डायनामिक या एक्सपीरियंस कौन बनेगा मुख्यमंत्री ?

बहुमत से बनेगा या रागा की निजी पसंद


खबर नेशन/ Khabar Nation

मध्यप्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा । यह तय करने में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को संकट का सामना करना पड़ सकता है । गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में चुनावी दौरे के दौरान राहुल गांधी ने इंदौर में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर पूछे गए एक सवाल पर कहा था कि कांग्रेसमें एक चेहरा डायनेमिक और एनर्जी टिक है और दूसरा चेहरा एक्सपीरियंस्ड । उनका इशारा ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ की तरफ था ।हाल ही में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम आए हैं । कांग्रेस सरकार बनाने का बहुमत ना होने के बाद भी निर्दलीय और बसपा सपा के समर्थन से सरकार बनाने जा रही है ।कल विधायक दल का नेता चुने जाने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने पर्यवेक्षक के तौर पर एके एंटनी और भंवर जितेंद्र सिंह को मध्य प्रदेश भेजा था । प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया गया कि मुख्यमंत्री का चयन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी करें । इस प्रस्ताव को कांग्रेसी विधायक आरिफ अकील ने रखा । अन्य विधायकों ने इसको समर्थन दिया था । इसके बाद एंटोनी और भंवर जितेंद्र सिंह ने विधायकों के साथ वन टू वन चर्चा कर रायशुमारी की । सूत्रों के अनुसार इस रायशुमारी में कमलनाथ के पक्ष में ज्यादा विधायक नजर आए । इसकी वजह दिग्विजय समर्थकों का कमलनाथ के साथ लामबंद होना रहा । मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल ज्योतिरादित्य सिंधिया को सिर्फ उन्हीं के गुट के विधायकों का समर्थन हासिल हो पाया । अब फैसला राहुल गांधी को करना है ।  राहुल गांधी के समक्ष संकट इस बात का है कि वह डायनामिक  या एक्सपीरियंस्ड में से किसी एक को चुनें । ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ दोनों में कई खूबियां हैं । लेकिन राहुल को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुकाबले का मुख्यमंत्री देना होगा । इसकी वजह साफ है कि अगर लोकसभा चुनाव 2019 का बेहतर परिणाम प्राप्त करना है तो मुख्यमंत्री भी चुनाव के लिहाज से घोषित किया जाए।
चुनाव प्रचार के दौरान यह बात सामने आई कि कमलनाथ जहां बेहतर रणनीति कार और उसके क्रियान्वयन में ठोस कदम उठाने में सक्षम है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्लैमरस चेहरे के साथ वाकपटुता में माहिर हैं । इसी के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ पर अभी तक किसी भी तरह के भ्रष्टाचार संबंधी आरोप नहीं है ।जो दोनों को बराबरी पर ठहराते हैं । दोनों ही नेताओं की प्रशासनिक क्षमता संदेह से परे है । लेकिन दोनों ही नेताओं में मिलन सरिता की भारी कमी महसूस की जाती है ।जो कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाने में कठिनाई के तौर पर सामने आता है । हालांकि कमलनाथ ने मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहते हुए 15 साल के वनवास को खत्म करने में सफलता पाई है जो उनके मैनेजमेंट और समन्वय को सामने लाता है ।  बिना संसाधनों के आम जनता में अपनी स्वीकार्यता बनाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया बड़े तौर पर सफल हुए हैं । अब यह राहुल को तय करना है कि वह बहुमत को चुनते हैं या अपनी निजी पसंद को।

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