विधानसभा की सबसे कम बैठक शिवराज के तीसरे कार्यकाल में

 


मध्यप्रदेश की 14वीं विधान सभा का मानसून सत्र आज अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दिया गया । इस सत्र की पहचान इस बात के लिये होगी कि इस के चलते सदन की कम से कम बैठकें हो पायीं।

इस विधान सभा की पांच साल में केवल 133 बैठकें ही हो सकीं ।इस के  कारण लोक हित से जुडे बहुत सारे प्रश्नों का जवाब ही नहीं आ सका।

इस से भी कम बैठके छठवीं और नौवीं विधान सभा की हुई थीं पर उस वक्त उन का कार्यकाल पांच साल तक नहीं रहा था।

 

1956 में मध्यप्रदेश के गठन के बाद केवल एक 32 दिनों का सत्र हुआ था और उस में केवल 16 ही बैठकें हो सकी  थी।

दूसरी विधान सभा का कार्यकाल 1957 से 1962 तक रहा था और इस दौरान 277 बैठकें हो गईं थी।

 

भाजपा के सुन्दर लाल पटवा की सरकार 1990 से 1992 तक ही रही पर इसमें सदन की 123 बैठके हो गई जो कि अब की विधान सभा से केवल 10 ही कम थीं।

विधान सभा की सब से ज्यादा बैठकें 1993 से 2003 के बीच हुईं जब दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।

उन का पहला कार्यकाल जो कि 1993 से 1996 तक था में 282 बैठकें हुई और उन का दूसरा कार्यकाल जो कि 1996 से 2003 तक था में 289 बैठकें हो गईं।

विधान सभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा  का कहना है कि विधान सभा में कितनी बैठकें होंगी यह सरकार और राज्यपाल तय करते हैं । इसका उन से कुछ भी लेना देना नहीं है।
प्रदेश विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह ने कहा कि विधान सभा की कम बैठकें भाजपा का मन दिखाती हैं क्योंकि इस का ना तो प्रजातंत्र में और ना ही प्रजातांत्रिक संस्थानों में जरा भी भरोसा है ।

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