ई टेंडरिंग घोटाले में मिले आईएएस अफसरों के संलिप्त रहने के सबूत

 

 

 मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिया गंभीरतापूर्वक जांच पूर्ण करने का निर्देश 

 

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज के खास अफसरों के नाम इस मामले में 

खबर नेशन /Khabar Nation

 

मध्यप्रदेश में ई टेंडरिंग घोटाले की चौंकाने वाली परतें सामने आ रही है । लगभग आधा दर्जन आईएएस अधिकारियों और उनसे जुड़े राज्य प्रशासनिक सेवा और निजी स्टाफ में शामिल रहे कर्मचारियों के खिलाफ शिकंजा कसा जा सकता है । मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आईएएस अफसरों और उनसे जुड़े लोगों के इस मामले में संलिप्त होने की जानकारी मिलने के बाद गंभीरता और सूक्ष्मता पूर्वक जांच किए जाने के निर्देश दिए हैं । 

 

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में शासकीय ठेकों को ई टेंडरिंग के माध्यम से भ्रष्टाचार रोकने की पहल ही भ्रष्टाचार का शिकार हो गई । अनुमान के अनुसार पूरा घोटाला ₹3 लाख करोड़ से ऊपर का है । यह आंकड़ा सिर्फ मध्य प्रदेश का है । टेंडर में शामिल रहीं कंपनीयों ने  तेरह अन्य राज्यों में भी इसी तरह वहां सरकारी ठेके हथियाये ।  सूत्रों के अनुसार जिसको लेकर मध्य प्रदेश पुलिस ने अन्य राज्य के पुलिस प्रमुखों को इस मामले में जांच करने का आग्रह किया है । पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में मध्य प्रदेश के आधा दर्जन आईएएस अधिकारी और उनसे जुड़े रहे लगभग एक दर्जन राज्य प्रशासनिक सेवा और निजी स्टाफ में शामिल रहे कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई है । इस पूरे मामले का चौंकाने वाला घटनाक्रम पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास अधिकारियों का इसमें शामिल होना रहा । सत्ता के मद में अंधे होकर शिवराज के खास अफसरों ने पकड़े गए आरोपियों को फोन भी किए थे ।  जिनकी कॉल डिटेल में यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पुख्ता सूत्रों के अनुसार इस मामले में मिल रहे सबूतों के आधार पर शिवराज सरकार के दौरान मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ रहे दो प्रमुख सचिव जिसमें से एक इन दिनों भारत सरकार दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर हैं ,  नर्मदाघाटी विकास विभाग में अपर मुख्य सचिव , मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम में प्रबंध संचालक के पद पर पदस्थ रहे आय ए एस अफसरों के नाम सामने आए हैं। 

 

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के दौरान ही लगभग 1600 करोड़ रुपए के टेंडर जारी करने के आदेश दे दिए थे । जिसको लेकर कांग्रेस  ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया था । 

हांलांकि यह मामला शिवराज सरकार के समय ही सामने आ गया था । इस मामले का खुलासा करने वाले विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी को शिवराज सरकार ने जबरन छुट्टी पर भेज दिया था । विधानसभा चुनाव के दौरान इस मामले की जांच करने का वादा कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में किया था । मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने इस मामले की प्राथमिकी दर्ज की और ई टेंपरिंग करने वाले कॉस्मो साल्यूशन के कर्मचारियों व प्रमुख लोगों को गिरफ्तार कर लिया । ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक तौर पर जल निगम लोक निर्माण विभाग जल संसाधन विभाग मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम लोक निर्माण विभाग के टेंडरों में छेड़छाड़ के सबूत पाए थे ।

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