और बाबूलाल गौर बोले तो शिवराज के खिलाफ लडूंगा विधानसभा चुनाव

 

अरविंद शर्मा / खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश विधानसभा के लिये इस साल होने वाले चुनाव भोपाल के गोविंदपुरा क्षेत्र में बहुत ही ज्यादा रोचक हो सकते है।
इस का कारण यह है कि यहां पर दो उम्मीदवारों के होने की प्रबल संभावना है।
इन में से पहले उम्मीदवार हो सकते हैं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और दूसरे होंगे पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर।

खबर नेशन से बातचीत में गौर ने कहा कि चाहे जो हो जाये वो इस बार गोविंदपुरा से  हर हाल में चुनाव लडेंगे।
गौर ने कहा कि उन को भी पता है कि चौहान गोविंदपुरा से चुनाव लड सकते हैं क्यांकि उन को बुधनी में खतरा नजर आ रहा है।
यहां पर यह बताना जरूरी है पिछले 10 बार से गौर ही गोविंदपुरा से चुनाव जीतते आ रहे हैं।गौरतलब है कि गोविंदपुरा से बाबूलाल गौर का टिकिट काटने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी शिवराज सिंह चौहान  मैदान में उतर सकते हैं । इस की दो वजह हैं । एक तो गोविंदपुरा सीट भाजपा का गढ़ बन गई है । दूसरा पार्टी के खिलाफ डैमेज कंट्रोल करने में सिर्फ शिवराज सिंह चौहान ही सक्षम है ।


अगर वो अब की बार भी लडे तो यह उन के लिये गोविंदपुरा से 11वां चुनाव होगे।
अगर शिवराज और गौर आमने सामने लडे तो यह कहना कठिन हो सकता है कि कौन जीतेगा पर इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि मुकाबला बहुत ही ज्यादा दिलचस्प होगा।
भाजपा में चल रहे षड़यंत्र के तहत गौर को सत्तर पार उम्र का हवाला देते हुए मंत्री पद से हटा दिया गया था । बाद में पार्टी फोरम पर इस मामले को उठाकर गौर ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को सफाई देने पर मजबूर कर दिया । पार्टी में दबे छुपे स्वरों में गौर को टिकिट न दिए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं । हालांकि गौर केम्प ने भोपाल की पूर्व महापौर कृष्णा गौर का नाम विकल्प के तौर पर आगे बढ़ा रखा है पर भाजपा में इसका भी विरोध किया जा रहा है ।
गौरतलब है कि भोपाल के गोविंदपुरा क्षेत्र से हर चुनाव में प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर विरोध होता है ।  हर बार गौर टिकिट लेकर आते हैं और चुनाव जीततें हैं । 2003 में भारतीय जनता पार्टी की स्टार प्रचारक और मुख्यमंत्री के घोषित दावेदार रही उमा भारती ने गौर को टिकिट न देने की जिद पाली थी। मगर अटल बिहारी वाजपेई के हस्तक्षेप से गौर का टिकिट हुआ । बाद में मुख्यमंत्री उमा भारती ने हुबली कांड में गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा देने के दौरान गौर का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तुत किया ।

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