुए आस्टिन को काम करने के निर्देश दिए थे । पूरे मामले का झोल यह भी है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की नाराजगी के चलते आस्टिन को हटाने के निर्देश मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिए थे और कमलनाथ के सबसे खास मंत्री प्रदीप जायसवाल आदेश जारी करने के बाद भी आस्टिन से काम करवाते रहे।

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