ईमानदार आय ए एस मलय श्रीवास्तव की पत्नी के नाम का उपयोग या दुरुपयोग... ?


16 बिल्डर, कालोनाइजर, और शैक्षणिक संस्थान ने बिना जल एवं वायु प्रदुषण  सम्मति के 32 प्रोजेक्टों में तान दिया अवैध निर्माण

भोले भाले निवेशकों को आज भी फेस्टिवल सीजन की आड़ में  राजधानी भोपाल में बेचे जा रहे हैं अवैध मकान और प्लाट
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पांच साल बैठा रहा चुप और अब दे रहा है कोर्ट केस की धमकी

खबर नेशन/ Khabar Nation 

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पंद्रह बिल्डर और एक शैक्षणिक संस्थान ने लाखों स्केवयर फिट का अवैध निर्माण 32 प्रोजेक्टों में कर डाला । सरकारी नियमों को धता  बताते हुए बिल्डरों और कालोनाइजरों ने करोड़ों रुपए भोले भाले निवेशकों से वसूल भी लिए। हाल ही में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन प्रोजेक्टों के कर्ता-धर्ताओं को पर्यावरणीय नियमों का उल्लघंन किए जाने पर कोर्ट केस की धमकी दी है और धमकी देने वालें हैं प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के भोपाल संभाग के प्रभारी एवं क्षेत्रीय अधिकारी  आलोक सिंघई जिन्हें बोर्ड का दामाद भी कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी I
उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकारों में अधिकांश समय प्रदेश के पर्यावरण मंत्री रहे जयंत कुमार मलैया के खास दरबारी जो अपने पर्यावरणीय ज्ञान कि कमी के चलते अच्छी से भी अच्छी मलाईदार पद्स्थापनाओ को सुशोभित करने वाले  अनूठे नगीने हैं आलोक सिंघई I इनकी छवि बोर्ड में ईई विदाउट बीई कि  है I बोर्ड के अभियंताओ  में सिर्फ यहीं है जो बिना इंजीनियरिंग के उपाधि के एसई के पद को सुशोभित कर रहें है। ऐसा कैसे संभव हुआ ये तो मलैया जी ही जानते हैं ?  मैं चाहे ये करूँ मैं चाहूँ वो करूँ मेरी मर्जी I बोर्ड के सूत्रों के अनुसार विभागीय जाँच के चलते आलोक सिंघई को फील्ड कि पदस्थापना जीएडी के नियमानुसार नहीं दी जा सकती हैं I इस सम्बन्ध में जब आलोक सिंघई से संपर्क किया गया तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया I 
बोर्ड के मुख्यालय में हो रही चर्चाओं को सही माने तो प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के दौरान आनन फानन में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अंतिम  दिनों में पैरेंट विभाग की सहमति लिए बिना भारतीय वन सेवा के अधिकारी  को प्रतिनियुक्ति से प्रतिनियुक्ति पर मप्र में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्यक्ष एम एस धाकड़ को बना दिया। इस बीच प्रदेश में बीजेपी ने भी बड़ी संख्या में कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे करवा डाले I कमल नाथ सरकार विधान सभा में अविश्वास प्रस्ताव का सामना किये बिना उनके इस्तीफे के बाद धडाम से गिरी I 
कालांतर में प्रदेश में सबसे लम्बे समय मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड बनाने वाले शिवराज  सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की चौंथी बार शपथ लेते ही कांग्रेस सरकार के पिछले 6 माह के निर्णयों की समीक्षा करने कि घोषणा कर दी I धाकड़ भाजपा में अपने खैरखाह की तलाश कर ही रहे थे कि बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा और मलैया अपने प्रियपात्र आलोक सिंघई को भोपाल संभाग के क्षेत्रीय अधिकारी के मलाईदार पद पर  धाकड़ कि मदद से पदस्थ करवाने में सफल हो गए। धाकड़ भी जयंत मलैया का वरदहस्त पाने में सफल हो गए। धाकड़ को तो मानों संजीविनी मिल गयी I धाकड़ ने अपने डैने फैलाये और रंग दिखाना शुरू कर दिया I यहाँ इस  बात का उल्लेख करना भी समीचीन होगा कि धाकड़ ने उनके अनुमोदन के लिए आये ऑनलाइन सम्मति आवेदनों कि प्रोफाइल में से प्रोजेक्ट प्रोपोनेंट्स के नंबर देखकर उनसे संपर्क करने लगे और उन्होंने ”घर पहुँच सेवा    का नवाचार आरम्भ  कर दिया I अन्तत: धाकड़ का अधोपतन हो गया I पूर्व मंत्री जयंत मलैया और अध्यक्ष धाकड़ के वरदहस्त के चलते आलोक सिंघई  के भाव भी पांच सितारा के अनुरूप हो गये हैं ।

अब पुन: नोटिस पर आते है नोटिस प्राप्त में से कई प्रोजेक्टों के आवेदन चार पांच साल पहले ही निरस्त किए जा चुके हैं । इसके बावजूद धड़ल्ले से निर्माण कार्य जारी रहा और बिकता रहा । इस दौरान सरकारी संस्थान अपनी आंखें बंद किए बैठा रहा।
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नोटिसों के अनुसार बड़े प्रोजेक्टों के निर्माण के लिए जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 25/26 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 21 के अंतर्गत बोर्ड से स्थापना एवं संचालन सम्मति प्राप्त करना एवं सम्मति में उल्लेखित शर्तो का पालन सुनिश्चित किया जाना वैधानिक तौर पर अनिवार्य है।
बोर्ड द्वारा जारी नोटिस के अनुसार उक्त 32 प्रोजेक्टों में से 22 प्रोजेक्ट के आवेदन पर्यावरण  सम्मति हेतु लगाए गए आवेदन औपचारिकताएं पूर्ण ना किए जाने के कारण निरस्त कर दिए गए थे। ऐसे ही लगभग दस प्रोजेक्ट के आवेदनों पर सशर्त स्थापना सम्मति जारी होने के बाद बिल्डरों और कालोनाइजरों के संचालन सम्मति के ऑनलाइन आवेदन निरस्त कर दिए गए । उक्त आवेदन दस्तावेजी औपचारिकताएं पूर्ण ना किए जाने के कारण निरस्त कर दिए गए थे। ऐसे हालातों के बाद ना तो बिल्डरों और कालोनाइजरों ने और ना ही मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने इन प्रोजेक्टों को लेकर एक दूसरे की तरफ झांका । इस दौरान लाखों स्केवयर फिट अवैध पक्का निर्माण करके बेचा जाता रहा । ठगे गए भोले भाले निवेशक। यह दौर बदस्तुर आज भी जारी है । जिन बिल्डरों और कालोनाइजरों के प्रोजेक्टों को लेकर मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोटिस जारी किए हैं उनके विज्ञापन राजधानी के प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित भी हो रहे हैं । इन बिल्डरों और कालोनाइजरों द्वारा जल एवं वायु निष्पादन अवैध तरीके से किया जा रहा है या फिर इन कालोनियों और भवनों के रहवासी दुर्दशा में जीने पर मजबूर हो रहे हैं ।
आखिर अब नोटिस क्यों ?
सूत्रों का कहना है कि दीपावली सीजन के दौरान मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी उधोगों और ऐसे बिल्डरों कालोनाइजरों के खिलाफ नोटिस जारी कर जमकर वसूली करते हैं। जिसे शासन में बैठे अधिकारियों और राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त रहता है ।
आखिर क्या राज है उदिता मैडम के दबदबे का ?
पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव की पुनः तैनाती होने के बाद लाला लॉबी का कब्जा मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में हो गया है । क्षेत्रीय कार्यालय धार में पदस्थ सुनील श्रीवास्तव की सहधर्मिणी भी विभाग में ही पदस्थ हैं । सूत्रों के अनुसार  अवैध आर्थिक लेन-देन हो या दीपावली का उपहार यहां पर डबल वसूली ही की जाती है।  इसी के साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में उदिता मैडम का नाम भारी दबदबे के साथ उपयोग किया जाता है । बताया जाता है कि जिस फाइल को लेकर उदिता मैडम का इशारा मिल जाता है उसमें पंख लग जाते हैं। वैसे मध्यप्रदेश के पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव की गिनती ईमानदार अफसर के तौर पर की जाती है पर लाला लॉबी के अधिकारियों द्वारा मलय श्रीवास्तव की पत्नी के नाम का उपयोग या दुरुपयोग बड़े सवाल खड़े करता है ।

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