दादी इंदिरा वाया मोदी राहुल


गरीबी वहीं के वहीं सबने पकड़ाया झुनझुना

खबर नेशन /Khabar Nation

आज से खबर नेशन एक नया कॉलम गुस्ताखी मॉफ शुरू कर रहा है । राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक और समसामयिक विषयों पर एक करारा प्रहार । लेखक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अपने आक्रामक और तार्किक लहजे से राजनेताओं की बोलती बंद करने वाली एंकर नाज़नीन नकवी हैं ।
आप सबको यह बताने में मुझे कोई संकोच नहीं है कि गुस्ताखी मॉफ नाज़नीन नकवी के साथ सामान्य चर्चा में उपजा नाम है । जिसका शुरुआती लेख नाज़नीन नकवी ने लिखना स्वीकार किया ।
कहावत है कि काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती लेकिन सियासत के मैदान में जैसे नेताओं को सब मुमकिन सा दिख रहा है...तब ही तो 48 साल पहले इंदिरा गांधी का गरीबी हटाओ का नारा राहुल गांधी आज दोहराते दिखे हैं... राहुल गांधी ने केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने पर 25 करोड़ गरीब लोगों को मिनिमम इनकम गारंटी देने का एलान किया है, जिससे वह गरीबी से बाहर निकल सकें। राहुल गांधी के वादे के मुताबिक इस योजना से पांच करोड़ गरीब परिवारों को फायदा होगा और कम से 72 हजार रुपये सालाना उन्हें मदद दी जाएगी। इस योजना का आधार है कि किसी की भी आमदनी कम से कम 12 हजार रुपये तक पहुंचा दी जाएगी। लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर महासंग्राम में बदल चुके माहौल के बीच कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को लेकर बड़ा एलान तो कर दिया। लेकिन क्या राहुल ने ये सोचा कि अगर जनता ने उन पर भरोसा किया, तो योजना से अर्थव्यवस्था पर कितना बोझ पड़ेगा। अभी देश की जीडीपी 207 लाख करोड़ है और राजकोषीय घाटा 7 लाख करोड़ का है। ऐसे में राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी का 3.4 फीसदी है। राहुल की नई योजना से 3.6 लाख करोड़ के खर्च का अनुमान लगाया गया है। इससे राजकोषीय घाटे पर 1.7 फीसदी अतिरिक्त भार बढ़ सकता है। योजना लागू हुई तो राजकोषीय घाटा बढ़कर 10.6 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। लेकिन फिलहाल लगता है कि कांग्रेस को इसकी चिंता नहीं। बड़ी चिंता है केंद्र से मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की जिसके लिए परिवार एकजुट होकर मैदान संभाले हुए हैं। कांग्रेस ने इसके लिए गठबंधन से भी इनकार नहीं किया। अब ये बात और है कि उसे सफलता नहीं मिली। लेकिन राहुल जरूर पहले से परिपक्व हुए हैं और ऐसा कहने के पीछे वजह है राहुल का विस चुनाव में वोट बटोरने के लिए चला गया मास्टर स्ट्रोक यानि किसान कर्ज माफी। इसलिए राहुल ने अब लोकसभा के रण में गरीबों की गरीबी को हथियार बनाया है।  लेकिन गुस्ताखी माफ साहब....ये जनता भी जानती है कि किरदार नया है पर, नाटक वही पुराना...जिस सपने को लेकर आपकी दादी इंदिरा चली थी आप भी अब उसी राह पर है..जबकि देश की जनता ने आपको 55 साल दिए..तो क्यों न आप इस बार वो सोचे जो जनता चाहती है...आप अपने सिपहसालारों पर भरोसा कीजिए...पर कभी खुद भी मिलिए देश के नौजवान...जानिए कि उसको चाहिए क्या..वैसै आपको याद होगा साल 2014...जब आपके प्रतिद्वंद्दी नरेंद्र मोदी ने देश के नौजवान को रोजगार देने की बात कही थी...और वो नौजवान अब भी उस रोजगार के इंतजार में है। तो देना ही है तो रोजगार दीजिए...मत पकड़ाइए नौजवानों को, गरीबों को मुफ्त योजनाओं की बैसाखी...

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