शिवराज का अजब गजब मदिरा प्रेम

शराब नीति के पहले इस विषय को समझना सरकार के लिए जरूरी 

नर्मदा किनारे पी सकते हैं शराब कहा आबकारी आयुक्त ने 

गौरव चतुर्वेदी/ खबर नेशन / Khabar Nation

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अजब गजब तरीके के मदिरा प्रेमी है। एक तरफ वे सामाजिक बुराई के नाम पर शराब पर रोक लगाने की बात करते हैं। दूसरी तरफ राजस्व बढ़ाने खुलेआम शराब बिकवाने की वकालत भी करते नजर आते हैं । 5 साल पहले मध्य प्रदेश का एक निर्णय नर्मदा की 2000 किलोमीटर लंबी पट्टी के किनारे 5 किलोमीटर के भीतर बसने वाले रहवासियों के लिए बड़ा ही अजीबोगरीब है। शिवराज सिंह चौहान ने जोर-शोर तरीके से नर्मदा नदी के किनारे 5 किलोमीटर की सीमा तक शराब दुकान ना लगाए जाने का निर्णय लिया था । 

जिसके कारण लगभग 70 शराब दुकानें बंद कर दी गई।  एक नजर से यह सरकार के राजस्व को कम करने और सामाजिक बुराई पर नियंत्रण करने वाला कदम माना जा सकता है । लेकिन बड़ी ही चतुराई से इन 5 किलोमीटर क्षेत्र में आने वाली शराब दुकान से मिलने वाले राजस्व को पांच किलोमीटर दूर की सीमा से सटी पड़ोसी दुकान पर बोझ स्वरुप डाल दिया गया।  ना इन क्षेत्रों में शराब बिकना बंद हुई और ना ही सरकार की रीति नीति से जनता को कोई फायदा पहुंचा । 

इस सारी पॉलिसी के बीच में कंपोजिट शराब दुकानों की घोषणा से पूरे प्रदेश में दुकानों की संख्या दोगुनी हो गई है। यह एक तरह से आबकारी विभाग का नया पैंतरा है । पूरे प्रदेश में कोई नई शराब दुकान नहीं खुलेगी यह इसके  विपरीत है । नर्मदा किनारे कोई शराब का विक्रय नहीं होगा । यह ठीक है परंतु नर्मदा किनारे ही जबलपुर जिले में एफ एल 5 लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं । तब शराब की बिक्री को नर्मदा किनारे कैसे इस तरह से रोका जा सकेगा ? नर्मदा की सारी पट्टी में आदिवासी समूह को शराब बनाने और पीने की छूट दी गई है परंतु वे विक्रय भी करते हैं । यह आंखों से देखा जा सकता है और इस सब को चुनाव के वर्ष में रोकना सरकार के लिए काफी कठिन मामला है । क्योंकि विषय आदिवासी वोटों का है । वास्तव में इस बारे में गवर्नमेंट को प्रैक्टिकली सोचना चाहिए । जब हर वर्ष 20 से 25% राजस्व बढ़ोतरी का लक्ष्य शासन द्वारा आबकारी के लिए रखा गया है तो यह सारी चीजें एक साथ समाधान प्रस्तुत नहीं कर सकती हैं । वास्तव में सरकार शराब को एक बुराई के रूप में लेती है तो इसे और बीड़ी तंबाकू सिगरेट ऐसे उत्पादों से प्राप्त होने वाले राजस्व को पूरी तरह से त्याग कर ही इन सारी बुराइयों से बचा जा सकता है । यदि आंकड़ों को देखा जाए तो जिस मात्रा में शासन को इन सब चीजों से जो राजस्व प्राप्त होता है । उसकी तुलना में इनके उपयोग करने वाले लोगों की बीमारियों पर होने वाला खर्च इससे कहीं अधिक है और जिस में मरने वालों की संख्या की कोई कीमत ही नहीं जोड़ी जा सकती है । शासन वही हेरिटेज लिकर बनाने के नाम पर पायलट प्रोजेक्ट लागू करने के लिए प्रयासरत है । यह पूरी तरह से विरोधाभासी है इस पर शासन को आबकारी नीति बनाने और घोषित करने के पहले अत्यधिक गंभीरता विचार से  करना चाहिए ।

मध्य प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर अलीराजपुर तक इन क्षेत्रों में शराब की दुकानें नहीं है लेकिन इन क्षेत्र में बड़ी ही आसानी के साथ शराब उपलब्ध हो जाती है। इसका एक सबसे बड़ा नुक्सान अवैध शराब के साथ साथ घटिया क्वालिटी की या नकली शराब बिकना भी है। जो इस क्षेत्र में बसने वाले लगभग चालीस लाख आबादी के शराब प्रेमियों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर भी डालती है।

 इस बारे में मध्य प्रदेश के आबकारी आयुक्त ओ पी श्रीवास्तव से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप ही आबकारी नीति का पालन किया जा रहा है। जब उनसे यह पूछा गया कि जबलपुर में एफ एल 5 के लाईसेंस देकर शराब पिलवाई जा रही है तो उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में शराब पीना प्रतिबंधित नहीं है । मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि एफ एल 5 के लाईसेंस जारी किए जा रहे हैं। जब उनसे नर्मदा नदी के पांच किलोमीटर क्षेत्र की लाईसेंस फीस पड़ोस की दुकानों पर जोड़ने से एजेंट के माध्यम से अवैध शराब बिक्री हो रही है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा का उल्लंघन हो रहा है तो वह गोलमोल जबाब देने लगे।

बंद की गई दुकानों की संख्या

अनुपपुर ,डिंडोरी 2 ,मंडला 6 लाईसेंस फीस सवा पन्द्रह करोड़  ,जबलपुर 12 दुकानें थी जिनसे लगभग 18 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता था। ,नरसिंहपुर 7 लाईसेंस फीस 42566000 ,रायसेन 3 ,होशंगाबाद 12 लाईसेंस फीस 24 करोड़  ,सीहोर 7 ,हरदा 2 ,देवास 3, खंडवा 4 लाईसेंस फीस लगभग 2.5 करोड़  ,खरगौन 6 लाईसेंस फीस 119049149 ,धार 6 ,बड़वानी 1 , अलीराजपुर में एक भी दुकान नहीं थी

 

 

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