विज्ञापन पर AICC और कमलनाथ के तल्ख तेवर
जांच और कार्रवाई के निर्देश
खबर नेशन / Khabar Nation
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के जन्मदिन पर प्रकाशित विज्ञापन से डिफेंसिव मोड में आई मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेताओं की मुश्किल बढ़ गई है । दिल्ली में AICC के आला नेताओं और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तल्ख तेवरों का इजहार करते हुए इस मामले की जांच के निर्देश दिए हैं ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विज्ञापन के जारीकर्ता , विज्ञापन के तथ्यों के सोर्स और विज्ञापन जांचने वालों से ज़बाब तलब किया जा सकता है ।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहले जन्मदिन पर मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की भारी चूक सामने आई है । विज्ञापन में मुख्यमंत्री कमलनाथ की तारीफ करने की बजाय प्रतिष्ठा गिराने वाले तथ्यों से भरा था । हालांकि विज्ञापन प्रकाशित करने वाले दैनिक अखबार ने आज दोबारा उक्त विज्ञापन को प्रकाशित करते हुए इसे न्यूज एजेंसी की जबाबदारी बताया और पूरे मामले से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है । इसी के साथ ही भास्कर ने इस विज्ञापन के प्रकाशित किए जाने में विज्ञापनदाता को भी त्रुटि से मुक्त करने का प्रयास किया है ।
कल प्रकाशित विज्ञापन में तीन तथ्य मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रचार-प्रसार में तीन ऐसे तथ्यों का उल्लेख कर दिया गया जो उनकी प्रतिष्ठा गिराने वाला रहा ।हम कल प्रकाशित विज्ञापन का चित्र में संलग्न कर रहे हैं ।
छिंदवाड़ा से कमलनाथ की 1996 में हार का भी सामना करना पड़ा था। उस समय उन्हें सुन्दर लाल पटवा ने चुनाव मैदान में पटखनी दी थी।
आपातकाल में 1979 में जनता पार्टी की सरकार के दौरान संजय गांधी को एक मामले में कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेज दिया था। तब इंदिरा गांधी, संजय गांधी की सुरक्षा को लेकर चिंतित थी। कहा जाता है कि तब कमलनाथ जानबूझकर एक जज से लड़ पड़े और जज ने उन्हें सात दिन के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया। वहां वे संजय गांधी के साथ ही रहे।
1993 में भी कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा जोरों पर थी। बताया जाता है कि तब अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया। इस तरह कमलनाथ उस समय सी एम बनने से चूक गए। अब 25 साल बाद दिग्विजय के समर्थन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला ।
जबकि राजनीतिक पंडितों के अनुसार अर्जुन सिंह ने पहले स्वर्गीय सुभाष यादव का नाम आगे बढ़ाया था, तब दिल्ली से माधवराव सिंधिया का नाम आगे बढ़ाया गया था । जिस पर विवाद के बाद दिग्विजय सिंह का नाम फाइनल हुआ था।