सर्वधर्म समभाव की मिसाल बन गया नूरी का अनशन

क्षिप्रा के कल कल प्रवाह और क्षिप्रा में हुए भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस नेत्री नूरी खान के अनशन से भाजपा के बड़े नेता दूर क्यों...?

क्षिप्रा को अगर मां बोल रहे हैं तो आचरण मैला  क्यों...?

खबरनेशन / Khabarnation

उज्जैन जिले की कांग्रेस नेत्री और प्रदेश प्रवक्ता नूरी खान का अनशन सर्वधर्म समभाव की मिसाल बन गया हैं। अनशन का तीसरा दिन हैं लेकिन विगत चार सालों से क्षिप्रा के कल कल प्रवाह और क्षिप्रा नदी के शुद्धीकरण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर आवाज उठा गयी नूरी के अनशन पर पंडित, मौलवी, साधु संत के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी के छोटे नेता तो समर्थन दे रहे हैं लेकिन भाजपा के बड़े नेताओं ने दूरी बना ली हैं। अनशन के तीसरे दिन नूरी का वजन कम हो रहा हैं, ब्लड  प्रेशर में उतार चढ़ाव और डिहाईड्रेशन से शरीर पीड़ित हो गया हैं। 

जिला प्रशासन लिखित आश्वासन देने की बजाय नूरी को जबरन गिरफ्तार करने पर आमदा हैं। इस अनशन के बहाने नूरी को मिल रहे जन समर्थन को देखते हुए प्रशासन भी अपने कदम पीछे खींचने पर मजबूर होता जा रहा हैं। जब इस बारे में नूरी खान से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि क्षिप्रा के शुद्धीकरण के नाम पर लगभग 750 करोड़  रूपए खर्च किये गये हैं। जिसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ हैं। प्रशासन उनकी एक शर्त को मानने तैयार हैं कि क्षिप्रा के कल कल प्रवाह को पुनः जीवित करने का प्रयास नर्मदा के माध्यम से किया जाएगा लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों की जांच को लेकर प्रशासन आश्वासन देने तैयार नहीं हैं। चार साल पहले भी नूरी ने क्षिप्रा नदी के पानी के बीच धरना देकर क्षिप्रा नदी को मां समान माना था। लेकिन किसी भी फोरम पर सुनवाई ना होने के कारण उन्हें आमरण अनशन पर बैठना पड़ा।

क्षिप्रा नदी के शुद्धीकरण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर नूरी कई बार सीएम को पत्र लिख चुकी हैं। उज्जैन के भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधी विधानसभा में क्षिप्रा के घोटालों को लेकर तीखी बहस भी कर चुके हैं। लेकिन शासन स्तर से इस मामले में कोई पहल नहीं की गई। नूरी का कहना हैं कि क्षिप्रा को अगर मां मानते हैं तो मैला आचरण क्यों...?


 

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