शराब तस्करों की नज़र में भाजपा की कीमत मात्र 2 रुपए क्वार्टर

 

शिवराज सरकार के इशारे पर भाजपा को देते पार्टी फंड की हकीकत

मोदी के गुजरात को यूं लगाई जाती है शराब खोरी की लत शराब 

शिवराज की ताकत भी और कमजोरी भी 
खबर नेशन / Khabar Nation

जी हां चौंकिए मत यह बात सच है कि शराब तस्करों की नजर में भारतीय जनता पार्टी की कीमत एक क्वार्टर के बदले महज ₹2 है । यह कीमत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के कहने पर भारतीय जनता पार्टी को संगठन राशि (पार्टी फंड) के नाम पर पहुंचाई जाती है । बदले में शराब तस्कर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में शराब तस्करी का अवैध परमिट पा लेते हैं । हाल ही में मध्यप्रदेश के मुरैना में जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद जब शराब व्यवसाय के मामले को तलाशने की कोशिश की तो यह हकीकत सामने आई। 

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के शराब व्यवसाय और निर्माण से जुड़े लोगों के लिए राज्य की गुजरात बॉर्डर स्वर्ग से कम नजर नहीं आती है। वजह गुजरात में शराबबंदी है और गुजरात की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के जिले यहां से शराब ले जाने का एंट्री प्वाइंट । मध्य प्रदेश का बड़वानी अलीराजपुर धार और झाबुआ जिलों के रास्ते शराब गुजरात ले जाई जाती है । 
इसके बदले में शराब तस्कर शिवराज सरकार के कहने पर भारतीय जनता पार्टी को जो फंड देते हैं वह ₹100 प्रति पेटी है । एक पेटी में 48 क्वार्टर या 24 अध्दे या 12 बोतल आती है ।जो एक ट्रक में 1435 पेंटी में पैक होकर लोड की जाती है । और यू पार्टी फंड के नाम पर प्रति ट्रक ₹140000 ( अक्षरी एक लाख चालीस हजार रुपए) हो जाता है । प्रतिदिन 25 से 30 ट्रक शराब अवैध तरीके से गुजरात पहुंचाई जाती है । जिसका हिसाब इमानदारी से होता है । इस प्रकार प्रतिदिन 30 से 50 लाख रुपया पार्टी फंड के नाम पर वसूला जाता है । यह पार्टी फंड सिर्फ गुजरात भेजी जाने वाली शराब का है ।
सूत्रों के अनुसार यह राशि मध्य प्रदेश में भाजपा संगठन के राजनैतिक आयोजनों को संपन्न कराने में,  प्रदेश में आने वाले राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की आवभगत और मेहमान नवाजी पर खर्च किया जाता है । शराब तस्करों से प्राप्त पार्टी फंड की एक मोटी राशि प्रतिमाह केंद्रीय कार्यालय को भी भेजी जाती है। जिसका उपयोग विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनावों की तैयारियों में खर्च किया जाता है ।

शराब शिवराज की ताकत और कमजोरी ? 
शराब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ताकत इस मायने में है कि पूरे साल भर जहां वे पार्टी को मोटा फंड दिला कर अपनी कुर्सी मजबूत करें रखते हैं । वही साल के शुरुआती 3 महीने में वे शराब नीति के सहारे अपना वोट बैंक मजबूत करने की जुगत में लगे रहते हैं। कमजोरी इस मायने में कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शराब नीति में ऐसे प्रावधानों के खिलाफ हैं जो नई दुकान खोलने या प्रदेश में शराब की खपत बढ़ाने से संबंधित हो। एक बार तो शिवराज ने शराब नीति को कैबिनेट मंजूरी देने के दूसरे दिन ही अपनी कैबिनेट का फैसला यह कहते हुए बदल दिया कि वह रात भर नहीं सो पाए । इस साल भी शराब की ऑनलाइन खपत के नाम पर शिवराज पूरी राजनीति खेल रहे हैं । सत्ता से वास्ता रखने वाले प्रमुख राजनेता इस बात पर हतप्रभ रहते हैं कि मुख्यमंत्री की भावना से ज्ञात रहने के बाद भी अफसर इस तरह के प्रावधान शराब नीति में लेकर क्यों आते हैं । कहीं यह शराब के साथ शिवराज की नूरा कुश्ती तो नहीं ?
यह कहानी सिर्फ भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ही नहीं है। इस मामले में मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी शामिल रही है । बस सत्ता परिवर्तन के बाद स्थानीय चेहरे बदलते गए । शराब व्यवसाय और शराब निर्माण से जुड़े माफिया के चेहरे पुराने ही रहे । पाठकों को याद हो कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ के नजदीकियों के यहां पड़े आयकर छापों में दिल्ली तक राजनैतिक चंदा हवाला के माध्यम से पहुंचाएं जाने के लिंक आयकर विभाग को मिले थे। 
मध्यप्रदेश में चल रहे शराब के इस गोरखधंधे की विस्तृत रिपोर्ट कौन-कौन है शामिल ? के बारे में हम आप को निरंतर बताते रहेंगे।

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