इतने भी भोले मत रहें जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा कि आयुक्त के चपरासी भी दरवाजा ना खोलें


मध्यप्रदेश के एकमात्र मंत्री जिनसे मिलने अफसर नहीं जाते वे अफसरों  के पास खुद पहुंच जाते हैं
खबर नेशन / Khabar Nation
खबर का शीर्षक पढ़कर चौंकिएगा मत बात सच है मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा सचमुच बहुत भोले हैं । कई बार वे अपने भोलेपन का इतना जबरदस्त सबूत दे जाते हैं कि लगता ही नहीं कि वे राजनेता हैं। हाल ही में वे जब अपने विभागायुक्त से मिलने पहुंचे तो नई व्यवस्था के तहत आयुक्त के चपरासी ने उनके लिए दरवाजे ना खोलते हुए नई व्यवस्था के तहत खोले गए दरवाजे से आने के निर्देश दे दिए । हालांकि यह पहला घटनाक्रम नहीं है जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल जिले की दक्षिण पश्चिम विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं और अपने समर्थकों की समस्याएं सुलझाने किसी भी हद तक चले जाते हैं । इसके चलते उन्होंने अपने मान सम्मान को भी ताक पर रख दिया है और वे गाहे-बगाहे अपने मातहत विभाग जनसंपर्क संचालनालय पहुंच जाते हैं । अब जनसंपर्क आयुक्त पी नरहरि ठहरे सीधे मुख्यमंत्री कमलनाथ से सीधा संपर्क रखने वाले विभागाध्यक्षों में से एक सो वे भी कई बार अपने विभागीय मंत्री को उचित सम्मान देने से बच निकलते हैं । सूत्रों के अनुसार हाल ही में एक दिन जब जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा जनसंपर्क आयुक्त से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे तो आयुक्त के चपरासी की बदतमीजी का शिकार हो गए । इस दौरान मंत्री का स्वागत करने एक भी अधिकारी बाहर नहीं आया । विभागीय उपेक्षा का शिकार होता देख मंत्री श्री शर्मा के खासमखास समर्थक और मध्यप्रदेश के कद्दावर कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी के गुट से जुड़े पार्षद ने विभाग में जमकर नाराजगी जताई । 
इसके पूर्व भी जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा द्वारा किए गए एक तबादला आदेश को निरस्त करने जनसंपर्क आयुक्त तीन घंटे के भीतर अपना इंदौर दौरा निरस्त कर भोपाल आ गये और मंत्री के आदेश पर निकाले गए आदेश को निरस्त कर बैठे ।
 यूं भी जनसंपर्क आयुक्त बेमन से इस विभाग का काम संभाल रहे हैं । अगर जनसंपर्क आयुक्त पी नरहरि मन से काम कर रहे होते तो संभवतः ऐसे स्टॉफ की गलती पर कार्यवाही कर गए होते । वैसे भी नरहरि को ना तो  पत्रकारों से मिलने की फुर्सत है और ना ही सरकार की छवि बनाने की। पत्रकारों से मेलजोल के मामले में भी नरहरि अलग-अलग व्यवहार में फर्क या। अपने मनपसंद कामों को करने के बाद उन्हें मंत्री से भी बहुत ज्यादा वास्ता नहीं रहता। विभाग में तो चर्चा होती ही रहती है कि विभागीय मंत्री की बजाय वे मध्यप्रदेश कांग्रेस की मीडिया विंग की अध्यक्ष शोभा ओझा के निर्देश का पालन तत्परता से कर जाते हैं।

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