तो दीपाली रेस्तोगी को दिग्विजय सिंह के समय देना था इस्तीफा


भाजपा विधायक ने मॉडल स्कूल मामले में कसा तंज

खबर नेशन / Khabar Nation

आई ए एस अधिकारियों की निष्ठा पर सवाल उठाकर चर्चा में आई भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी दीपाली रेस्तोगी पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक ने तीखा तंज कसा है। भोपाल जिले के हूजूर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि दीपाली रेस्तोगी को नैतिकता के आधार पर तब इस्तीफा देना था जब तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के इशारे पर उन्होंने भोपाल के मॉडल स्कूल को मात्र एक रूपये पर इक ईसाई संस्था को दे दिया था। गौरतलब है कि दीपाली रेस्तोगी तब माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश की सचिव हुआ करती थी । रामेश्वर शर्मा ने यह भी कहा कि उक्त मॉडल स्कूल सोनिया गांधी के इशारे पर ईसाई संस्था को दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि उस वक
 वक्त मॉडल स्कूल बचाने मैंने आंदोलन किया था।
 गौरतलब है कि राज्य सरकार की सीनियर आईएएस दीपाली रस्तोगी ने नौकरशाहों की कार्यशैली पर सवाल उठाएं हैं। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखा है। दीपाली लिखती हैं, "अच्छा आईएएस अधिकारी वही माना जाता है, जो नेता की इच्छा के अनुरूप काम करे।" आदिम कल्याण विभाग की आयुक्त दीपाली रस्तोगी अपने बेबाक विचारों के लिए जानी जाती हैं। 

  राजनीतिक आकाओं की इच्छानुसार चलते हैं 
- दीपाली लिखती हैं, "राजनीतिक आका के बोलने से पहले ही अफसर उसकी इच्छा जान ले, उसके अमल के लिये तैयार हो जाए। आदिम कल्याण विभाग की कमिश्नर दीपाली रस्तोगी ने लेख में कहा कि नेताओं के डर से ऐसे अधिकारी मुंह नहीं खोलते। समाज सेवा करने के लिए बने आईएएस सेवा का व्यवहार ही नहीं करते।"     देश से कोई लगाव नहीं, लक्जरी लाइफ जीने के आदी 
- दीपाली ने लिखा, "हम लोग लोक सेवक हैं, लोक सेवा नहीं करते, देश से कोई लगाव भी नहीं। हमारे बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं और लग्जरी जीवन जी रहे हैं। अगर देश में न्याय सही मिलता तो हमारी कौम बहुत ही पहले खत्म हो जाती या दुर्लभ हो गई होती।"   इसलिए होता है हमारा सम्मान 
- लोग हमारा सम्मान सिर्फ इसलिए करते हैं, क्योंकि हमारे पास नुकसान और फायदा पहुंचाने की ताकत होती है। हम लोगों की कोई दूरदृष्टि नहीं, नेताओं को खुश करने वाले निर्णय लेते हैं। व्यवस्था सुधारने के लिए दरअसल हम काम ही नहीं करते और यह डर रहता है कि व्यवस्था बेहतर कर दी तो कोई पूछेगा ही नहीं। 
 
नेताओं को खुश करने में जुटे रहते हैं 
- लेटरल एंट्री के सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि नेताओं को खुश करने उनके हिसाब से काम करने, झूठ और सच को सही और गलत में अंतर खत्म करने से मूल विचार खत्म हो गए हैं। दीपाली 1994 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और उनके पति मनीष रस्तोगी भी राज्य सरकार में सीनियर आईएएस हैं। कुछ दिन पहले ही ई-टेंडरिंग टेंपरिंग घोटाले को उजागर करने को लेकर मनीष रस्तोगी चर्चाओं में है।

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