उमा भारती के महाप्राण संकल्प में एक सप्ताह शेष
लाख टके का सवाल क्या उमा पूरा करेंगी अपना संकल्प ?
खबर नेशन / Khabar Nation
गंगा में भ्रष्टाचार की समाप्ति और अक्टूबर 2018 तक गंगा नदी के साफ न होने पर महाप्राण त्यागने की घोषणा करने वाली केन्द्रीय मंत्री उमा भारती क्या महाप्राण करेंगी को लेकर लाख टके का सवाल खड़ा हो गया है । गौरतलब है कि उमा भारती ने लगभग दस माह पूर्व एक सेमिनार में गंगा की साफ सफाई में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लिया था और महाप्राण की घोषणा की थी। उमा भारती द्वारा घोषित नियत समय में मात्र एक सप्ताह बचा है और गंगा नदी की सफाई में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है । इस समाचार के साथ सबसे पहले उमा भारती की घोषणा आम जन तक पहुंचाने वाले खबर नेशन का उक्त समाचार मय वीडियो लिंक के साथ नीचे संलग्न है ।
उमा की घोषणा को लेकर भी राजनैतिक हलकों में कोई चर्चा नहीं हैं । अगर उमा की कार्यशैली पर नजर डाली जाए तो वे अक्सर अपने वादों को पूरा करने के चक्कर में आश्चर्यजनक तौर से कदम उठा लेती हैं । गुरूवार को ही गंगा नदी के सफाई के मुद्दे पर 22 जून से अनशन पर बैठे पर्यावरणविद् प्रो. जी डी अग्रवाल का निधन हो गया । 86 साल के प्रोफेसर अग्रवाल 111 दिन से अनशन पर थे। प्रोफेसर जी डी अग्रवाल ने गंगा को बचाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तीन पत्र लिखे , जबाब नहीं मिलने पर अनशन पर बैठ गए । इसके पूर्व 2011 में 115 दिन के अनशन के बाद स्वामी निगमानंद की मौत हुई थी।
केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने की महाप्राण त्यागने की घोषणा -
केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने की महाप्राण त्यागने की घोषणा
एक्सक्लूसिव Dec 13, 2017
गंगा में भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को लिखा था इस्तीफे के साथ तीखा खत
एक सेमिनार में किया खुलासा
खबर नेशन /Khabar Nation
भारत की केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने अक्टूबर 2018 में महाप्राण त्यागने की घोषणा की है । हाल ही में संपन्न सेमिनार में उन्होंने गंगा में भ्रष्टाचार को लेकर हालिया केंद्रीय मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने का खुलासा किया है । पत्र में काफी तीखी भाषा का उपयोग भी किया गया है ।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के पूर्व उमा भारती जल संसाधन , नदी विकास एवं गंगा सफाई मंत्रालय का काम देख रही थी । केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने सेमिनार में खुलासा किया कि गंगा की सफाई के नाम पर जब उन्हें इस बात का पता चला कि एक कंपनी भारी मुनाफा कमाने का प्रयास कर रही है तो उन्होंने उक्त कंपनी के अधिकारियों को बुलाकर जबरदस्त फटकार लगाई थी । उमा ने सेमिनार में कहा कि उन्हें तभी इस बात का आभास हो गया था कि अब उनके ब्रेकडाउन का समय आ गया है ।
उन्होंने तभी 10 मई बुद्धू पूर्णिमा के दिन इस्तीफे के साथ एक पत्र प्रधानमंत्री को लिखा था कि मैं गंगा के माध्यम से जन जागरण का काम करना चाहती हूँ । जनता ही अपना विराट रुप दिखाएगी और गंगा की रक्षा करेगी । उमा ने मोदी को लिखे पत्र में लिखा है कि गंगा तप की नदी है भोग की नदी नहीं है । गंगा मुनाफा कमाने की नदी नहीं है । गंगा देने की नदी है । 50 करोड़ लोगों को गंगा रोजगार देती है अतः गंगा का दोहन और शोषण नहीं होना चाहिए । उसकी अविरलता निर्मलता बनी रहे ।
उमा ने उक्त पत्र में मोदी से मंत्रिमंडल से मुक्त होकर जन जागरण का काम भी किए जाने की बात कही थी । उमा ने कहा कि मैंने तय कर लिया था कि मौन हो जाऊंगी और नवरात्रि 2018 के बाद त्रिवेणी पर बैठकर महाउपवास करते हुए महाप्राण करूंगी ।
उमा ने सेमिनार में यह भी कहा कि सरकार ने गंगा के नाम पर जो भी बीस हजार करोड रुपए दिए हैं वे कोई अहसान नहीं है । उन्होंने कहा कि गंगा की साफ सफाई के प्रोजेक्ट पर शुरु से लेकर अंत तक वे नजर रखेगी और अक्टूबर 2018 तक अपेक्षित कार्य नहीं हुआ तो वे अपने संकल्प का पालन करेंगी । उमा भारती ने सेमिनार में लगभग 35 मिनिट लंबे भाषण में हरिद्वार ऋषिकेश के एसटीपी टेंड़र प्रक्रिया का जिक्र किया । जिसमें एक कंपनी ने 150 करोड रुपए और दूसरी कंपनी ने 600 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था । 600 करोड़ का ऑफर भरने वाली कंपनी के अधिकारियों को उन्होंने जमकर फटकार भी लगाई थी । उमा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखने का कारण इन सारी बातों को रिकॉर्ड पर लाना बताया । उमा भारती का यह भाषण उनकी फेसबुक पेज पर अपलोड भी किया गया है ।
अगर आप हमारे माध्यम से इसे देखना चाहे तो आप यू-ट्यूूब की इन लिंको पर जाकर पूरा वीडियो देख सकते हैं।
https://youtu.be/eJLMvccVYq4
https://youtu.be/LXqj_zvE63w
https://youtu.be/T7k3Y3vM-hI