आखिर विकास दुबे मामले में शिवराज ने पलटी कैसे खाई ?


गिरफ्तारी के ट्वीट और यू पी पुलिस को बिना लिखा पड़ी के उपहार
खबर नेशन / Khabar Nation
कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों के हत्यारे कुख्यात अपराधी विकास दुबे की उज्जैन के महाकाल मंदिर से तथाकथित गिरफ्तारी और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एनकाउंटर में कई तकनीकी खामियां नजर आ रही हैं । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा मध्यप्रदेश की उज्जैन पुलिस की पीठ थपथपाते हुए गिरफ्तारी के ट्वीट करते हुए भरपूर वाहवाही लूटी गई । सुबह होते होते बाजी उत्तर प्रदेश की सरकार लूट कर ले गई । आखिर विकास दुबे की तथाकथित गिरफ्तारी के शुरुआती पांच घंटे में ऐसा क्या घटा कि शिवराज इस मामले में घुटनों के बल हो गये । सिलसिले वार घटना का आकलन और उसमें छोड़े गए छेद की कहानी।
दो दिन पहले उज्जैन के महाकाल मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने मंदिर परिसर से विकास दुबे को पकड़ा और महाकाल मंदिर थाने को सूचना दे दी । पुलिस ने जैसे ही विकास दुबे को पकड़ा वह चिल्ला उठा कि मैं विकास दुबे कानपुर वाला । तत्काल मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की पुलिस चौकन्नी हो उठी और दोनों राज्यों की सरकारें सक्रिय हो गई ।
कानपुर के आठ पुलिसकर्मियों का हत्यारा और दुर्दांत अपराधी छह दिन से फरार पांच राज्यों की पुलिस को छकाते हुए आसान गिरफ्त में आ गया । इस घटनाक्रम पर नजर रख रहे लोगों का कहना था कि यह विकास दुबे का सरेंडर था । इस सरेंडर पर उच्च राजनीतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है । इस तरह के आरोप जैसे ही राजनैतिक और सामाजिक हलकों में गूंजे वैसे ही इस मामले के हर कानूनी पहलू को बार बार बदलने की कवायद शुरू हो गई । जिस विकास दुबे की गिरफ्तारी को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा गिरफ्तारी का दावा कर रहे थे वह बिना गिरफ्तारी के उत्तर प्रदेश पुलिस को सामान्य लिखा-पढ़ी के साथ सौंप दिया गया ।
सवाल है आखिर मध्यप्रदेश पुलिस ने उसे किसी भी मामले में गिरफ्तार ना कर न्यायालय में पेश क्यों नहीं किया ?
नियमत: विकास दुबे को दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 (1) की उपधारा (4) के तहत गिरफ्तार किया जाना था । यह गिरफ्तारी किसी अन्य थाना क्षेत्र में संदेह के आधार पर किसी अपराधी की मानी जाती है । इसके बाद न्यायालय में पेश किया जाना था । इसके बाद ही उत्तर प्रदेश पुलिस न्यायालय से अपराधी विधिवत ले जाने की अनुमति प्राप्त कर सकती थी । जो मध्यप्रदेश पुलिस ने नहीं किया । विकास दुबे महाकाल मंदिर में गलत परिचय के आधार पर संदिग्ध था । आखिर पूरे देश में पुलिस के हाई अलर्ट के तौर पर विकास दुबे को ढ़ूढा जा रहा था तो वह उज्जैन तक कैसे आया और पुलिस के हत्थे आसानी से कैसे चढ़ गया । क्या यह मध्यप्रदेश पुलिस के इंटेलिजेंस का फेल होना नहीं माना जाएगा ।
और इस सबसे भी बड़ी बात है कि मध्यप्रदेश पुलिस ने आखिर सामान्य लिखा-पढ़ी के विकास दुबे को उत्तर प्रदेश पुलिस को क्यों सौंप दिया । कारण की तह में उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पुलिस विभाग के अधिकारियों की जिद थी कि उसे न्यायालय में पेश नहीं किया जाए । जिसको लेकर मध्यप्रदेश पुलिस और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरी तौर पर घुटने टेक दिए । सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के संभावित राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिवराज सिंह चौहान से तल्ख लहजे में नाराजगी जताई थी ।

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