सूचना के अधिकार में पंजीयन महानिरीक्षक का अनोखा फैसला

खबरनेशन / Khabarnation

मध्यप्रदेश के पंजीयन एवं मुद्रांक महानिरीक्षक कार्यालय ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अनोखा फैसला दिया हैं। चाही गई जानकारी के लिए आवेदक को विभाग का रजिस्टर्ड यूजर बनने की सलाह देते हुए खुद ही जानकारी तलाशने का फैसला दिया गया हैं।

गौरतलब हैं कि इंदौर के प्रदीप हिन्दुजा द्वारा मध्यप्रदेश के पंजीयन एवं मुद्रांक महानिरीक्षक कार्यालय भोपाल से दिनांक 13-11-2017 के बाद से इंदौर के कार्यालय में पंजीयन किए गए दस्तावेजों की जानकारी मांगी गई थी।

पंजीयन मुख्यालय भोपाल ने इंदौर जिला पंजीयक कार्यालय को उक्त जानकारी प्रदाय किए जाने हेतु निर्देश दि दिए। इंदौर जिला कार्यालय ने अपने स्तर पर उक्त जानकारी दिए जाने में असर्मथता जताते हुए भोपाल मुख्यालय स्थित परियोजना अधिकारी संपदा ईकाई की ओर पत्र प्रेषित कर दिया।

गौरतलब हैं कि विगत दो-तीन वर्षों से पंजीयन विभाग पूर्णता कम्प्यूटरीकृत होकर ऑनलाईन रजिस्ट्री की प्रक्रिया अपना रही हैं। इस कार्य के लिए संपदा नाम का सॉफ्टवेयर तैयार करवाया गया हैं। ऑनलाइन होने के प्रदेश के प्रत्येक पंजीयन कार्यालय में इण्डेक्स रजिस्टर तैयार करवाए जाते थे। जिसमें क्रेता, विक्रेता, दिनांक के आधार पर पंजीकृत दस्तावेजों की जानकारी उपलब्ध रहती थी। सूत्रों के अनुसार ऑनलाइन प्रक्रिया होने के बाद इस प्रक्रिया को बंद कर दिया गया। इस तरह की जानकारी संभवतः संपदा सॉफ्टवेयर में भी उपलब्ध नहीं हैं। जिसके चलते आम नागरिकों को पंजीयन विभाग के वेन्डरों के पास जाना पड़ता हैं और अधिक पैसा देना पड़ता हैं।

विभागीय सूत्रों का कहना हैं कि संपदा विभाग की कुछ सेवाए विगत अक्टूबर नवंबर माह से बंद हैं। जिससे संपदा शाखा भी अवगत हैं। जिसके कारण प्रदेश के कई जिला पंजीयक अपने मातहत सब रजिस्ट्रारों द्वारा किए जा रहे पंजीयन का रेंडम परीक्षण भी नहीं कर पा रहे हैं।

भोपाल कार्यालय स्थित लोक सूचना अधिकारी एवं वरिष्ठ जिला पंजीयक मुख्यालय भोपाल श्री दोहरे से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि हमें संपदा शाखा द्वारा अवगत कराया गया हैं कि रजिस्टर्ड यूजर बनकर आवेदक जानकारी ले सकता हैं। इसकी प्रक्रिया इंदौर जिला पंजीयक कार्यालय द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं।

इस मामले में आवेदक प्रदीप हिन्दुजा ने कहा कि हम रजिस्टर्ड यूजर क्यों बनें..? जब यह जानकारी विभाग के पास हैं तो वह हमें उपलब्ध क्यों नहीं करा रहा। मैंने उक्त जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए मांगी थी। जब नहीं दी गई तो हमारे वकील ने नोटिस दिया था। जिसके बाद उन्होंने यह पत्र हमें भेज दिया। माननीय उच्च न्यायालय ने इंदौर जिले की हाईराईज बिल्डिंगों में क्रय-विक्रय और तृतीय पक्ष के दखल को लेकर आदेश पारित किया हुआ हैं। माननीय हाईकोर्ट के 09-11-2017 को पारित किया था। जिसके बावजूद इंदौर कार्यालय द्वारा भू-माफियाओं के साथ साठगांठ कर रजिस्ट्रिया की गई।


 

Share:


Related Articles


Leave a Comment