मनीष रेस्तोगी की तैनाती के पीछे कौन ? शिवराज या इकबाल


खबर नेशन/ Khabar Nation
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक्शन मोड में आकर मुख्यमंत्री सचिवालय में मनीष रेस्तोगी की तैनाती कर दी है । रेस्तोगी की तैनाती को आश्चर्य की नजरों से देखा जा रहा है । रेस्तोगी वही अधिकारी जिन्होंने शिवराज सरकार के कार्यकाल में ई टेंडर घोटाला उजागर किया था । कांग्रेस शासनकाल में मध्य प्रदेश (madhya pradesh)के बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाले (e-tender scam)की जांच का दायरा बढ़ गया था। इस मामले में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को भी घसीटने का प्रयास किया गया था । सूत्रों के अनुसार कांग्रेस सरकार दबाव डाल रही थी कि नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाए । इसी दौरान मुख्यसचिव की रेस में शामिल रहे आय ए एस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया पर भी आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी थी । बताया जाता है ई टेंडर में लाभ मिलने वाली एक कंपनी में जुलानिया की बेटी कार्यरत थी ।
1994 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मनीष रेस्तोगी हांलांकि ईमानदार अफसरों में शुमार किए जाते हैं ।इसी कारण से मनीष रेस्तोगी की पोस्टिंग को आश्चर्य की नजर से देखा जा रहा है । एक वजह जुलानिया पर नियंत्रण रखने के लिए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को मनीष रेस्तोगी मददगार साबित हो सकते हैं ।
पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर दबाव बनाने की दृष्टि से या राधेश्याम जुलानिया पर अंकुश लगाने की कोशिश की गई है । 
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में सत्ता बदलाव के घटनाक्रम के दौरान नरोत्तम मिश्रा को मुख्यमंत्री पद की रेस में प्रमुख और ताकतवर दावेदार माना जा रहा था ।


अभी तक सिर्फ नौ टेंडर में छेड़छाड़ की जांच चल रही थी, लेकिन जांच आगे बढ़ने पर  पता चला है कि 42 और टेंडर्स में छेड़छाड़ की गयी थी। अब इन 42 मामलों में भी FIR दर्ज करायी जा रही है।
केंद्रीय एजेंसी की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश में EOW ने 18 मई 2018 को ई टेंडर में गड़बड़ी की जांच शुरू की थी। इससे ठीक 2 महीने पहले मार्च 2018 तक 42 टेंडरों की जानकारी तकनीकी जांच के लिए इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को भेजी गई थी।ये टेंडर अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान प्रोसेस हुए थे।सूत्रों की मानें, तो हाल ही में इन 42 टेंडर की जांच रिपोर्ट EOW के पास आ गई है।इसमें टेंपरिंग की पुष्टि हुई है।अब इस मामले में नई एफआईआर दर्ज करायी जा रही है।

कई विभागों के टेंडर

EOW ने पहली एफआईआर नौ टेंडरों में टेंपरिंग के मामले में की थी। ये सभी घोटाले शिवराज सरकार के दौरान हुए थे। 10 अप्रैल 2019 को FIR दर्ज की थी. उस मामले में अभी तक नौ आरोपियों को गिरफ्तार हो चुकी है। उसकी जांच अभी पूरी भी नहीं हो पायी थी कि EOW को अब ये 42 नये टेंडर की तकनीकी जांच रिपोर्ट मिल गई है।इन सभी 42 टेंडरों में भी टेंपरिंग की पुष्टि हुई है।
जिन विभागों के ई-टेंडर्स में छेड़छाड़ की गयी उनमें जल संसाधन, सड़क विकास निगम, नर्मदा घाटी विकास, नगरीय प्रशासन, नगर निगम स्मार्ट सिटी, मेट्रो रेल, जल निगम, एनेक्सी भवन सहित निर्माण कार्य करने वाले विभाग शामिल हैं।

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