कोर्ट ने एसीएस गृह विभाग राजेश राजौरा के अपराधिक प्रकरण में खात्में को किया अस्वीकार

 

मामला था लोकायुक्त में भ्रष्टाचार का 

न्यायालय ने पुनः विवेचना कर आरोप पत्र दाखिल करने के दिए निर्देश 

पूर्व विधायक ने की राजौरा को निलंबित करने की मांग

 गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation

मध्य प्रदेश की विशेष न्यायालय भोपाल ने अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग राजेश राजौरा के एक प्रकरण में लोकायुक्त पुलिस द्वारा पेश खात्मे को अस्वीकार कर दिया है । कोर्ट ने इस मामले की पुनः विवेचना कर आरोप पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं । कोर्ट के फैसले को आधार बनाकर पूर्व विधायक किशोर समरीते ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से राजौरा को तत्काल अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग के पद से हटाकर निलंबित करने की मांग की है । साथ ही उन्होंने सीबीआई जांच कराने की भी मांग की है। 

 गौरतलब है कि वर्ष 2006 में राजेश राजौरा आयुक्त स्वास्थ्य सेवाओं के पद पर कार्यरत थे । इस दौरान बिना किसी आवश्यकता के 34.76 लाख रुपए के सेप्टोमायसन इंजेक्शन खरीदे गए । जबकि यह दवा भारत सरकार द्वारा निशुल्क प्रदान की जाती थी।  इस प्रकरण के सहआरोपी प्रशासनिक अधिकारी स्वास्थ्य सेवाएं डॉ एम एम माथुर ,  संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ योगीराज शर्मा , संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ अशोक विरांग को बनाया गया था । विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त भोपाल द्वारा धारा 13(1)(डी) 13(2)पी.सी.एक्ट, धारा 120,धारा 34 भारतीय दंड विधान के तहत प्रकरण क्रमांक 8/2009 दर्ज किया गया था। इसी दौरान लोकायुक्त पुलिस संगठन और आयकर विभाग द्वारा छापे की कार्यवाही की गई थी । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे गए पत्र में पूर्व विधायक किशोर समरीते ने उल्लेख किया है कि इस दौरान गुजरात के अहमदाबाद में राजोरा द्वारा भारी काला धन पहुंचाया गया था । 
न्यायालय विशेष न्यायाधीश पीसी एक्ट भोपाल मध्य प्रदेश पीठासीन राकेश कुमार शर्मा ने 6 मार्च 2021 को पारित आदेश में लोकायुक्त द्वारा पेश खात्मे को अस्वीकार कर दिया एवं इस प्रकरण में पुनः विवेचना करते हुए नए आरोप पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं । 

इस मामले में उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने यह आदेश उस वक्त दिया है जब राजेश राजौरा अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग के पद पर पदस्थ हैं । पूर्व विधायक किशोर समरीते ने महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार, महामहिम राज्यपाल मध्य प्रदेश, प्रधानमंत्री भारत सरकार, मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश, कैबिनेट सचिव भारत सरकार, सचिव पेंशन कार्मिक जन शिकायत एवं ट्रेनिंग मंत्रालय भारत सरकार, सचिव केंद्रीय गृह मंत्रालय भारत सरकार, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग मध्यप्रदेश, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो भारत सरकार, पुलिस महानिदेशक लोकायुक्त पुलिस मध्य प्रदेश, को पत्र लिखते हुए राजोरा को अविलंब पद से हटाने की मांग करते हुए सीबीआई जांच की मांग की है । समरीते के पत्र के अनुसार राजेश राजौरा अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग के पद पर पदस्थ हैं । जिनके अधीन मध्य प्रदेश की तीनों जांच एजेंसियां लोकायुक्त, आर्थिक अपराध अनुसंधान विंग मध्य प्रदेश एवं एसटीएफ आती है । इन एजेंसियों में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना एवं विभागीय जांच के निराकरण के अधिकार गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव होने के नाते राजौरा के अधीन आते हैं । ऐसी परिस्थिति में लोकायुक्त पुलिस द्वारा राजोरा के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल करना संभव नहीं है । इसलिए उन्हें पद से हटाने की मांग की गई है।

 जब इस मामले को लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग राजेश राजौरा से संपर्क करने का प्रयास किया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। व्हाट्सएप मैसेज पर इस मामले का पूरा विवरण देकर जब उनसे पक्ष जानने का प्रयास किया तो 12 घंटे बीत जाने के बाद भी समाचार लिखे जाने तक उनकी कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई।

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