मध्यप्रदेश का अजब-गजब हौंसला


केन्द्र सरकार के उपक्रम से मांग ली रिश्वत
खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के सरकारी अफसरों और सरकारी संस्थाओं में पदस्थ पदाधिकारियों का हौंसला काबिले तारीफ है । अब केन्द्र सरकार के एक उपक्रम को आदेश प्रदान करने के एवज में रिश्वत की मांग कर ली गई ।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण मंडल की कार्यशैली प्रदेश के मटमैले तालाबों और नदियों , हवाओं में उड़ती जहरीली गैसों को नापकर की जा सकती है । नदियों तालाबों का मटमैलापन और हवाओं का जहरीला काला धुआं मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के भ्रष्टाचार की कहानी बयां करती है ।
उल्लेखनीय है कि प्रधान मंत्री के ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस को मध्य प्रदेश में भी तत्कालीन शिवराज सरकार ने प्रदेश में भी लागू किया जिसका जोर शोर से प्रचार भी किया गया I ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस के तहत  कई उद्योगों को जल एवं वायु प्रदुषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियमों  तहत सम्मत्ति लेने की अनिवार्यता से मुक्त कर दिया गया I उद्योगों को रेड ऑरेंज एवं ग्रीन श्रेणियों में वर्गीकृत कर दिया गया I बोर्ड से ऑनलाइन सम्मति प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरलीकृत किया गया I     
हालिया मामला बड़ा ही रोचक है । बोर्ड में जितने भी ऑनलाइन आवेदन जमा किए जाते हैं उनमें आवेदक की प्रोफाइल तथा उससे   संपर्क की संपूर्ण जानकारी रहती है । बस यहीं से खेल शुरू होता है । ऑनलाइन प्रोफाइल दिए गए आवेदक के संपर्क  नंबर पर फोन कर संपर्क करने के निर्देश दिए जाते हैं और फिर अनुमति दिए जाने के लिए डिमांड की जाती है । इसी रौ में बोर्ड के शीर्षस्थ पदाधिकारी जो  की भारतीय वन सेवा के अधिकारी है और कतिपय अपवादों को छोड़कर इनका लगभग पूरा सेवा काल प्रतिनियुक्ति में ही गुजरा है इनके प्रतिनियुक्ति के कार्यकाल में इनके द्वारा किये गए कदाचरण और भ्रष्टाचार की गूंज ने सत्ता की वीथिकाएँ को गुंजायमान कर रखा था मजाल है कि इनका कुछ बिगड़ा हो  और ये मनचाही  पद्स्थापनाओं  को अपने राजनैतिक संपर्को के चलते  सुशोभित करते रहे I  इनके   द्वारा केन्द्र सरकार के एक सार्वजनिक उपक्रम के प्रबंधन से उसके जल एवं वायु सम्मति आवेदन को अप्रूवल देने के लिए  मांग कर डाली । संबंधित अधिकारी चौंक उठा और उन्होंने इस तरह का सम्मान दिए जाने से स्पष्ट इंकार कर दिया गया । 
डिमांड करने वाले पदाधिकारी की नियुक्ति कांग्रेस शासनकाल में सरकार की चला चली की बेला में आनन  फानन  में की गयी  थी और इस नियुक्ति में भारी लेन-देन के आरोप लगे थे । मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लगभग  सारी नियुक्तियां निरस्त कर दी , लेकिन इस विवादास्पद नियुक्ति को जारी रखा । बताया जाता है कि यह नियुक्ति देश की सबसे बड़ी राजनीतिक खामी जातिवाद के आधार पर बची हुई है । उक्त पदाधिकारी के जाति के एक प्रमुख व्यक्ति इन दिनों प्रदेश में सत्ता के शीर्ष पर है ।

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