सिंधिया जी हम आपकी विनम्रता के कायल हो रहे हैं


मगर फिल्मी कैरेक्टर मत निकलना

 खबर नेशन / Khabar Nation

मध्य प्रदेश के ग्वालियर रियासत के महाराज श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया का हालिया प्रदेश द्वारा कांग्रेस भाजपा और राजनीतिक विश्लेषकों , मीडिया कर्मियों को चकित कर रहा है । सिंधिया के अंदाज जुदा-जुदा से नजर आ रहे हैं।  सब उनकी विनम्रता के कायल होते नजर आ रहे हैं।

 सिंधिया अपने चार दिवसीय दौरे में अपने गुट के परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत के घर रात्रि भोज पर गए । प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी की लेकिन सबसे चौंकाने वाला घटनाक्रम मुख्यमंत्री कमलनाथ गुट के पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे और वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी की समर्थक पर्यटन मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ के घर पहुंचने का रहा । इस दौरान कई अवसरों पर वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी भी मौजूद रहे । बताया जाता है कि सिंधिया मध्य प्रदेश के दौरे पर आने के पूर्व कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी से भी मुलाकात करके आए । अब कल इंदौर आए तो लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन से मिले तो उनकी गर्मजोशी देख मौजूद लोग हैरत में पड़ गये । सिंधिया के व्यवहार से चकित होने की वजह रही अभी तक सिंधिया के बारे में यह बताया जाता रहा कि उनका व्यवहार अपने समर्थकों के साथ भी दंभ भरा रहता है । एक तो सिंधिया की राजसी पृष्ठभूमि और उस पर उनका व्यवहार कार्यकर्ताओं के साथ साथ उनके गुट के बड़े नेताओं को भी असहज महसूस करने पर बाध्य कर देता है । हालांकि सिंधिया आकर्षक चेहरे के साथ साथ वाक चातुर्य में भी प्रवीण है और उन्हें कई विषयों का भरपूर ज्ञान भी है ।
 इस बार उनका मध्यप्रदेश आना और अपने कार्यकर्ताओं के बजाय विरोधी गुट के नेताओं से संपर्क बनाना आश्चर्यचकित कर गया । इस दौरान सिंधिया इंदौर, विदिशा, चंदेरी और मुंगावली में विभिन्न सामाजिक, राजनैतिक और प्रशासनिक कार्यक्रमों में शामिल हुए । पार्टी नेताओं के घरों पर शोक श्रद्धांजलि देने भी गए । इस दौरान कमलनाथ और सिंधिया की मुलाकात नहीं हुई कमलनाथ सिंधिया के डिनर पर भी नहीं गए ।
बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में लंबे समय से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ताजपोशी की अटकलें चल रही है । सिंधिया एक प्रमुख दावेदार के तौर पर इस दौड़ में बताए जा रहे हैं । इसी के साथ ही अप्रैल माह में मध्य प्रदेश से राज्यसभा की 3 सीटों के लिए निर्वाचन होना है । जिस पर भी सिंधिया की नजर पड़ी हुई है ।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद सिंधिया के बयान कमलनाथ सरकार को भी संकट में डालते नजर आए ‌। की अवसरों पर सिंधिया ने कांग्रेस को भी संकट में डालने का काम कर डाला । मामला चाहे कुछ ही दिन पूर्व ट्विटर बायो से कांग्रेस शब्द हटाने का रहा हो या कश्मीर में धारा 370 ,35 A का समर्थन करने का । कांग्रेस और कमलनाथ सरकार संकट में घिरती नजर आई । सिंधिया के मध्यप्रदेश सरकार को लिखे गए पत्र और बयान मुसीबत बनते रहे हैं । हांलांकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद सत्ता और संगठन में समन्वय स्थापित नहीं हो पा रहा है । कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं को मंत्रियों द्वारा महत्त्व नहीं दिया जा रहा है । जिसकी एक वजह मुख्यमंत्री कमलनाथ तक आम कार्यकर्ताओं की पुहुंच ना हो पाना भी है ।
 ऐसे हालात में इसे सिंधिया का कांग्रेस में सियासी संतुलन बनाने की कवायद और सर्वमान्य नेता बनने का प्रयास भी माना जा रहा है ।   सिंधिया कहते भी हैं कि राजनीति मेरे लिए नेतागिरी करना नहीं है ,मैंने जनसेवा को अपना लक्ष्य बनाया है । लेकिन जब वे प्रदेश के विकास पर बयान देते हैं तो उनकी सरकार के साथ तल्खी भी नजर आती है । जैसे हाल ही में सिंधिया ने कहा कि अभी तक मुझसे पूछा ही नहीं गया जब पूछा जाएगा तब राय दूंगा । प्रदेश में अभी सभी क्षेत्रों में काम होना बाकी है । 
पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है कि सिंधिया जी अगर आप में यह नैसर्गिक परिवर्तन आ रहा है तो स्वागत योग्य है । उनका कहना था कि सिंधिया को महत्त्वपूर्ण पद भी मिल जाए इसका भी हम स्वागत करेंगे लेकिन पद मिलने के बाद या भविष्य में सिंधिया फिर वैसे हो गये तो आम जनता तो दूर उनके गुट के कार्यकर्त्ता भी इसे फिल्मी कैरेक्टर मानते हुए उनसे छिटक जाएंगे ।

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