अय्याश , अहंकारी ,  खोखला दिमाग की छवि का भ्रम तोड़ते राहुल गांधी 

 

 

भारत जोड़ो यात्रा के सहयात्री की नजर से

 

 भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की यात्रा से मिलता-जुलता अनुभव

 

 गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन /Khabar Nation

 

भारत जोड़ो यात्रा के सहारे राहुल गांधी राजनीतिक विरोधियों द्वारा अय्याश , अहंकारी और खोखला दिमाग की बनाई गई छवि को तोड़ने में सफल होते नजर आ रहे हैं । सामाजिक वैज्ञानिक , चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने आज इंदौर में भारत जोड़ो यात्रा के सहयात्री के रूप में प्राप्त अनुभवों को खबर नेशन से साझा करते हुए कही । 

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का आज 81 वां दिन है । यह यात्रा केरल के कन्याकुमारी से शुरू होकर कश्मीर तक जाएगी।  यात्रा आज इंदौर के राऊ विधानसभा क्षेत्र से इंदौर शहर में प्रवेश कर गई ।

 

 यादव से जब यह पूछा गया कि आजादी के बाद राजनैतिक व्यक्तियों भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर , सांसद सुनील दत्त और लालकृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई रथ यात्रा के समकक्ष भारत जोड़ो यात्रा को कैसा मानते हैं ? तो उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर द्वारा निकाली गई यात्रा के समकक्ष मानी जा सकती है । 

 

क्या इस यात्रा से कोई बदलाव आने की उम्मीद है ? पर उन्होंने कहा कि इस यात्रा से कोई रातों-रात कांग्रेस के पक्ष में माहौल नहीं बन जाएगा । गुजरात और हिमाचल के चुनाव परिणामों पर भी कोई विशेष असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इस यात्रा से जो सबसे बड़ा फायदा हुआ है । वह कांग्रेस के नेताओं कार्यकर्ताओं और कांग्रेस के प्रति सॉफ्ट नजरिया रखने वाले लोगों के मन में राहुल गांधी एक उम्मीद की किरण और संघर्ष का माद्दा पैदा करने में सफल रहे हैं । 

जब उनसे यह पूछा गया कि 2 साल पहले के राहुल और भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी में क्या फर्क महसूस करते हैं ?  तो उन्होंने कहा कि राहुल गांधी में कोई फर्क नहीं आया है । राहुल स्प्रिचुअल किस्म के व्यक्ति है । पर उनकी छवि अहंकारी ,अय्याश और खोखला दिमाग की बना दी गई थी । जिससे भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी लोगों को समझाने में सफल रहे हैं कि वे ऐसे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आम जनता को समझ में आ रहा है कि अगर राहुल गांधी अय्याशी कर रहे होते तो इतना पैदल नहीं चल सकते थे।  अगर राहुल अहंकारी होते तो आम जनता और समाज के सभी वर्गों के लोगों के साथ घुलमिल कर बात नहीं कर रहे होते । अगर राहुल खोखला दिमाग होते तो पूरी यात्रा के दौरान समाज के प्रतिष्ठित विभिन्न विषय विशेषज्ञों के साथ अलग-अलग मुद्दों पर बात नहीं कर रहे होते । आम जनता के मन में इस छवि को तोड़ने में राहुल गांधी सफल होते नजर आ रहे हैं । तुगलक लेन के बंद कमरे में वही छवि बनती है । जो मीडिया गढ़ती है लेकिन अपने व्यक्तित्व की पहचान के लिए सड़कों पर निकलना पड़ता है । और राहुल सड़क पर हैं और अपनी इमेज को बिल्ड कर छवि का भ्रम तोड़ते  नजर आ रहे हैं।

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गौरव चतुर्वेदी
खबर नेशन
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