मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने ’छह मामलों में स्वतः संज्ञान’ लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।

एक जगह May 30, 2023

भोपाल, छह मामलों में स्वतः संज्ञान

आवेदन के बाद प्रमाण-पत्र में दरी, चक्कर काट रहे हैं दिव्यांग

खबर नेशन / Khabar Nation  

भोपाल शहर में दिव्यांगो के लिए सरकार की कई योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है। जेपी अस्पताल से प्रमाण-पत्र मिलने में देरी हो रही है। कई दिव्यांग परेशान हैं। आवेदन के दो से तीन दिन बाद भी लोग चक्कर काट रहे हैं। दिव्यांगों को प्रमाण-पत्र परीक्षाओं को बाद तुरंत बनाकर देने के निर्देश राज्य शासन द्वारा किये गये हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान चलाया जा रहा है। इसी के तहत शनिवार को जेपी अस्पताल में प्रमाण-पत्र के लिये कुछ दिव्यांग पहुंचे था, लेकिन उन्हें प्रमाण-पत्र नहीं मिल सके। यहां शहरीक्षे़त्र के अलावा बैरसिया और ग्रामीण इलाकों से भी कई लोग पहंुचे थे। मामले में शिकायत भी की गई है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सीएमएचओ, भोपाल से जांच कराकर जेपी अस्पताल में विकलांग प्रमाण-पत्र प्राप्ति हेतु प्रस्तुत आवेदन पत्रों की प्रस्तुति दिनांक, जांच दिनांक एवं प्रमाण-पत्र दिये जाने की दिनांक की जानकारी दिनांक 01.04.2023 से 15.05.2023 तक की अवधि की स्पष्ट विवरण सहित जबाव मांगा है।

नहाते समय हाईटेंशन लाइन की चपेट में आया दस साल का मासूम, हालत नाजुक


भोपाल शहर में निशातपुरा थानाक्षेत्र स्थित रतन कालोनी में नहाते समय दस साल का मासूम पास से गुजरी हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया। हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से जोरदार धमाका हुआ और मासूम करीब 80 फीसदी से ज्यादा झुलस गया। घटना के समय परिवार में उसके बहन-भाई बस से जबकि मां निजी अस्पताल में सिक्युरिटी गार्ड होने के कारण ड्यूटी पर थी। उसके परिवार में एक भाई और चार बहने हैं। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सीएमडी, मक्षेविविकलि, तथा कलेक्टर, भोपाल से जांच कराकर कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है। तथा यह भी कहा है कि 1. मृतक के परिवार को आर्थिक मुआवजा राशि के भुगतान के संबंध में तथा 2. हाईटंेशन लाईन के नीचे आवासीय कालोनी बनने और निवासियों की सुरक्षा के संबंध मे एचटीएल से संबंधित विद्युत कंपनी द्वारा की गई सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में स्पष्ट प्रतिवेदन तलब करें।  

घर नहीं, हौसले भी तोड़ दिये, कोई देखने तक नहीं आया


जबलपुर जिले में माढ़ातोल के पन्नी मोहल्ले में जिला प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए 54 करोड़ रूपयों की करीब 6 एकड़ भूमि को मुक्त कराया था। यहां झुग्गी बनाकर वर्षों से रह रहे लोगों को महाराजपुर के चांटी में शिफ्ट किया गया था। जिस दिन यह कार्यवाही हुई और गरीबो को डम्पर आदि वाहनों से चांटी भेजा गया, उसके बाद से ही बारिश का कहर शुरू हो गया। खेत की भूमि को समतल कर प्रशासन ने प्लाॅट काटे हैं और वहां मुरूम डाल दी गई है। अब वहां हर तरफ कीचड़ हो गया जिससे लोग खुद को सहज नहीं कर पा रहे हैं। जो लोग माढ़ोताल में रहते थे उन्हें चांटी में प्लाॅट देने की बात की गई थी लेकिन जब यहां आए तो सूची में नाम ही नहीं था। दूसरे ऐसे लोगों को यहां प्लाॅट दिए गए जो कभी माढ़ातोल में रहते ही नहीं थे। मंडला और रीवा से लोग यहां आए हैं। अधिकारी मनमानी से प्लाॅट बांट रहे हैं। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, जबलपुर से जांच कराकर पात्र हितग्राहियों के संबंध में अपेक्षित कार्यवाही सुनिश्चित कर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।                                                

माथनी गांव में जल संकट, 3 से 4 किमी दूर से पानी लाने ग्रामीण मजबूर


बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी ब्लाॅक में माथनी गांव में पेयजल के लिए लोगों को 3 से 4 किलोमीटर पैदल या फिर दुपहिया वाहन से पानी लाने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिले में 40 डिग्री तापमान से शहर गांव झुलस रहा है और जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत सीताकामत के माथनी गांव में जल संकट लोगों के लिए मुसीबत खड़ा कर रहा है। ग्राम के उपसरपंच ने बताया कि गांव में सात हैंडपंप है लेकिन तीन हैंडपंप में से बिल्कुल भी पानी नहीं आ रहा है और 4 हैंडपंपों में से एक से डेढ़ घंटे में एक लोटा पानी आ रहा है। जिससे महिलाओं एवं बच्चों की हैंडपंपों पर कतार देखी जा सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां के कुओं ने भी साथ देना छोड़ दिया है। इस गांव की जनसंख्या 770 है. और, इस ग्राम में कुल 146 मकान है। वहीं दूसरी ओर आमला नगरपालिका के वार्डों में दो दिन के अंतराल में पानी मिल रहा है, वह भी कम प्रेशर से जिसके चलते लोगों को पीने के पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। शहरवासियों को 24 घंटे शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए लगभग 5 वर्ष पूर्व 25 करोड़ रुपए की लागत से जल आवर्धन योजना शुरू की गई थी। पूर्व परिषद के कार्यकाल में शुरू हुई इस परिषद के कार्यकाल योजना का काम नई परिषद के कार्यकाल को 6 माह से अधिक बीत जाने के बाद भी अधूरा है। अभी भी योजना की केवल टेस्टिंग ही चल रही है। लगभग 25 करोड़ की जलावर्धन योजना अब तक सिर्फ टेस्टिंग के भरोसे हैं। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने दोनों के संबंध में कलेक्टर एवं कार्यपालन यंत्री, पीएचई विभाग, बैतूल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।

फैक्ट्री में हादसा, कर्मचारी की मौत

 
राजगढ़ जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीलूखेड़ी में  स्थित भोपाल गुलूज आर केमिकल प्राइवेट लिमिटेड में बीते बुधवार को हुए हादसे में कन्वेयर गिरने से एक कर्मचारी की दुःखद मौत की यह घटना हुई। प्रात 8.45 बजे हुए हादसे में फेक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारी रमेश दांगी उम्र 42 साल का दुःखद प्राणांत हो गया। कन्वेयर वजनी मशीन कर्मचारी के ऊपर गिरी जिससे सिर में गंभीर चोट आने से मौके पर ही कर्मचारी ने दम तोड़ दिया. कर्मचारी रमेश दांगी फेक्ट्री में मैंटेनेंस विभाग में कार्य करता था जो कि सुबह कन्वेयर शिफ्ट करवा रहा था. इसी बीच 4-5 फीट ऊपर से कन्वेयर अनियंत्रित होकर कर्मचारी के सिर पर आ गिरा। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं श्रम अधिकारी, राजगढ़ से प्रकरण की जांच कराकर मृतक के परिवार को आर्थिक मुआवजा राशि के भुगतान आदि के संबंध में एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।

गल्र्स काॅमन रूम में कैमरे, छात्राओं को कपड़े बदलते देखते हैं प्राचार्य


कटनी जिले में छात्राओं ने शासकीय कॉलेज के प्राचार्य पर गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्राओं का आरोप है कि कॉलेज के गल्र्स कॉमन रूम में कैमरे लगे हैं और प्राचार्य उन्हें कपड़े बदलते देखते हैं। मामला सामने आने के बाद कलेक्टर अवि प्रसाद ने जांच के लिए टीम बना दी है। टीम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 150 लोगों के बयान लिए हैं और आरोपों में प्रारंभिक रूप से सत्यता पाते हुए प्राचार्य के तबादले की अनुशंसा की। कलेक्टर ने जागरण से चर्चा में बताया कि प्राचार्य को हटाने के लिए अतिरिक्त संचालक जबलपुर को पत्र लिखा था, जिसके बाद उन्हें जबलपुर अटैच कर दिया गया है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कमिश्नर जबलपुर, संभाग जबलपुर तथा प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग, मंत्रालय, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्तााह में प्रतिवेदन मांगा है। 


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