नर्मदा परिक्रमा समापन के पूर्व दिग्विजय का कांग्रेसी स्टायल में जोरदार स्वागत

पूर्व युवक कांग्रेस अध्यक्ष उवाच : सरला मिश्रा की आत्मा से परेशान दिग्विजय सिंह नर्मदा परिक्रमा यात्रा कर रहे हैं?

दिग्विजय अमृता ने बनाई नर्मदा परिक्रमा में एक डाक्यूमेंट्री फिल्म

खबर नेशन / Khabarnation

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा के समापन के पहले इंदौर में जमीनी कार्यकर्ता ने दिग्विजय पर हमला बोल दिया हैं। महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष शोभा ओझा के खास समर्थक पप्पू मालवीय ने यह बात कांग्रेस की मीटिंग में कही । पप्पू मालवीय इंदौर शहर युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। 

इस वर्ष के अंत में होने जा रहे मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव में अभी देर हैं लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में चुनाव को लेकर उत्साह का वातावरण देखा जा रहा हैं वही राज्य के कुछ शीर्ष नेताओं के प्रति नाराजगी भी भी झलक रही हैं।

इसकी एक मिसाल अभी वार्ड क्रमांक वार्ड 26 के कार्यकर्ताओं की बैठक मैं देखने को मिली जिसमें लगभग सभी वक्ता इस बात पर एकमत दिखें कि यदि कांग्रेस ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा तो जनता का व्यापक असंतोष शिवराज की सरकार को उखाड़ फेंकेगा .....

इस दौरान मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा का जब जिक्र आया तो एक कार्यकर्ता ने दिग्विजय सिंह की तारीफ में जैसे ही कुछ शब्द बोले तो बैठक मंं मौजूद शहर युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पप्पू मालवीय भड़क उठे और कहा कि यह वही दिग्विजय सिंह हैं जिसके कारण राज्य में पार्टी का यह हाल हैं और कार्यकर्ताओं की एक पूरी पीढ़ी बर्बाद हो गई हैं उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने कहा हैं कि उनकी पश्चाताप यात्रा हैं  दरअसल सरला मिश्रा की मौत के बाद उनको रातों की नींद नहीं आती हैं इस समस्या के निदान के लिए जब दिग्विजय सिंह मंडला जिले के नर्मदा किनारे एक संत के आश्रम में पहुंचे तो संत के पूछने पर दिग्विजय सिंह ने बताया कि दरअसल उन्हें पूर्व कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की आत्मा सताती हैं जिससे उनकी रातों की नींद गायब हो गई हैं संत ने कहा कि इस समस्या के निदान के लिए उन्हें नर्मदा परिक्रमा करनी होगी और 1 वर्ष तक नर्मदा किनारे ताप करना होगा और  दिग्विजय सिंह ने केवल यात्रा पूरी की हैं लेकिन उन्होंने संत की पूरी बात नहीं मानी जिससे उन्हें इस यात्रा का पूरा फल नहीं मिलने वाला । 

जब इस बाबत पप्पू मालवीय से बात की तो उन्होंने कहा कि जिन संत की सलाह पर दिग्विजय सिंह नर्मदा परिक्रमा कर रहे हैं वे मेरे भी गुरु थे। सरला मिश्रा की आत्मा से दिग्विजय जी के परेशान होने की बात उन्हें स्वयं गुरु जी ने बताई थी। गुरु जी ने दिग्विजय सिंह जी को नर्मदा परिक्रमा और एक साल का कठोर तप करने की सलाह दी थी। दिग्विजय सिंह जी ने नर्मदा परिक्रमा तो की पर तप नहीं किया। मैंने जो बात कही हैं वह हकीकत हैं। 

इधर नर्मदा परिक्रमा के साथ ही परिक्रमा में सहयात्री रहे पूर्व सांसद रामेश्वर नीखार द्वारा निर्माण कार्वाई गई एक डाक्यूमेंट्री फिल्म आम जन को आकर्षित कर रही हैं। दिग्विजय सिंह और उनकी धर्मपत्नी अमृता सिंह की आवाज में इस पूरी परिक्रमा और नर्मदा के महत्व को दर्शाया गया हैं।

दिग्विजय सिंह - नर्मदा जी गंगा जी से भी प्राचीन हैं और नर्मदा जी केवल एकमात्र नदी ऐसी हैं विश्व में जिनकी परिक्रमा की जाती हैं। एकमात्र नदी हैं जिनके हर तट पर तप और तपस्या पौराणिक काल से हुई हैं।एक नदी हैं जिसमें भारत की विविधता में एकता परिलक्षित होती हैं। एक तरफ अमरकंटक हैं जहां आदिवासी जनजीवन से प्रभावति होती हैं वहां की प्रकृति और संस्कृति, वहीं जाकर जब नर्मदा डिण्डोरी, मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर होते हुए जब महाराष्ट्र, गुजरात होती हुई अरब सागर में पहुंचती हैं तो उसका स्वरूप बदल जाता हैं। 


अमृता राय -

अहोमृतम श्रुवन श्रुतम महेषकेश जातटे,
किरात सूत वाड़वेषु पण्डिते शठे नटे।
दुरंत पाप ताप हारि सर्वजंतु शर्मदे,
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।

मतलब दुनिया में जितने भी तरह के चर अचर गोचर अगोचर जितने भी जीव जन्तु मनुष्य इंसान हैं सबके पाप धुलने वाली नदी हैं, और जो दृश्य हैं वो भी और जो अदृश्य हैं वह भी हर तरह के पाप नर्मदा को देखने मात्र से दूर हो जाते हैं। उसमें स्नान करने की भी जरूरत नहीं हैं। 

दिग्विजय सिंह - आज से 20 साल पहले कवाक्या हैं। मैं मण्डला सर्किट हाऊस में रूका हुआ था। क्योंकि नर्मदा के किनारे जहां मुझे आभास हुआ कि कुछ संदेश दिया जा रहा हैं। और तीन बार रात में मुझे ऐसा लगा कि  कोई मुझसे कह रहा हैं कि नर्मदा जी की परिक्रमा करिये तो मैंने और मेरी पत्नी ने ही निर्णय लिया ।
अमृता राय - उनका यह संकल्प था कि इसे पूरा करना हैं उसमें मैं पत्नी के नाते भागीदार बनी लेकिन जैसे-जैसे हम इस यात्रा को करते गए आगे बढ़ते गए वैसे-वैसे मुझे लगा कि इस यात्रा के नये नये आयाम खुल रहे हैं। समाज क्या हैं समाज के लोकाचार क्या हैं, रीति रिवाज क्या हैं और नर्मदा किनारे की संस्कृति क्या हैं...

नारायण सिंह आमलावे (नर्मदा परिक्रमा वासी ) - लोगों को बुलाया नहीं अपने मन से आयेऔर हर समाज के लोग हैं उसमें। कई मुसलमान समाज के हैं हरिजन भाई हैं, आदिवासी हैं, गरीब हैं, अमीर हैं, कई लोग बीमार थे जो सोचते थे कि हम नहीं चल पाएगे तो आज भी चल रहा हैं।

परशुराम भौरव (नर्मदा परिक्रमा वासी ) - यह मेरा मुंह टेढ़ा था आज भी टेढ़ा हैं। .......... मेरी आवाज आने लगी। और मैं दौड़ रहा हूं साहब।
 

नर्मदा परिक्रमा वासी - मैय्या की कृपा हैं। 

रामेश्वर नीखरा (पूर्व सांसद एवं नर्मदा परिक्रमा वासी) - 12 दिन तक आपको रोकेगी परिक्रमा, नर्मदा प्रेरणा देगी कि आप लौट जाओ लौट जाओं आपको छाले दे देगी पैर दुखेंगे, सब दुखेंगे पर 12 दिन जैसे ही पूरे होंगे नर्मदा आपको अपनी लहरों पर ले जायेगी। 
 

अमृता राय - लगभग 1500 किलोमीटर  एक तरफ से नर्मदा जी की लंबाई हैं और हमने उसकी दोगुनी यात्रा कर ली। नर्मदा जी के किनारे खेत भी मिले और जंगल भी मिले, पहाड़ भी मिले, पत्थर भी मिले, चट्टाने भी मिली, झरने भी मिले।

आप यह डाक्यूमेंट्री फिल्म नीचे दी गई लिंक पर जाकर भी देख सकते हैं-

https://www.youtube.com/watch?v=2VP2rqkkQJM

 

 

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