कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पा रहे कमलनाथ और विष्णु दत्त शर्मा

 

अनुभव की कमी और महत्वाकांक्षा बड़ी वजह

सोशल मीडिया पर ही सिमट गए मुद्दे और उपलब्धियां 

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation

 मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा अपने अपने संगठन के कार्यकर्ताओं में जोश भर पाने में असफल साबित हो रहे हैं । इसकी सबसे बड़ी वजह कमलनाथ और विष्णु दत्त शर्मा का मध्य प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों से सामंजस्य ना बिठा पाना और स्वयं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का हावी होने देना रहा है ।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 4 उपचुनाव चल रहे हैं ।दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के संगठन प्रमुख अपने ही कार्यकर्ताओं से कनेक्ट हो पाने में असफल रहे हैं । अगर वर्तमान हालात पर देखा जाए तो जनता के बीच पहले नंबर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और दूसरे नंबर पर कमलनाथ बतौर पूर्व मुख्यमंत्री आमने सामने नजर आ रहे हैं । कांग्रेस अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से कमलनाथ अपना असर छोड़ पाने में असफल रहे हैं ।

 अनुभव की कमी - भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का भाजपा संगठन में कार्य करने का ज्यादा अनुभव नहीं रहा है । वीडी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दबाव के चलते भाजपा संगठन में शामिल किए गए थे । उन्हें 2013 में भाजपा में शामिल किया गया। बाद में वीडी को प्रदेश महामंत्री बनाया गया । महज 7 साल पहले भाजपा में शामिल किए गए वीडी की एबीवीपी के कारण छात्रों और युवाओं में तो पहचान है पर भाजपा के खांटी कार्यकर्ता (जिन्हें देव दुर्लभ के तौर पर जाना जाता है) से कनेक्टिविटी बना पाने में असफल रहे हैं । अगर वीडी से पहले के प्रदेश अध्यक्षों के राजनीतिक जीवन पर नजर डाली जाए तो वे भाजपा में विभिन्न पदों पर कार्य करने के बाद ही प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष बन पाए थे।  विभिन्न पदों पर कार्य कर पाने के कारण पूर्व प्रदेश अध्यक्षों का राजनैतिक अनुभव वरिष्ठों के साथ समन्वय बना पाने में आसान सिद्ध होता रहा है । 

वीडी के मुकाबले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के भी हालात ऐसे ही हैं। संजय गांधी के मित्र के नाते उन्हें छिंदवाड़ा से लोकसभा सदस्य बनाया गया था।  कमलनाथ के पास केंद्रीय राजनीति में विभिन्न पदों पर काम करने का दीर्घ अनुभव है । कमलनाथ राजनीति में लगभग 40 साल सक्रिय रहने के दौरान मध्य प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए खुद को प्रदेश में सीमित संपर्कों के साथ सक्रिय रखे रहे । 2018 में कमलनाथ पूर्ण रूप से मध्य प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से सक्रिय हुए । तब से अब तक कमलनाथ की सबसे बड़ी कमजोरी संगठन पर मजबूत पकड़ ना बना पाने के तौर पर सामने आई है । इसमें कमलनाथ की स्वयं की कार्यशैली भी एक अलग स्थान रखती है । क्योंकि कमलनाथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने के आदी रहे हैं  जहां कार्य करने की शैली काफी अलग तरह की होती है । इस शैली में समय प्रबंधन और व्यवस्थित तरीके के साथ पेपर और रिपोर्ट आधारित कार्य करने को महत्व दिया जाता है । जबकि प्रदेश में कार्य करने में अव्यवस्थित तरीका ज्यादा कारगर होता है । एक यही वजह है जो कमलनाथ को कार्यकर्ताओं के साथ संबंध स्थापित करने में पीछे धकेल रही है।

 सोशल मीडिया - कमलनाथ और वीडी सोशल मीडिया पर उपस्थिति बना पाने में  सफल रहे हैं । इसके पीछे दोनों के प्रोफेशनल टीम की कार्यशैली ही सफलता की कुंजी मानी जाती है।  इसके बावजूद भाजपा जहां सरकार की उपलब्धियों को आम जनता तक पहुंचा पाने में असफल हुई है ,वही कांग्रेस सरकार को घेरने वाले मुद्दों को रख पाने में असफल साबित हुई है। 


 महत्वाकांक्षा - कमलनाथ वीडी का राजनीतिक नुकसान कराने में दोनों की स्वयं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी खासी महत्वपूर्ण है । गौरतलब है कि 2018 के चुनाव में विजय प्राप्त कर कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया गया। कांग्रेस पार्टी के अंतर कलह और गुटबाजी का भाजपा ने लाभ उठाकर सिंधिया गुट को अलग करा कमलनाथ सरकार गिरवा दी । मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई।  कांग्रेस की अंर्तकलह सिंधिया और भाजपा के इस घात के सदमे से कमलनाथ उबर नहीं पाए हैं। कमलनाथ भाजपा से राजनीतिक अपमान का बदला लेने 2023 में मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं और सरकार की कमजोरियों पर प्रहार कर रहे हैं । कमलनाथ के नजदीकी सूत्रों के अनुसार खुले तौर पर उन्हें 2023 में मुख्यमंत्री बनाने का दावा किया जा रहा है । बस यही वजह है कि ऊपरी तौर पर एक दिखने वाली कांग्रेस के अन्य नेताओं को यही नहीं सुहा रहा है । इसी वजह से सारे नेता अपने अपने कार्यकर्ताओं को लामबंद रखे रहने की जुगत लगाए हुए हैं । 
ठीक ऐसे ही हालात वीडी शर्मा के बने हुए हैं  किस्मत के सहारे मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बने वीडी शर्मा के पदभार ग्रहण करते ही 1 माह के भीतर मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की पटकथा को अंतिम रूप दे दिया गया । शर्मा प्रदेश अध्यक्ष के नाते एक स्वाभाविक दावेदार के तौर पर गिने जा रहे थे पर 22 विधानसभा उप चुनाव को जीतने की दृष्टि से शिवराज सिंह चौहान को फिर मुख्यमंत्री बना दिया गया । भाजपा में मुख्यमंत्री पद के अन्य दावेदार भी हैं  । सीएम बदलने की लड़ाई को और रोचक बनाने के लिए बीडी शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के अरमानों को जमकर हवा दी गई । अब वीडी स्वयं को भविष्य के मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहे हैं जो  वीडी के लिए घातक बनता जा रहा है।

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