गैरो पे करम, अपनों पे सितम ऐ शिवराज तू जुल्म ना कर

 

मुख्यमंत्री की चौथी पारी में शिवराज की राजनीति का अद्भुत अंदाज 

खबर नेशन/ Khabar Nation

मध्यप्रदेश के राजनैतिक हलकों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी चौथी पारी में राजनीति के नये-नये अंदाजों से आमजन को रूबरू करा रहे हैं । हाल ही में मंत्रियों को जिलों का प्रभार देने में शिवराज गैरो पे करम और अपनों पे सितम करते हुए नजर आए । अपने साथियों सहित कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्रियों को जहां महाराज की इच्छा अनुसार जिलों का प्रभार दिया गया तो वही भारतीय जनता पार्टी के देवदुर्लभ कार्यकर्ताओं में से उभर कर बनें मंत्रियों को आपसी लड़ाई में उलझाने का प्रयास किया गया । 

गौरतलब हैं कि गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव, कृषि मंत्री कमल पटेल को चुनोतियों से झूझने का टास्क दिया गया है।  शिवराज एवं राष्ट्रीय सेवक संघ में आस्था रखने करने वाले मंत्रियों को राजनैतिक चुनोतियों से झूझने से बचाये रखने की कोशिश की गई । 

आखिर नरोत्तम को इंदौर क्यों ? 

मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को इंदौर जिले का प्रभार दिया गया हैं । हाल ही में कुछ दिनों पूर्व मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन की कवायद को लेकर सक्रिय रहे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल चुनाव से निपटने के बाद सबसे पहली मुलाकात नरोत्तम के साथ की थी । जिसके बाद मध्यप्रदेश में अस्थिरता का वातावरण बन गया । केबिनेट बैठक में जहां शिवराज के खिलाफ नरोत्तम मुखर हो उठे वही सीहोर के रिसोर्ट में अनोपचारिक केबिनेट बैठक में शिवराज ने अप्रत्यक्ष इशारा करते हुए नरोत्तम से आमने सामने की लड़ाई का इशारा कर दिया । जिसके बाद नरोत्तम डैमेज कंट्रोल करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने गृह जिले दतिया में वैक्सिनेशन अभियान की शुरुआत करने लगे । शिवराज के संकटमोचक रहे और बाद में संकटकारक बने नरोत्तम के सामने कैलाश विजयवर्गीय से दो दो हाथ करने की मजबूरी आन पड़ी हैं । इंदौर की राजनीति कैलाश विजयवर्गीय के बिना अधूरी मानी जाती हैं । देखना दिलचस्प रहेगा कि सफल शिवराज होते हैं या नरोत्तम और कैलाश । 

आखिर गोपाल भार्गव को जबलपुर और निवाड़ी क्यों ? 

महाकौशल अंचल के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री रहे अजय विश्नोई भी इन दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मोर्चा खोल हुए हैं । विश्नोई का दर्द मंत्रिमंडल में नहीं लिया जाना हैं । युवा मोर्चा के समय से ही विश्नोई शिवराज से ही सीनियर रहे हैं । इधर सागर के रहली विधानसभा से प्रतिनिधित्व करने वाले लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव के पड़ोसी जिले दमोह के कद्दावर नेता जयंत मलैया से नहीं बनती हैं । मलैया और विश्नोई पुराने मित्र हैं । व्यवसायिक साझेदार भी हैं । जिसके कारण भार्गव को विश्नोई के सामने खड़ा किया गया । इसी के साथ ही निवाड़ी जिले को लेकर भी गोपाल भार्गव की प्रतिष्ठा दांव पर लग गयी हैं । हाल ही में निवाड़ी विधायक एवं कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे बृजेन्द्र सिंह राठौर के निधन के कारण उपचुनाव होना संभावित हैं । हाल ही में दमोह उपचुनाव में भाजपा को तगड़ी हार का सामना करना पड़ा । 

आखिर कमल पटेल को छिंदवाड़ा और खरगोन क्यों ? 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पिछले कार्यकाल में रेत घोटालों को लेकर मुखर रहे कमल पटेल भी शिवराज विरोधी माने जाते हैं । छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ का गृह जिला हैं । राजनैतिक हलकों में कमलनाथ और शिवराज की दोस्ती के काफी चर्चे हैं । भाजपा आला नेताओं की नजर में छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र को जीतना सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर शामिल हैं । ऐसे में कमल पटेल को राजनैतिक और प्रशासनिक चुनोतियों से झूझना होगा । 

सिंधिया समर्थकों को अनुरूप जिले 

मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता ग्वालियर चंबल के छत्रप ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को इच्छा अनुसार जिले दिए गए हैं । ग्वालियर का प्रभार तुलसी सिलावट को दिया गया हैं । जो सिंधिया के खास समर्थकों में शुमार किये जाते हैं । गौरतलब हैं कि सिंधिया के भाजपा में आने के बावजूद भी सिंधिया ग्वालियर चंबल अंचल के नेताओं में प्रमुख स्थान नहीं बना पाए । सिंधिया को चुनौती केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र  सिंह तोमर, प्रभात झा से हैं वही तोमर भी संभावित तौर पर मुख्यमंत्री के दावेदारों में शामिल हैं । प्रभात झा राजनैतिक तौर पर शिवराज विरोधी माने जाते हैं । ऐसे में सिलावट को शिवराज और सिंधिया की कसौटी पर खरा उतरने के लिए चुनोतियों का सामना करना होगा । इसी के साथ ही सिंधिया ग्वालियर चंबल अंचल के अपने प्रभाव वाले इलाकों के जिले में प्रभारी मंत्री बतौर अपने समर्थकों को नियुक्त कराने में सफल रहे । ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को अशोक नगर गुना, परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को भिंड, महेन्द्र सिंह सिसोदिया को शिवपुरी, ब्रजेन्द्र सिंह यादव को शाजापुर एवं सुरेश धाकड़ को दतिया की जवाबदारी सौपी गई हैं । जो सीधे सीधे सिंधिया के प्रभाव वाले क्षेत्र मानें जाते हैं।

संघ और शिवराज में आस्था रखने वाले मंत्रियों को कम चुनौती वाले जिले

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में आस्था रखने वाले एवं सहयोग करने वाले मंत्रियों को जिन जिले में चुनितिया कम हैं वहा के प्रभार दिए गए हैं । भूपेंद्र सिंह को भोपाल, विश्वास सारंग को विदिशा, जगदीश देवड़ा को उज्जैन-कटनी का प्रभार सौपा गया हैं । इसी प्रकार संघ में आस्था रखने वाले पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर को खंडवा और नीमच और मोहन यादव को राजगढ़ का प्रभार सौपा गया हैं ।

Share:


Related Articles


Leave a Comment