ईमानदार नहीं रह पाई दिग्विजयी नर्मदा परिक्रमा

खबरनेशन / Khabarnation
 

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा का संकल्प टूटता नजर आ रहा हैं। दशहरे के दिन नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से यात्रा शुरू हुए लगभग नब्बे दिन पूरे हो गए हैं और यात्रा लगभग 1400 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी हैं। संपूर्ण परिक्रमा 3600 किलोमीटर की पैदल ही तय की जाना हैं।
 

यात्रा के शुरूआत में दिग्विजय सिंह ने खुद ही कहा था कि यह उनकी निजी और आध्यात्मिक यात्रा हैं। इस दौरान वे राजनीतिक कार्य नहीं करेंगे। यात्रा एक मायने में सफल नजर आ रही हैं कि यात्रा नर्मदा नदी के किनारे स्थित जिस शहर में पहुंचती हैं दोनों किनारों के लगभग 100 किलोमीटर आसपास के कांग्रेस के उन वरिष्ठ नेताओं का हुजुम उमड़ पड़ता हैं जो पिछले 20 साल से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं। इसी के साथ ही आसपास के गॉव शहर की आम जनता और कई जगह भाजपा के स्थानीय स्तर के नेता भी स्वागत सत्कार दिल से करते नजर आ रहे हैं। अब इस दौरान क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं पर लगे हाथ लोग अपना दुखड़ा भी सुनाते जा रहे हैं। इसी के साथ ही कांग्रेस के कार्यकर्ता अपनी इच्छा को भी दिग्विजय सिंह को अवगत कराते जा रहे हैं।

स्थानीय मीडिया, राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर के पत्रकारों से चर्चा करते दिग्विजय सिंह का एक ही जवाब कि सारी बातो का खुलासा छह माह की यात्रा पूरी होने के बाद करूंगा। जहां मीडिया को अपने चिरपरिचित अंदाज से जवाब दे रहे हैं वही जनता और आम कार्यकर्ता की बात को दिग्विजय खामोशी से सुन रहे हो पर स्थानीय स्तर के बड़े नेताओं से चर्चा करते हुए वे सारे राजनैतिक अनुमानों की जानकारी लेते जा रहे हैं।
 

यात्रा के पुनः मध्यप्रदेश में प्रवेश के बाद जब खबरनेशन ने इन सारे घटनाक्रम को लेकर दिग्विजय से सीधी बात की तो उन्होंने स्वीकारते हुए कहा कि वे जनता से बात कर रहें, आम कार्यकर्ता की बात सुन रहे हैं, लेकिन अगर लोग राजनैतिक निहितार्थ तलाश रहे हैं तो यह उन्हीं पर निर्भर करता हैं।
 

जब उनसे यह प्रश्न पूछा गया कि उक्त जानकारी आपके द्वारा संग्रहित भी की जा रही हैं जिसे आप भविष्य में उपयोग भी करेंगे। तो उन्होंने कहा कि मैं पब्लिक लाईफ में हूँ और मेरा काम जनसेवा हैं। छह माह में यात्रा के दौरान प्राप्त अनुभव पर उन्होंने कहा कि इसका लेखा जोखा वे यात्रा पूरी होने के बाद ही घोषित करेंगे।

यहां सवाल हैं कि अगर दिग्विजय ने गैर राजनैतिक और आध्यात्मिक यात्रा का संकल्प लिया हैं तो इस यात्रा में वे राजनैतिक बाते क्यों कर रहे हैं..? भले ही दिग्विजय जनसेवक होने का दावा करे लेकिन यह यात्रा राजनीति से अछूती तो नहीं मानी जा सकती। 
 

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