सिंडिकेट बनाकर की जा रही है अरबों की शराब तस्करी

 

ठेकेदार शराब निर्माता और आबकारी अधिकारी की साझेदारी साथ में गुजरात कनेक्शन

खबर नेशन / Khabar Nation

मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ क्षेत्र के शराब ठेकेदार और शराब निर्माताओं के साथ आबकारी अधिकारियों की साझेदारी में सिंडीकेट बनाकर अरबों रुपए की शराब तस्करी कर गुजरात भेजी जा रही है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग तीस ट्रक शराब हर दिन गुजरात में खपा दी जाती है । इस सिंडिकेट के कनेक्शन गुजरात के अवैध शराब कारोबारी से भी है। ंं

गौरतलब है कि विशेष लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए एक साथ काम करने वाले व्‍यक्तियों या कंपनियों का समूह, व्‍यवसाय-संघ; को अंग्रेजी में सिंडिकेट कहा जाता है । गुजरात में शराब पर कानूनी पाबंदी है लेकिन पूरे गुजरात में अवैध शराब का कारोबार लगभग तीस हजार करोड़ रुपए का है । गुजरात के मदिरा प्रेमियों की चाहत ऐसी की पंजाब , हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित अनेक दूरदराज के प्रदेश से शराब तस्करी कर गुजरात ले जाई जाती हैं । इस तीन हजार करोड़ के अवैध शराब कारोबार में से लगभग एक हजार करोड़ रुपए की अवैध शराब की पूर्ति मध्यप्रदेश से की जाती है । इसी के साथ ही लगभग दो हजार करोड़ रुपए की अवैध शराब अन्य राज्यों के ठेकेदार मध्यप्रदेश से होकर गुजरात पहुंचाते हैं । 

अवैध शराब के कारोबार को बकायदा कानूनी अमलीजामा पहनाया जाता है । जिसकी आड़ में चार गुना अधिक शराब अवैध तरीके से ले जाई जाती है । शराब परिवहन के निर्धारित ट्रक है । जिनका मालिकाना हक शराब निर्माता और शराब ठेकेदार के कारिंदों या उनके रिश्तेदारों के नाम पर है । इन ट्रको को आबकारी विभाग और पुलिस का अमला भी जानता है । जिसे रोकने की जुर्रत नहीं की जाती बल्कि गुजरात सीमा में प्रवेश कराने की जबाबदारी ली जाती है ।

मध्यप्रदेश की विभिन्न शराब आसवानियों ( शराब फैक्ट्री ) से शराब के थोक भंडार तक शराब पहुंचाने के परिवहन परमिट जारी किए जाते हैं। जिसकी आड़ में तीन चार ट्रक शराब लादकर भंडार गृह तक पहुंचते-पहुंचते गुजरात सीमा में प्रवेश कर जाती है । इस मामले में आगे की जबाबदारी गुजरात का सरकारी अमला संभाल लेता है जिसे हाईप्रोफाइल राजनैतिक और प्रशासनिक संरक्षण मिला हुआ है ।

गाड़ियों का रूट -

1) पंजाब-हरियाणा-दिल्ली से नीमच-रतलाम होते हुए खलघाट-कुक्छी-अलीराजपुर/सरदारपुर-झाबुआ से गुजरात।

2) धार/खरगोन/इन्दोर से गुजरात जाने के दो रास्ते है- एक कुक्छी-अलीराजपुर, दूसरा सरदारपुर-राजगढ़-झाबुआ।

 

 तरीका -

1) पंजाब-हरियाणा-दिल्ली-गुजरात लाइन:- फर्जी परमिट,पुलिस से सांठगांठ।

2) लोकल गुजरात लाइन-एक चालान का महीने भर इस्तेमाल करते हुए मैन्युअल टीपी बनवाकर।ऐसे चालान धार,झाबुआ, अलीराजपुर के लाइसेंसियों से महीने के शुरू में एक ही समय डलवाए जाते हैं।पुलिस सेट होती है पर यदि किसी दवाब में पुलिस को गाड़ी पकड़नी ही पड़ी तो संबंधित जिले का आबकारी अधिकारी तुरंत मैनुअल टीपी जारी कर देता है जिसे पुलिस/कोर्ट में पेश कर सिंडिकेट द्वारा गाड़ी छुड़वा ली जाती है।

 

कभी कभी शराब के अवैध ट्रक आबकारी भी पकड़ती है(सिंडिकेट के कहने पर) किन्तु ऐसा तब होता है जब सिंडिकेट के अलावा कोई दूसरा शराब माफ़िया इस रूट में शराब तस्करी करते हुए सिंडिकेट को चैलेंज करने की कोशिश करता है।

 

 काली कमाई - 

प्रति दिन औसत 1000-1000 पेटी के 30 ट्रक गुजरात पहुचाए जाते हैं।प्रति पेटी शराब की खरीद कीमत 500 से 800 रुपए जबकि गुजरात सीमा पर विक्रय दर 1200 से 1500 रुपया प्रति पेटी।यदि औसत एक पेटी का मार्जिन 700 रुपया मान लिया जाए तो -

 

फायदा 30 ट्रक×1000 पेटी×700 रुपया=2,10,00000 रुपया प्रति दिन का खेल।

 

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