इकबाल रिटर्न : अदालत में हाजिर हो.......

मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा गया नोटिस

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation 

सेवानिवृति के दिन छह माह के लिए सेवावृद्धि प्राप्त  करने वाले मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को माननीय उच्च न्यायालय ने अदालत में हाजिर होने का नोटिस दिया है।

मामला फर्जी जाति प्रमाण पत्र उपायुक्त ,आदिवासी विभाग  शहडोल संभाग का है । आदिवासी विभाग की मुखिया उप आयुक्त उषा अजय सिंह  प्रमाणित भ्रष्टाचार की न्यायालय द्वारा दंडित अधिकारी हैं । दंडित अधिकारी होने के बावजूद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो के के सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को शिकायत भेजी है। के के सिंह का कहना है कि डॉ.उषा अजय सिंह, संभागीय उपायुक्त, जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास शहडोल संभाग शहडोल में पदस्थ हैं। पूर्व में श्रीमती उषा अजय सिंह के विरुद्ध श्रीमान प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश म०प्र० भोपाल के न्यायालय में सत्र प्रकरण क्रमांक 544/2013 जे0एल0 मिश्रा बनाम श्रीमती उषा अजय सिंह के विरूद्ध अपराध धारा 466, 467, 468,471, 420 भा.द.वि. का विधारण चला । विचारण उपरान्त न्यायालय की ने दिनांक 29.12.2017 को निर्णय पारित किया। अभियुक्त उषा अजय सिंह को अपराध धारा 468, 420 एवं 471 में अपराध प्रमाणित पाया गया । जिसमें अपराध धारा 468 भा.द.वि. मेंदो वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000/- (रुपये दो हजार मात्र) अर्थदण्ड एवं अपराध धारा 420 में एक वर्ष का सश्रम कारावास व एक हजार रुपये का अर्थदण्ड एवं अपराध धारा 471 भा.द.वि. में एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है।

उक्त दण्डादेश के उपरांत डॉ. उषा अजय सिंह को जनजातीय कार्य विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई बल्कि उन्हें पृथक-पृथक स्थानों पर निर्णय पारित होने के उपरांत वरिष्ठ पद पर पदस्थापना की जा रही है। वर्तमान समय में संभागीय उपायुक्त जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास शहडोल एवं जबलपुर संभाग का प्रभार दिया गया है। 

सामान्य प्रशासन विभाग म०प्र० भोपाल के ज्ञाप क्र. / सी-6-3/77/3/1 भोपाल, दिनांक 15.09.77 एवं क्रमांक सी-6-2/80/3/1 भोपाल, दिनांक 06.10.80 एवं क्रमांक सी-2-98-03-1 भोपाल, दिनांक 26.05.1998 में दिये गये निर्देशानुसार इस प्रकार की कार्यवाही करने के लिये इस बात का कोई प्रतिबन्ध नहीं है कि उस शासकीय सेवक ने अपनी दोष सिद्धि के विरूद्ध अपील दायर कर दी है। इसलिये शास्ति अंधिरोपित नहीं की जा सकती" के उपरान्त भी लगातार राजनैतिक संरक्षण प्राप्त कर लगातार शासकीय सेवा कर रही हैं। नियमानुसार अगर किसी भी व्यक्ति / शासकीय सेवक को न्यायालय द्वारा दोषी पाया जाकर दण्डित किया गया तो उसके विरुद्ध विभाग को यह अधिकारिता होती है कि तत्काल उसे सेवा से पृथक किया जावे। किन्तु श्रीमती उषा अजय सिंह के विरूद्ध जनजातीय कार्य विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है। श्रीमती उषा अजय सिंह के विरूद्ध पारित निर्णय दिनांक 29.12.2017 के परिपालन में उन्हें उनके पद से सेवा समाप्त किया जाना न्यायहित में आवश्यक है।

और अंत में उन्होंने शिवराज सिंह से विनती की है कि न्यायालय श्रीमान् अतिरिक्त सत्र न्यायालय के द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भोपाल के सत्र प्रकरण क्रमांक 544 / 2013 जे०एल० मिश्रा बनाम श्रीमती उषा अजय सिंह में पारित निर्णय दिनांक 24.12.2017 के पालन में श्रीमती उषा अजय सिंह संभागीय उपायुक्त जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास संभाग शहडोल एवं संभाग जबलपुर के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाकर तत्काल उनके पद से पदच्युत (बर्खास्त) किया जाये।

मुख्यमंत्री को शिकायत किए जाने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है। जिस पर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी किए गए हैं।

 

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