कैंडल मार्च निकले तमाशे हुए। फिर पलटकर किसी ने क्यों नहीं देखा ?

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सरकारी गलियारों में गुम हुआ राष्ट्रमाता पद्मावती अवार्ड देने का फैसला

तो डर ,दहशत और सदमे से जीती पद्मावती थी क्या शिवराज का सियासी शिगूफा ?

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की गैंगरेप पीड़िता का दर्द

ये वही मामला है जिसमें पीड़िता अपनी शिकायत दर्ज करवाने थाने दर थाने भटकी थी । वही मामला जिसमें लड़की के माता पिता ने खुद आरोपियो को पकड़कर पुलिस के हवाले किया था । हां, वही लड़की जिसके साहस के लिए शिवराज सरकार ने उसे राष्ट्रमाता पद्मावती अवार्ड देने का एलान किया था । वो केवल सियासी शिगुफा था ये बात अलग. कहां गई वो लड़की । क्या वो अब सुनसान सड़क से गुजरने की हिम्मत जुटा पाती है ? क्या डर से बाहर आ पाई वो ? जिस लड़की को इंसाफ दिलाने सियासत गर्माई कैंडल मार्च निकाले गए । यूपीएससी की कोचिंग करने वाली लड़की का अफसर बिटिया बन जाने का सपना क्यों रह गया अधूरा रह गया । आरोपियों को चौराहे पर फांसी दिए जाने के लिए चीखती रही उसी लड़की की जुबानी सुनिए उसके डर. दहशत और सदमे से निकलकर जीतने की उसकी ज़िद. और दरख्वास्त कि वो दरिंदे पैरोल पर भी नहीं छूटने चाहिए ।

कैंडल मार्च तो निकाले फिर पलटकर नहीं देखा 

पांच साल भी लंबा वक्त नहीं होता । जिस्म के घाव भर जाएं मन के घाव नहीं भरते । मेरी मां का दिया हौसला है मेरे साथ जिसके बूते मैने उस हादसे के बाद भी हिम्मत दिखाई थी और अपने साथ हुई नाइंसाफी की कहानी बताई थी । और अब उसी हिम्मत से आगे पढ़कर अपने पैरों पर खड़े होना है मुझे । मै अफसर बनना चाहती थी यूपीएससी की तैयारी इसीलिए कर रही थी । फिर ये हादसा हो गया । फिर भी हिम्मत नहीं हारी । मेरी मां ने सरकार से दरख्वास्त की थी अवार्ड भले ना दें लेकिन एमपी पीएससी में कोटा दिलवा दें । मेरा सपना पूरा हो जाए । लेकिन कुछ नहीं हुआ। मुझे राष्ट्रमाता पद्मावती अवार्ड देने की घोषणा की गई । वो भी नहीं मिला । खैर वो सरकार का फैसला था । लेकिन जिस तरह कैंडल मार्च निकले तमाशे हुए । फिर पलटकर किसी ने क्यों नहीं देखा ? राजनीतिक दलों के लिए संगठनों के लिए तो मैं एक मोहरा थी ना. मामला ठंडा पड़ा सब भूल गए । 

फांसी हो जाती तो पैरोल का डर नहीं रहता 

जिंदगी उस दिन से तो बहुत आगे निकल आई है । यूपीएससी की पढ़ाई कर रही वो छात्रा अब एलएलबी कर रही है । अपने इंसाफ के लिए कानूनी लड़ाई जो लड़ी ।  अब चाहती है कि किसी और लड़की के साथ अगर ऐसा हो तो वो उसका सहारा बन सके । बताती है, मैं अब अकेले जाती हूं सब जगह । कब तक मां को अपने साथ लिए लिए फिरती । पर बीच बीच में ऐसी खबरें आती हैं कि वो अपराधी पैरोल पर छूट रहे हैं तो दिल घबरा जाता है । उनका घर व्दार नहीं है ।  छूटे तो फिर यही सब करेंगे । बाकी तो जो हुआ सो हुआ मेरी एक ही दरख्वास्त है ये आरोपी पैरोल पर भी छूटने नहीं चाहिए । 

क्या था मामला ?

2017 नवम्बर में हबीबगंज रेल्वेस्टेशन के पास कोचिंग से लौट रही यूपीएससी की छात्रा का चार लोगों ने अपहरण कर रेलवे ट्रैक के पास ले जाकर गैंगरेप किया था । फिर गला दबाकर उसे मारने की भी कोशिश की । लड़की के बेहोश हो जाने पर आरोपियो ने उसे मरा हुआ मान लिया और उसे वहीं छोड़ दिया । बाद में पीड़िता अपने माता पिता के साथ आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने थाने थाने भटकी थी । पीड़िता के माता पिता ने चार में से तीन आरोपी पकड़कर पुलिस को सौंपे थे ।

क्या कहती है सरकार 

गैंगरेप पीड़िता को वर्ष 2017 में पद्मावती अवार्ड की घोषणा के बाद अभी तक ना दिए जाने को लेकर जब मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा से बात की तो उन्होंने कहा कि मैं इस मामले की जानकारी लेकर बताता हूं।

 

 

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