खनिज संचालक की ई ओ डब्ल्यू जांच खत्म करने हाईकोर्ट को किया गुमराह


फाईल दबाकर बैठे हैं विभाग के प्रमुख सचिव
खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश खनिज विभाग ने अपने संचालक विनीत आस्टिन को बचाने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खण्डपीठ को गुमराह करने का षड़यंत्र रच डाला । माननीय न्यायाधीश ने खनिज विभाग की गड़बड़ियों को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश दिया था । जिस पर खनिज विभाग ने रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी  ।
मामला इस प्रकार है Wp/6215/19 इंदौर उच्च न्यायालय में दायर की गई है । यह याचिका इंदौर जिले रंगवासा की गिट्टी पत्थर की एक ही खदान को अलग-अलग तीन आदेश अपील की सुनवाई में प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई द्वारा पारित किए गए ।  इस याचिका के आदेश में माननीय न्यायाधीश गणों ने सरकार को खदान आवंटन की प्रक्रिया नीलामी के माध्यम से करने के निर्देश दिए हैं । अभी तक पहले आओ पहले पाओ के तहत खनिज आवेदक की योग्यता और क्षमता के आधार पर खदान आवंटन किया जाता है । इस याचिका के आदेश के दूसरे बिंदू पर खनिज संचालक विनीत आस्टिन द्वारा गड़बड़ी किए जाने पर उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू से जांच कराने और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर जांच कराएं जाने का आदेश दिया गया था।


जिसको लेकर खनिज विभाग द्वारा पुर्नविचार याचिका Rp/1051/19  दिनांक 02/08/2019 को दाखिल की गई थी । जिसकी प्रथम सुनवाई दिनांक 16/08/2019 तय की गई थी । 13/08/2019 को खनिज विभाग द्वारा मेंशन मेमो दिया गया जिसे स्वीकार करते हुए 14/08/2019 को IA के नोटिस जारी करते हुए इंटरिम आर्डर दिया गया कि ई ओ डब्ल्यू की इंक्यावरी स्थगित कर दी गई और आगामी तिथि 08/11/2019 निर्धारित कर दी गई ।

बताया जाता है कि मनचाहा फैसला आने के बाद खनिज विभाग के अधिकारियों और खनिज विभाग के पक्ष में उपस्थित वकीलों ने चुप्पी साध ली ।

जब इस बारे में इस प्रकरण के ओ आई सी पांद्रे से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि मेंशन दिए जाने की जानकारी उन्हें नहीं है कि क्यों दिया गया था । मैं फाईल देखकर ही कुछ बता पाऊंगा और फाईल प्रमुख सचिव खनिज विभाग ने अपने पास रखी हुई है ।

खनिज संचालक विनीत आस्टिन का कहना है कि जो भी इस प्रकरण में निर्णय लिए गए हैं वह शासन स्तर से लिए गए हैं । मुझे इस बारे में ज्यादा नहीं मालूम इस प्रकरण में नियुक्त ओ आई सी ही कुछ बता सकते हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि जब इस प्रकरण में आपको जानकारी नहीं है तो आप और प्रमुख सचिव मेंशन की कार्रवाई के दौरान हाईकोर्ट में मौजूद क्यों थे । इस पर वे कुछ भी नहीं बोले ।

 प्रमुख सचिव खनिज विभाग नीरज मंडलोई ने बताया कि मेंशन देने की वजह न्यायाधीशगणों की निर्धारित तिथि पर बेंच नहीं आ रही थी। ऐसा हमारे वकीलों का कहना था।  मेंशन स्वीकार करने के दूसरे दिन न्यायाधीश गणों ने रिव्यू पिटीशन पर शासन का पक्ष सुनते हुए इंटरिम आर्डर कर दिया और अगली तिथि 8 नवंबर लगी है सुना है कि तीन चार पार्टी इंटरविनर बनना चाहती हैं।

(१) जब सरकार का प्रमुख उद्देश्य नीलामी प्रक्रिया को लेकर था तो फिर न्यायालय में इस इश्यू को क्यों नहीं उठाया गया ? तथा न्यायालय ने Wp 6215/2019 में प्रमुख सचिव (शासन) / कलेक्टर को विवादित रंगवासा खदान चार सप्ताह में नीलाम करने के आदेश दिए थे । उस आदेश का पालन आज तक नहीं हुआ । इसके लिए कौन दोषी है ।
(२) ई ओ डब्ल्यू की इंक्यावरी को स्थगित क्यों करवाया गया ? क्या शासन शासकीय अधिकारियों की अनियमितता और भ्रष्टाचार को दबाना चाहता है । उल्लेखनीय है कि एडव्होकेट जनरल शशांक शेखर द्वारा आदेश के बिंदू ए और बी जो खनिज पट्टा के आवंटन से संबंधित है पर रिव्यु पिटीशन दाखिल करने का अभिमत दिया था । तथा मध्यप्रदेश के विधि विभाग ने एडवोकेट जनरल द्वारा दिए गए अभिमत अनुसार रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की अनुमति दी थी । परंतु इ ओ डब्ल्यू जांच में फंसे भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा प्रकरण के ओ वाई सी के साथ इंदौर जाकर ओ वाई सी पर दबाव बनाते हुए बिंदू सी एवं डी पर भी रिव्यू पिटीशन दाखिल कर दी । तथा आज दिनांक तक इस बाबत ये भ्रष्ट अधिकारी मुख्यमंत्री सचिवालय को भी अंधेरे में रखे हुए हैं ।तथा उन्हें यह जानकारी दी है कि हमने केवल लीज आवंटन को लेकर रिव्यू पिटीशन दाखिल की है ।
जिससे यह प्रतीत होता है कि मेंशन सिर्फ ई ओ डब्ल्यू को स्थगित करने के लिए एलाऊ करायी गई और शासन के साथ साथ कोर्ट को भी गुमराह किया गया ।

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